कोलकाता; पश्चिम बंगाल के भवानीपुर में चल रहे चुनावी संग्राम को लेकर बड़ी खबर सामने आी है. कलकत्ता हाई कोर्ट ने आज भवानीपुर पर सीट हो रहे उप चुनाव पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. 30 सितंबर को भवानीपुर में वोट डाले जाएंगे. हाई कोर्ट ने कहा है कि वो 17 नवंबर को चुनाव पर होने वाले खर्च का आंकलन करेंगे. इसके साथ ही कोर्ट ने बंगाल के मुख्य सचिव के चुनाव की जरूरत वाले बयान को गैरजरूरी बताया है. 


24 सितंबर को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति राजर्षि भारद्वाज की पीठ नेमामले में सुनवाई पूरी की थी और इसपर फैसला सुरक्षित रख लिया था. इस सीट पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और बीजेपी की प्रियंका  टिबरेवाल के बीच मुख्य मुकाबला है. ममता बनर्जी को मुख्यमंत्री बने रहने के लिए यह चुनाव जीतना बेहद जरूरी है. 


सुनवायी के दौरान कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल ने कड़ा रुख दिखाते हुए मुख्य सचिव के पत्र पर सवाल उठाया था एवं चुनाव आयोग की भूमिका पर भी फटकार लगायी थी. ये भी सवाल किया था कि जब किसी की जीत हो चुकी थी तो दोबारा चुनाव कराने पर जो खर्च आयेगा वो जनता के पैसों से क्यों हो?


वहीं याचिकाकर्ता ने दलील दी थी कि चुनाव आयोग ने कहा था कि यह फैसला लिया गया है कि भवानीपुर निर्वाचन क्षेत्र पर उपचुनाव कराने का फैसला “पश्चिम बंगाल राज्य के विशेष आग्रह और संवैधानिक आवश्यकता पर विचार” करते हुए लिए गया है. उसने दलील दी कि आयोग को ऐसा नहीं करना चाहिए था और इसलिए अदालत को मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए.


निर्वाचन आयोग ने अपनी दलील में कहा था कि याचिकाकर्ता संवैधानिक आवश्यकता शब्द के अर्थ को गलत तरीके से वर्णित करने की कोशिश कर रहा है. इसके साथ ही आयोग ने कहा कि इसे मतदाताओं को प्रभावित करने की कोशिश के तौर पर नहीं देखा जा सकता है. विधानसभा में पार्टी सुप्रीमो के निर्वाचन को आसान बनाने के लिए टीएमसी विधायक सोभनदेब चट्टोपाध्याय के इस्तीफे के बाद भवानीपुर सीट पर उपचुनाव आवश्यक हो गया था. इस सीट का प्रतिनिधित्व 2011 और 2016 में बनर्जी ने किया था.


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