Private University Laws amendment Bill: पश्चिम बंगाल विधानसभा (West Bengal Assembly) ने वेस्ट बंगाल प्राइवेट यूनिवर्सिटी लॉ अमेंडमेंट बिल 2022 पारित कर दिया है. इस बिल के पास हो जाने के बाद अब प्रदेश में राज्यपाल (Governor) जगदीप सिंह धनखड़ (Jagdeep Singh Dhankad) की जगह शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु  (Bratya Basu) निजी विश्वविद्यालयों के विजिटर पद पर आसीन हो जाएंगे. इस बिल को विधानसभा (Assembly) में पारित किया गया. बिल को शिक्षा मंत्री ने जब पेश कर बोलना शुरू किया तो बीजेपी विधायक (BJP MLA) नारेबाजी करते हुए सदन से बाहर निकल गए.


विधानसभा में विपक्ष की उपस्थिति के बिना ही इस बिल को पास कर दिया गया. इस विधेयक के पारित हो जाने के बाद राज्यपाल और राज्य सरकार आमने सामने हैं. इससे पहले 6 जून को पश्चिम बंगाल कैबिनेट ने राज्यपाल जगदीप धनखड़ की जगह मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को राज्य के सभी सरकारी विश्वविद्यालयों का कुलाधिपति बनाने के प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दी थी. साथ ही राज्यपाल को निजी विश्वविद्यालयों के ‘विजिटर’ पद से हटाने और उनकी जगह राज्य के शिक्षा मंत्री को नियुक्त करने के एक अन्य प्रस्ताव को भी अपनी मंजूरी दे दी थी.


शिक्षा मंत्री के निशाने पर राज्यपाल


बिल पेश करते हुए शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु ने राज्यपाल जगदीप धनखड़ की तीखी आलोचना की. आरोप लगाया कि राज्यपाल ने महिला विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति को लेकर नियमों का उल्लंघन किया और कई बिल रोके. मैंने उन्हें 16 फाइलें भेजी, एक भी फाइल पर सहमत नहीं हुए. जब मैंने कुलपति पद के लिए तीन नाम भेजे तो उन्होंने चौथा नाम भेज दिया, जो बीजेपी के करीबी का है.


ममता बनर्जी को चांसलर बनाए जाने का विरोध


वहीं पश्चिम बंगाल (West Bengal) की जानी-मानी हस्तियों के एक समूह ने मुख्यमंत्री (Chief Minister) ममता बनर्जी (Mamta Benarjee) को राज्य सरकार (State Government) की ओर से संचालित विश्वविद्यालयों (Universities) का कुलाधिपति (Chancellor) नियुक्त किए जाने पर असंतोष जताया. इन लोगों ने इस कदम को विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता के लिए एक बड़ा झटका और लोकतंत्र (Democracy) की भावना के खिलाफ बताया है. प्रख्यात शख्सियतों के इस समूह (Group) ने यह भी कहा कि राज्य मंत्रिमंडल (State Cabinet) के इस फैसले में कुलाधिपति के पद पर एक प्रतिष्ठित शिक्षाविद को नियुक्त करने की लंबे समय से जारी लोगों की मांग की भी अनदेखी की गई है.


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