पश्चिम बंगाल में आने वाले अगले कुछ महीनों के अंदर विधानसभा के चुनाव होने जा रहे हैं. इस बार राज्य के चुनाव में मुकाबला मुख्यतौर पर बीजेपी और टीएमसी के बीच कांटे का माना जा रहा है. उसकी वजह है एक तरफ जहां बीजेपी ने पूरी ताकत झोंक दी है तो वहीं दूसरी तरफ ममता बनर्जी अपना किला बचाने के लिए हर तिकड़म अपना रही है. एबीपी आनंदा ने सीएनएक्स के साथ मिलकर पश्चिम बंगाल चुनाव को लेकर सर्वे किया है. इस सर्वे में यह जानने की कोशिश की है कि जिस सीएए और एनआरसी का मुद्दा बीजेपी जोरदार तरीके से उठा रही है उसका कुछ फायदा मिलेगी भी या नहीं. आइये जानते हैं सर्वे में क्या बात निकलकर सामने आई है.


सीएए के खिलाफ मुखर ममता को फायदा


1-सवाल: सर्वे के दौरान लोगों से यह सवाल पूछा गया कि क्या नागरिकता कानून संशोधन के खिलाफ ममता बनर्जी के विरोध का आप समर्थन करते हैं?


जवाब: इस सवाल का जवाब में 54.71 फीसदी लोगों ने हां में दिया. जबकि, 32.56 फीसदी लोगों ने कहा- नहीं. जबकि 12.73 फीसदी लोगों ने कहा कि वे या तो जानते नहीं या फिर इस बारे में उनका कुछ नहीं कहना है.


बीजेपी को CAA-NRC का बहुत ज्यादा नहीं फायदा


2-सवाल: एक अन्य सवाल जिसमें यह पूछा गया कि अगर बीजेपी अपने घोषणा पत्र में राज्य में सीएए-एनआरसी को लागू करने का वादा करती है तो आप उन्हें वोट देने के बारे में सोचेंगे?


जवाब: इसके जवाब में 38.05 फीसदी लोगों ने कहा कि हां. लेकिन दूसरे मुद्दे इससे कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण हैं. जबकि 53.82 फीसदी लोगों ने जवाब नहीं में दिया है तो वहीं 08.13 फीसदी लोगों ने कहा कि वे या तो जानते नहीं है या फिर उनका कुछ इस बारे में नहीं कहना है.


गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में कुल 294 विधानसभा की सीटें हैं. किसी भी दल को राज्य में सरकार बनाने के लिए 148 सीटों की जरूरत होगी. 2011 के विधानसभा चुनाव में वाम दलों के गढ़ में ममता बनर्जी ने पहली बार बड़ी सेंध लगाई थी. 34 साल तक सत्ता में रहे वामदलों के गठबंधन को हराकर टीएमसी ने कुल 294 सीटों में से 194 सीटें हासिल की. 2016 के विधानसभा चुनाव में टीएमसी 211 सीटों जीतकर दूसरी बार राज्य में सरकार बनाई थी. ऐसे में ममता बनर्जी की कोशिश इस बार विधानसभा चुनाव में जीत की हैट्रिक लगाने की रहेगी.


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