West Bengal Election 2021: बीजेपी में शामिल होने के बाद बंगाली अभिनेता को थिएटर ग्रुप ने नाटक से निकाला
West Bengal Assembly Election 2021: पश्चिम बंगाल में एक थिएटर अभिनेता कौशिक कार के बीजेपी में शामिल होने के बाद थिएटर ग्रुप ने उसे नाटक से निकाल दिया. यह नाटक ‘घूम नेई’ उत्पल दत्त के क्लासिक नाटक पर आधारित है और इसमें वाम विचारधारा के चश्मे से देश की मौजूदा राजनीतिक स्थिति को दर्शाया गया है. कौशिक कार ने इस फैसले पर हैरानी जताई है.
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कोलकाताः पश्चिम बंगाल में मशहूर थिएटर ग्रुप के एक अभिनेता के बीजेपी में शामिल होने पर उन्हें नाटक से बाहर कर दिया गया. सौरभ पालोधी ने अपने आधिकारिक फेसबुक अकाउंट पर पोस्ट किया कि कलाकार कौशिक कार को बीजेपी में शामिल होने के कारण नाटक से हटा दिया गया है. पालोधी का नाटक ‘घूम नेई’ उत्पल दत्त के क्लासिक नाटक पर आधारित है जिसमें वाम विचारधारा के चश्मे से देश की मौजूदा राजनीतिक स्थिति को दर्शाया गया है.
कार को पालोधी के ग्रुप ‘इच्छेमोतो’ ने 2019 में एक किरदार को निभाने के लिए बुलाया था. यह किरदार 2015 के दादरी मामले से प्रेरित था जिसमें ‘बीफ’ खाने के संदेह में भीड़ ने एक युवक की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी. पालोधी वामपंथी विचारधारा के हैं. उन्होंने तीन दिन पहले फेसबुक पर पोस्ट किया, ‘‘हम लोग कौशिक कार को ‘घूम नेई’ से तत्काल प्रभाव से हटा रहे हैं क्योंकि वह बीजेपी में शामिल हो गये हैं. इस वक्त उन्हें नाटक से हटाने का यह कारण पर्याप्त है. कामकाजी वर्ग के नाटक में सांप्रदायिक तत्वों के लिए कोई जगह नहीं हो सकती है.’’ थिएटर ग्रुप जल्द ही ‘घूम नेई’ के अगले शो की तारीख की घोषणा करेगा.
सोशल मीडिया में आई तीखी प्रतिक्रिया इस पोस्ट को लेकर सोशल मीडिया पर काफी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. आरका रॉय ने कहा, ‘‘क्या यह किसी कलाकार की आजादी का उदाहरण है? क्या यह लोकतांत्रिक अधिकार है? क्या एक कलाकार को वामपंथी या दक्षिणपंथी विचारधारा के आधार पर परखा जाना चाहिए...? कोई व्यक्ति किस राजनीतिक पार्टी में जाना चाहता है, यह उस पर छोड़ देना चाहिए. किसी को इसमें दखल देने का अधिकार नहीं है.’’
कौशिक के जुड़े रहना नाटक की मूल भावना से अन्याय पालोधी ने कहा कि वह अपने फैसले पर अटल हैं क्योंकि ‘‘यह नाटक बीजेपी की विचारधारा के उलट है और उस पार्टी से जुड़ा कोई व्यक्ति ‘घूम नेई’ का हिस्सा नहीं बन सकता.’’ उन्होंने कहा, ‘‘कौशिक कार की मौजूदा राजनीतिक पहचान को जानते हुए नाटक से उनका जुड़े रहना नाटक की मूल भावना तथा जिस कामकाजी वर्ग के लिए इसे बनाया गया है, उसके साथ अन्याय होगा.’’
कौशिक कार ने बताया हैरान करने वाला फैसला इस पूरे घटनाक्रम को ‘‘वामपंथी फासीवाद की अभिव्यक्ति’’ बताते हुए कार ने कहा, ‘‘कोई अनुभवहीन व्यक्ति जिसका जनता से कोई जुड़ाव नहीं है और जो प्रगतिवादी सांस्कृतिक इतिहास को नहीं जानता हो, वह सांप्रदायिकता पर भाषण दे रहा है और ऐसा व्यक्ति ही इस तरह का फैसला कर सकता है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस एकतरफा फैसले से हैरान हूं.’’
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