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बालीगंज उपचुनाव: TMC के गढ़ में त्रिकोणीय है मुकाबला, मैदान में हैं तीन स्टार उम्मीदवार

बालीगंज में 12 अप्रैल को चुनाव होना है. पूर्व केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो बीजेपी छोड़कर टीएमसी से जुड़े हैं. बाबुल सुप्रियो ने कहा कि मैंने बीजेपी को ठुकराया है. 

पश्चिम बंगाल के बालीगंज विधानसभा क्षेत्र में तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार बाबुल सुप्रियो, सीपीएम के सायरा शाह हलीम और बीजेपी के किया घोष के बीच त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है. यहां 12 अप्रैल को चुनाव होना है. पूर्व केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो बीजेपी छोड़कर टीएमसी से जुड़े हैं. बाबुल सुप्रियो ने कहा कि मैंने बीजेपी को ठुकराया है. 

बाबुल सुप्रियो ने लगातार लग रहे आरोपों और दल बदलू कहे जाने पर बताया कि मैंने पार्टी नहीं बदली है. मुझे अपनी पिछली पार्टी के खिलाफ शिकायतें थीं, मैंने अन्याय देखा था. उन्होंने कहा कि 2014 में बंगाल में मैंने पहली बार बीजेपी का झंडा फहराया था, वे भूल गए होंगे लेकिन मैं उन्हें याद दिलाऊंगा कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बाद मैं अकेला था जिसने बिना किसी गठबंधन के बीजेपी के टिकट पर जीत हासिल की थी. उसके बाद बीजेपी दूध से सोना निकालने में लगी थी, फिर ऊपर वाले हिस्से या निचले हिस्से को काट देंगे जैसे बयान, जिसका मैं सार्वजनिक रूप से बचाव नहीं कर सकता.

उन्होंने आगे कहा कि एक तरह से वोट से पहले मेरा पार्टी के साथ टकराव था, इसके अलावा पार्टी की विभिन्न नैतिकताओं के साथ मेरा सार्वजनिक रूप से टकराव था. मैं भी पार्टी की विभिन्न नैतिकताओं से सहमत नहीं था. उसके बाद जब केंद्रीय मंत्रालय में बदलाव किया गया तो मुझे साफ हो गया कि यह अन्याय और विश्वासघात है. 

टीएमसी प्रत्याशी ने कहा कि मैं आसनसोल में 2 लाख वोटों से जीता हूं. मैंने कोई पार्टी नहीं बदली है. आप इतिहास भी देखिए कि कितने लोगों में पार्टी छोड़ने के बाद अपने पद छोड़ने की हिम्मत है. मैंने पद छोड़ दिया, जो मैंने इतनी मुश्किलों को पार करके जीता, क्योंकि जो सीट मैंने एक पार्टी के लिए जीती थी, अगर उसी के लिए मेरा अपमान होता, तो मैं उस पद को नहीं पकड़ कर रख सकता.

उन्होंने कहा कि यह इंसाफ है, मैं सियासत छोड़ दिया था, लेकिन ममता बनर्जी ने मुझे यह उत्साह दिया और कहा कि आपने लोगों के लिए बहुत अच्छा काम किया और उसी लिए मैं दूसरी बार भी चुना गया था. मुझे राजनैतिक ज़िंदगी से दूर नहीं जाना चाहिए. मुझे राजनीती नहीं छोड़नी चाहिए. मैं बंगाल का लड़का हूं, बंगाल के लोगों के लिए मुझे काम करना चाहिए.

बाबुल ने अपने आपको मुकदर का सिकंदर बताया. उन्होंने आपको जो प्यार मिलेगा, उसके लिए भगवान पहले से ही रास्ता बना लेते हैं. गुस्से से मैंने अपना पद छोड़ दिया, मेरे कई सांसद लाभ, राजनीति में आने से पहले मेरे पास कार, और घर सब कुछ भगवान के लिए था. अगर मैं यहां गाता हूं तो 10 हजार रुपये जमा कर सकता हूं. 

बता दें कि यह सीट पिछले एक दशक से तृणमूल कांग्रेस का गढ़ रही है और सुब्रत मुखर्जी का घरेलू मैदान थी, जिनकी पिछले साल नवंबर में मृत्यु के कारण उपचुनाव हो रहा है. मुखर्जी ने 2021 के विधानसभा चुनाव में करीब एक लाख वोटों के रिकॉर्ड अंतर से यह सीट जीत हासिल की थी.

नसीरुद्दीन शाह की भतीजी मैदान में

दिग्गज अभिनेता नसीरुद्दीन शाह ने अपनी भतीजी सायरा शाह हलीम को समर्थन दिया है, जो बालीगंज उपचुनाव के लिए वाम मोर्चा की उम्मीदवार हैं. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की सायरा शाह हलीम तृणमूल कांग्रेस के बाबुल सुप्रियो के खिलाफ उतर रही हैं.

एक वीडियो संदेश में, नसीरुद्दीन शाह ने कहा कि मतदाताओं के सामने पसंद स्पष्ट है. क्या आप चाहते हैं कि आपका प्रतिनिधि एक देखभाल करने वाला, दयालु और प्रतिबद्ध व्यक्ति हो जो आपके लिए काम करेगा, या क्या आप एक ऐसे टर्नकोट अवसरवादी को पसंद करेंगे जो एक धारावाहिक नफरत फैलाने वाला भी हो?

नसीरुद्दीन शाह ने कहा कि मैं किसी भी राजनीतिक दल से संबंध नहीं रखता हूं और न ही मैं किसी राजनीतिक दल के प्रति निष्ठावान हूं. मैं यहां आगामी बालीगंज उपचुनाव के लिए सायरा शाह हलीम की उम्मीदवारी का समर्थन करने के लिए अपनी व्यक्तिगत क्षमता में हूं. पारिवारिक संबंध एक तरफ, मैंने उसे हमेशा एक साहसी और ईमानदार व्यक्ति के रूप में देखा है, जो हमेशा कम भाग्यशाली लोगों की मदद करने के लिए उत्सुक रहता है. वह हमारे अधिकारों की मुखर रक्षक रही हैं. 

सायरा शाह हलीम ने जीत की उम्मीद जताते हुए कहा कि मुझे पूरा भरोसा है. सबसे पहले मैं सभी दर्शकों को नमस्ते कहना चाहता हूं और उन्हें धन्यवाद भी देना चाहता हूं. उन्होंने कहा कि हमें पूरा विश्वास है कि यह लाल रंग इस बालीगंज निर्वाचन क्षेत्र में चारों ओर लहराएगा, क्योंकि यहां के लोग बदलाव चाहते हैं, क्योंकि पिछले चुनावों में वे एक पार्टी को वोट दे रहे थे, लेकिन इस बार वे चाहते हैं कि माकपा आए क्योंकि वे जानते हैं कि हम वे जिन समस्याओं और मुद्दों का सामना कर रहे हैं उन्हें हल करना चाहते हैं.

उन्होंने कहा कि जैसा कि हम सभी जानते हैं कि दिन-ब-दिन पेट्रोल, डीजल और अन्य सभी आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है, तो आम आदमी या गरीब लोग इन बढ़ी हुई कीमतों के साथ कैसे जीवित रहेंगे. इसके अलावा हम देख रहे हैं कि व्यापक हिंसा हो रही है. 

नसीरुद्दीन शाह के वीडियो मैसेज पर क्या बोले बाबुल

नसीरुद्दीन शाह के वीडियो मैसेज पर बाबुल सुप्रियो ने कहा, 'मैंने नसीरुद्दीन शाह का एक वक्तव्य सुना वो सीपीआई (एम) के उम्मीदवार के चाचा लगते हैं तो उन्होंने उनका साथ दिया.  मैं  नसीरुद्दीन शाह की अभिनेता के रूप में बहुत इज्जत करता हूं, लेकिन उनको राजनीति के बारे में ज़्यादा ज्ञान नहीं है. उन्होंने बड़े बड़े अभिनेताओं के खिलाफ बहुत कुछ कहा. नसीरुद्दीन शाह इतिहास देखें तो उनको पता चलेगा कि सीपीआई (एम) का बंगाल में कोई भविष्य नहीं है. उन्होंने वीडियो मैसेज दिया है बहुत अच्छी बात है. नसीरुद्दीन शाह बंगाल के लोगों के साथ कभी खड़े नहीं हुए है तो वीडियो में कम से कम बंगाल के लोगो ने उन्हें देखा. इसके लिए मैं उनका बहुत आभार करता हूं. लेकिन राजनीती में वे कुछ नहीं बोले तो ही अच्छा है, क्योंकि उसके बाद हमें उनका पलटवार करना पड़ेगा जो मैं नहीं करना चाहता.'

सुप्रियो की मुख्य प्रतिद्वंद्वी सायरा हलीम पश्चिम बंगाल विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष दिवंगत हासिम अब्दुल हलीम की बहू हैं. वह एक प्रसिद्ध प्रेरक वक्ता भी हैं. उधर, बाबुल सुप्रियो के गाए गाने के साथ बीजेपी केया घोष का प्रचार कर रही है. इस पर टीएमसी उम्मीदवार ने तंज कसते हुए कहा कि बीजेपी के पास गाना तक नहीं है, इसलिए मेरा दान किया हुआ गाना बजा रहे हैं.

बीजेपी उम्मीदवार केया घोष ने बताया कि यह मैं वोट मांग रही हूं क्योंकि इसके बदले मैं इनके पास रहूंगी. मैं उचित सेवा दूंगी. यहां के हालात बहुत खराब हैं. लोग यहां पीने के पानी के मोहताज हैं. रात के तीन बजे तक यहां लोग पानी के लिए घूमते रहते हैं. मेरा यह वादा है कि मैं इनके लिए यह काम करुंगी, मैं इनके सिर के ऊपर छत दूंगी.

केया घोष ने चुनौतियों के बारे में बताते हुए कहा कि मेरी लड़ाई मेरे किए गए वादों से है. मैं किसी भी व्यक्ति को अपना विरोधी नहीं मानती. मेरे लिए सबसे बड़ी चुनौती है मेरे किये गए वादे. यहां पर पानी, जल निकास की समस्या है, जो लोग बस्ती में रहते हैं उनके सिर पर छत देने की समस्या, यही मेरी चुनौती है. 

केया घोष पहले ग्लैमर वर्ल्ड से थीं, लेकिन अब वह हाथ जोड़ कर वोट मांग रही हैं. उनकी जिंदगी में जो बदलाव हुआ है वो उसे कैसे देखती हैं? इसपर केया घोष ने कहा कि मैं वोट मांग रही हूं क्योंकि इसके बदले मैं इनके पास रहूंगी. मैं उचित सेवा दूंगी. 

सवाल- बालीगंज में मुस्लिम वोटबैंक इतना मज़बूत है, कैसे जीतेगी बीजेपी?
जवाब- मेरे लिए हर कोई वोटर है. मेरे लिए हर कोई यहां के निवासी हैं, मुस्लिम, हिन्दू, सिख कार्ड, लम्बा कार्ड, नाटा कार्ड, गोरा कार्ड, काला कार्ड बहुत हो गया. मैं सबके घर पर गयी हूं. मुस्लिम भी मेरा हाथ पकड़ कर बोल रहे हैं कि हम आपके साथ हैं. हम वोट देंगे. वो जानते हैं कि कौन काम करेगा उनके लिए और कौन झूठा वादा दे रहा है.

सवाल- बाबुल सुप्रीयो ने आपके साथ में भी काम किया है. अभी कैसी है लड़ाई?
जवाब- मेरी लड़ाई मेरे किये गए वादों से है. मैं किसी भी व्यक्ति को अपना विरोधी नहीं मानती. मेरे लिए सबसे बड़ी चुनौती है मेरे किये गए वादे. यहां पर पानी, जल निकास की समस्या है. यही मेरी चुनौती है.

सवाल- महिला वोटर, ममता बनर्जी को पार लगा गए और बीजेपी को हरा गए. 
जवाब- हर बार नहीं. इस बार पासा बदलेगा, क्योंकि मैं भी महिला हूं, मैं कोलकाता की बेटी, दक्षिण कोलकाता की बेटी हूं. वे मुझे अपने घर पर लाएंगे इस बार ये निश्चित है.

सायरा शाह हलीम से सवाल- कोलकाता की सड़कें लाल चाय के लिए बहुत प्रसिद्ध हैं और इसकी एक विशेषता यह है कि यह अपने रंग के कारण किसी एक राजनीतिक दल के साथ मेल खाती है. हमारे पास माकपा पार्टी से उपचुनाव के उम्मीदवार सायरा शाह हलीम हैं. आप हमेशा अपने विपक्ष को लाल रखते हैं, लेकिन इस बार आप अपनी पार्टियों के एजेंडे को कैसे उठा रहे हैं.

जवाब- हमें पूरा विश्वास है कि यह लाल रंग इस बालीगंज निर्वाचन क्षेत्र में चारों ओर लहराएगा, क्योंकि यहां के लोग बदलाव चाहते हैं, क्योंकि पिछले चुनावों में वे एक पार्टी को वोट दे रहे थे, लेकिन इस बार वे चाहते हैं कि माकपा आए क्योंकि वे जानते हैं कि हम वे जिन समस्याओं और मुद्दों का सामना कर रहे हैं उन्हें हल करना जानते हैं. जैसा कि हम सभी जानते हैं कि दिन-ब-दिन पेट्रोल, डीजल और अन्य सभी आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है, तो आम आदमी या गरीब लोग इन बढ़ी हुई कीमतों के साथ कैसे जीवित रहेंगे. इसके अलावा हम देख रहे हैं कि व्यापक हिंसा हो रही है. 

सवाल- विधानसभा चुनाव में आपकी पार्टी का बहुत प्रदर्शन बहुत खराब था.
जवाब- हम मानते हैं कि पिछले चुनावों में परिणाम हमारे पक्ष में नहीं थे, लेकिन इस बार मैंने इस चुनौती को स्वीकार किया, क्योंकि मैं एक महिला उम्मीदवार हूं. जैसा कि आप जानते हैं, इस क्षेत्र में पिछले चुनावों में माकपा को कई बाधाओं और गंभीर परिस्थितियों का सामना करना पड़ा है. लेकिन इस बार हमें पूरा भरोसा है कि हम इस सीट को बहुमत से जीतेंगे. इसी उम्मीद के साथ हम यहां की राजनीतिक गतिविधियों और अभियानों को आगे बढ़ा रहे हैं.

सवाल-यहां के मुसलमानों ने कहा है कि वे टीएमसी या बाबुल सुप्रियो का समर्थन नहीं करेंगे, लेकिन पिछले रिकॉर्ड के हिसाब से उन्होंने विधानसभा चुनाव में टीएमसी का समर्थन किया है. क्या इससे आपको लाभ होगा?

जवाब- यह केवल मुसलमानों के बारे में नहीं है, बल्कि यहां के साक्षर लोगों के बारे में भी है, जो अपने वोटों को नस में नहीं डालना चाहते हैं. वे अपना वोट उस पार्टी या उम्मीदवारों को देना चाहते हैं जो उनके करीब रहेंगे. 

सवाल- आपको क्या लगता है, आपकी लड़ाई किसके साथ है? टीएमसी या बीजेपी?
सवाब- मेरे लिए दोनों बीजेपी हैं. मुझे नहीं पता कि यहां टीएमसी का उम्मीदवार कौन है. जैसा कि एक अफवाह है कि वह अभी भी अपनी कार पर बीजेपी के झंडे से यात्रा करते हैं, इसलिए मुझे समझ नहीं आता कि वह किस पार्टी से ताल्लुक रखते हैं. कुछ महीने पहले वह बीजेपी में थे उसके बाद वह टीएमसी में शामिल हो गए, ऐसे में अनिश्चितता है कि क्या वह फिर से बीजेपी में शामिल होंगे. इसलिए मेरे हिसाब से मैं बीजेपी के 2 उम्मीदवारों के खिलाफ लड़ रही हूं, और मुझे यहां कोई टीएमसी उम्मीदवार नहीं दिख रहा है.

सवाल- इस बार सबसे बड़ी चुनौती क्या है?

जवाब- इस बार सबसे बड़ी चुनौती भ्रष्टाचार है और फिर यह गठबंधन तोड़ने वाली राजनीति है. हम इसके खिलाफ लड़ रहे हैं. हम विकास का विरोध करना चाहते हैं न कि विभाजन की राजनीति का. इसके अलावा, सीपीआई-एम पार्टी में मंदिर और मस्जिद, या हिंदू और मुस्लिम जैसे सांप्रदायिक शासन के लिए कोई जगह नहीं है. हम इसे रोकेंगे और नैतिकता और आम लोगों के विकास, आम लोगों के रोजगार के साथ काम करेंगे.

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