पश्चिम बंगाल: बोर्ड टॉपर को मुस्लिम बताने पर निशाने पर टीएमसी, बीजेपी ने लगाया तुष्टिकरण का आरोप
पश्चिम बंगाल में बोर्ड टॉपर को लेकर बीजेपी और टीएमसी आमने सामने आ गई हैं. बीजेपी ने सवाल उठाया है कि अगर किसी ने परीक्षा में टॉप किया है, तो उसकी योग्यता पर जोर दिया जाना चाहिए, न कि उसके धर्म पर.
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कोलकाता: बंगाल में बीजेपी और टीएमसी की लड़ाई अब राज्य के बोर्ड टॉपर पर आ गई है. बीजेपी ने बोर्ड एग्जाम के रिजल्ट में तुष्टिकरण करने का आरोप लगाया है. दरअसल राज्य उच्च माध्यमिक बोर्ड की टॉप मुर्शिदाबाद की एक लड़की रुमाना सुल्ताना है. इसी को लेकर अब बीजेपी और टीएमसी आमने सामने आ गई हैं. पश्चिम बंगाल बीजेपी ने सवाल उठाया है कि अगर किसी ने परीक्षा में टॉप किया है, तो उसकी योग्यता पर जोर दिया जाना चाहिए, न कि उसके धर्म पर.
मुर्शिदाबाद कंडी के राजा मनिंद्र चंद्र गर्ल्स हाई स्कूल की छात्रा रुमाना सुल्ताना ने WBCHSE हायर सेकेंडरी परीक्षा में 500 में से 499 अंक हासिल किए हैं. वह कथित तौर पर अल्पसंख्यक समुदाय की पहली लड़की है, जिसने हाल के दिनों में परीक्षा में टॉप की है.
पश्चिम बंगाल काउंसिल ऑफ हायर सेकेंडरी एजुकेशन की अध्यक्ष डॉ. महुआ दास ने लड़की के धर्म पर जोर देते हुए कहा, "मैं उसका नाम नहीं बताऊंगी लेकिन मुझे लगता है कि एक मुस्लिम लड़की के तौर पर इतिहास बनाया गया है, मुर्शिदाबाद जिले से, उसे अकेले 499 अंक मिले हैं."
इस पर हमला करते हुए आसनसोल बीजेपी विधायक और बीजेपी महिला मोर्चा अध्यक्ष अग्निमित्र पॉल ने ट्वीट किया, 'परिणामों का खुलासा करते हुए एचएस काउंसिल के अध्यक्ष महुआ दास का कहना है कि एक मुस्लिम छात्रा ने पहला स्थान हासिल किया है लेकिन मुझे समझ नहीं आ रहा है कि उन्होंने छात्रा को मुस्लिम क्यों बताया? अगर कोई हिंदू छात्रा प्रथम आती तो क्या वह हिंदू कहती? इतनी क्षुद्र सोच देखकर स्तब्ध हूं."
बता दें कि WBCHSE ने इस साल मेरिट सूची जारी नहीं की है. क्योंकि इस साल कोविड -19 महामारी के कारण कोई भी परीक्षा आयोजित नहीं की गई थी. रुमाना ने मूल्यांकन पैटर्न के आधार पर प्राप्त अंकों के आधार पर अनौपचारिक रूप से परीक्षा में टॉप किया है.
विवाद सिर्फ बंगाल तक ही सीमित नहीं रहा और राष्ट्रीय स्तर पर भी बीजेपी नेताओं ने इस मुद्दो को उठाया. बीजेपी आईटी के राष्ट्रीय प्रमुख अमित मालवीय ने ट्विटर पर कहा, "ममता बनर्जी के बंगाल में, तुष्टिकरण की राजनीति एक नए निचले स्तर पर पहुंच गई, जब बोर्ड के एक अधिकारी ने 12 वीं कक्षा की छात्रा की शैक्षणिक उपलब्धि को उसकी धार्मिक पहचान से कम कर दिया. उन्होंने बार-बार जिक्र किया कि लड़की मुस्लिम है! किसी को हैरानी है कि इन छात्रों को और क्या सहना होगा?"
भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी ने कहा, 'छात्र छात्र होता है. पश्चिम बंगाल में तुष्टीकरण की राजनीति के संस्थानीकरण की कड़ी निंदा करते हैं."
बीजेपी की ओर से हो रहे हमले का जवाब पूर्व कैबिनेट मंत्री और टीएमसी नेता मदन मित्रा ने दिया. उन्होंने कहा, “मैं महुआ दास को लंबे समय से जानता हूं. बंगाल की परंपरा है "न मैं हिंदू हूं और न ही मैं मुस्लिम हूं". किसी मंदिर से गुजरते समय अक्सर हमारी जुबान फिसल जाती है कि यह काली मंदिर है जहां हिंदू प्रार्थना करते हैं, या किसी मस्जिद से गुजरते समय हम अक्सर कहते हैं कि 'मुसलमान नमाज़ पढ़ रहे हैं. ये संवेदनशील मुद्दे हैं. मुझे गर्व है कि चाहें वह मुस्लिम हों या हिंदू और मैं उन्हें बधाई दूंगा.''
भाजपा नेता सौरव सिकदर ने भी टीएमसी सरकार की कड़ी निंदा की और कहा, "मुझे लगता है कि छात्रों का कोई धर्म नहीं होता है; उनका धर्म शिक्षा है. ममता और उनके साथियों ने बंगाल और बंगाली संस्कृति को इतना नीचे गिरा दिया है कि यह इसका प्रमाण है. वह शिक्षा प्रशासन, जो भविष्य में अनगिनत छात्रों को रास्ता दिखाएगी, छात्रों के धर्म की व्याख्या कर रही है. यह शर्मनाक है. मैं इसकी कड़ी आलोचना करता हूं. वे टीएमसी की तुष्टिकरण की राजनीति के लिए युवाओं या छात्रों में जहर घोलने की कोशिश कर रहे हैं."
मुर्शिदाबाद के कंडी की रहने वाली रुमाना ने पहले 2019 की माध्यमिक परीक्षा में 500 में से 687 अंक हासिल किए थे. एक प्रधानाध्यापक और एक शिक्षिका की बेटी होने के नाते रुमाना अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को देती हैं. उसके पिता भरतपुर गयासाबाद अचल विद्यालय में प्रधानाध्यापक हैं. रुमाना बड़े होतर वैज्ञानिक बनना चाहती है. उसने कहा, "मुझे अब भी विश्वास है कि अगर परीक्षा होती तो यह बेहतर होता, लेकिन फिर भी संतुष्ट हूं."
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