West Bengal: पश्चिम बंगाल की जेलों में दम तोड़ रहे कैदी, पिछले 10 दिनों के अंदर 4 की मौत, मजिस्ट्रियल जांच के आदेश
West Bengal: पश्चिम बंगाल में 10 दिनों के अंदर 4 विचाराधीन (Undertrials) कैदियों की मौत हो गई. इन्हें पुलिस ने बीते महीने डकैती की तैयारी के आरोप में गिरफ्तार किया था.
West Bengal's Undertrials Death Case: पश्चिम बंगाल में 10 दिनों के अंदर 4 विचाराधीन (Undertrials) कैदियों की मौत हो गई है. इस मामले में कैदियों के परिवारवालों और रिश्तेदारों ने उन्हें केंद्रीय सुधार गृह-जेल (Central Correctional Home) में प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है. पुलिस ने जुलाई के आखिरी में डकैती (Dacoity) की तैयारी करने के आरोप में चार लोगों को अलग-अलग मामलों में गिरफ्तार किया था.
कस्टडी में हुई मौत पर संदेह
पश्चिम बंगाल में 10 दिनों से भी कम वक्त में 4 विचाराधीन कैदियों की मौत हो गई. मृतक कैदियों में कुराली के अब्दुल रज्जाक दीवान (Abdul Rajjak Dewan), फकीर पारा के अकबर खान उर्फ खोकन खान और संतोषपुर के सैदुल मुंशी शामिल है. इनकी मौत बरुईपुर (Baruipur) केंद्रीय सुधार गृह में न्यायिक हिरासत (Judicial Custody) में मौत हो गई. पुलिस ने जुलाई के अंतिम सप्ताह में डकैती की तैयारी करने के आरोप में इन चार लोगों को अलग-अलग मामलों में गिरफ्तार किया था. उनके परिवारों ने हिरासत में प्रताड़ना का आरोप लगाया है, जिससे उनकी मौत पर संदेह पैदा हो गया है.
पत्नी ने बताया फोन करने कहा था
घुटियारी शरीफ (Ghutiari Sharif) के 40 साल के जियाउल नस्कर (JIAUL Naskar) ने 28 जुलाई को बरुईपुर केंद्रीय सुधार गृह से अपनी पत्नी महरुफा बीबी ( Mahrufa Bibi) से फोन पर बात की थी. इस दौरान उसने अपनी पत्नी से दूसरे दिन फोन करने की बात कही थी. लेकिन अगले पांच दिनों तक उसके पति का कोई फोन नहीं आया. मृतक नस्कर की पत्नी का कहना है कि जेल अधिकारियों ने 2 अगस्त को उसे बताया कि बीती रात उसके पति की मौत हो गई है.
महरुफा ने आरोप लगाया, "मेरे पति ने मुझे बताया कि उन्हें पुलिस स्टेशन और जेल में बेरहमी से पीटा गया था. उनके शरीर पर चोट के निशान थे. इसलिए हम निष्पक्ष जांच और दोषियों की जल्द पहचान किए जाने की मांग करते हैं. हमें बताया गया है कि सीएम ममता बनर्जी ने डीएम से बात की है. सीएम ने सीआईडी (CID ) जांच के आदेश देने के अलावा हमें मुआवजा देने का निर्देश दिया. हमें खुशी है कि वह हमारे साथ खड़ी रहीं." हालांकि परिवार जेल प्रशासन के खिलाफ प्राथमिकी वापस लेने के मूड में नहीं दिखाई दे रहा है."
जियाउल का मामला अकेला नहीं हैं
विचारधीन कैदियों की मौत के मामले में जियाउल का मामला अकेला नहीं है. जिले के कुराली गांव निवासी अब्दुल रज्जाक दीवान की पत्नी सोहाना बीबी (Sohana Bibi) ने बताया कि उनका पति झारखंड और बिहार में काम करती था. वह वहां चिक मैट (Chick Mats)बेचा करता था. उसकी पत्नी ने बताया कि वह कुछ दिनों के लिए घर आया था और उसे एक हफ्ते में काम पर लौटना था. सोहाना बीबी बताती हैं कि 25 जुलाई की शाम को पुलिस उसे थाने ले गई. अगले दिन जेल भेजे जाने तक वह ठीक था. उसी दिन, उसने मुझे फोन किया और एक ऐप के जरिए एक नंबर पर 2,000 रुपये ट्रांसफर करने को कहा. मैं अगले दिन उसे खाना देने जेल गई. लेकिन 30 जुलाई को पुलिस ने हमें बताया कि उसकी तबीयत ठीक नहीं है. जब हम थाने गए तो हमें बताया गया कि उसकी अस्पताल में मौत हो गई है.
मामले की मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए गए
राज्य सुधार प्रशासन विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि उन्होंने मामले के मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए हैं. उन्होंने कहा कि यह मानक प्रोटोकॉल है. विभागीय जांच में इसमें गड़बड़ी की बात से इंकार नहीं किया गया है. उन्होंने बताया कि डी एम गुप्ता ने फोन कॉल और टेक्स्ट मैसेज का कोई जवाब नहीं दिया. उधर जियाउल के परिवार के गड़बड़ी का आरोप लगाने के बाद दक्षिण 24 परगना के जिला मजिस्ट्रेट सुमित गुप्ता (District Magistrate Sumit Gupta) ने हर मृतक के परिवार को 5 लाख रुपये का मुआवजा दिया है. इसके साथ ही मृतक के परिवारों को मामले सीआईडी जांच के अलावा सरकारी नौकरी का आश्वासन भी दिया है.
विचाराधीन मामले पर हम कुछ नहीं कह सकते
इस मामले में बरुईपुर (Baruipur) थाना प्रभारी सौम्यदीप रॉय (Soumyadip Roy) ने कहा, ' ये मामला विचाराधीन है, इसलिए हम कुछ नहीं कह सकते. मैं सिर्फ इतना कह सकता हूं कि उन्हें डकैती की तैयारी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. जब उन्हें जेल भेजा गया तो वे फिट थे. हमारे पास उनकी फिटनेस की मेडिकल रिपोर्ट है.”
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