Durga Puja: बंगाल में दुर्गा पूजा के पंडालों में प्रवेश पर रोक, जानिए हाई कोर्ट के नए निर्देश क्या हैं?
हाई कोर्ट ने आदेश दिया कि छोटे पंडालों के लिए प्रवेश द्वार से पांच मीटर की दूरी पर बैरिकेड लगाने होंगे.पीठ ने कहा कि मार्च, 2020 के बाद से मानव के लिए जीवन सामान्य नहीं रहा है. पीठ ने लोगों को डिजिटल दर्शन करने का सुझाव दिया.
कोलकाता: देशभर में नवरात्रों के मौके पर बड़े पैमाने पर दुर्गा पूजा का आयोजन किया जा रहा है. इस बीच कोरोना वायरस महामारी के प्रसार को रोकने के लिए पश्चिम बंगाल में कलकत्ता हाई कोर्ट ने नए निर्देश जारी किए हैं. बड़ी बात ये है कि हाई कोर्ट ने दुर्गा पूजा के पंडालों में लोगों के प्रवेश पर रोक लगा दी है. हाई कोर्ट ने राज्य भर के सभी दुर्गा पूजा पंडालों को प्रवेश निषेध क्षेत्र घोषित कर दिया है.
प्रवेश द्वार से पांच मीटर की दूरी पर लगेंगे बैरिकेड
सब्यसाची चटर्जी नामक एक व्यक्ति की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति संजीव बनर्जी और न्यायमूर्ति अरिजीत बनर्जी की खंडपीठ ने कहा कि किसी भी आगंतुक को पंडाल में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी. हाई कोर्ट ने आदेश दिया कि छोटे पंडालों के लिए प्रवेश द्वार से पांच मीटर की दूरी पर बैरिकेड लगाने होंगे, जबकि बड़े पंडालों के लिए यह दूरी 10 मीटर होनी चाहिए.
समितियों से जुड़े लोगों को ही पंडालों में प्रवेश की अनुमति
पीठ ने कहा कि बैरिकेडों पर प्रवेश निषेध के बोर्ड लगे होने चाहिए. कोर्ट ने यह भी कहा कि आयोजन समितियों से जुड़े सिर्फ 15 से 25 लोगों को ही पंडालों में प्रवेश करने की अनुमति होगी. विशेषज्ञों और डॉक्टरों ने आशंका जतायी थी कि इस उत्सव में लापरवाही से वायरस का प्रकोप बढ़ सकता है.
स्कूल-कॉलेज बंद तो दुर्गा पूजा की अनुमति क्यों- हाईकोर्ट
याचिकाकर्ता ने कहा कि महामारी के बावजूद पश्चिम बंगाल सरकार ने सिर्फ कोलकाता में करीब 3,000 सामुदायिक पूजा के लिए अनुमति दी. अदालत ने कहा कि जब स्कूलों और कॉलेजों के छात्रों को पिछले छह महीनों से शिक्षण संस्थानों में जाने से रोका जा रहा है तो इस साल उत्सव आयोजित करने की अनुमति देना अनुपयुक्त होगा. पीठ ने आदेश दिया कि योजना में सूचीबद्ध दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन किया जाए.
जागरूकता के लिए अभियान चलाए पुलिस- हाई कोर्ट
पीठ ने कहा कि मार्च, 2020 के बाद से मानव के लिए जीवन सामान्य नहीं रहा है. पीठ ने लोगों को डिजिटल दर्शन करने का सुझाव दिया. अदालत ने पुलिस को अपने आदेश के बारे में लोगों के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए एक अभियान शुरू करने को भी कहा. अदालत ने कोलकाता और अन्य स्थानों पर प्रमुख बाजारों और मॉलों में एकत्र होने वाली बड़ी भीड़ और सामाजिक सुरक्षा की उपेक्षा पर चिंता जताई.
बता दें कि पश्चिम बंगाल में अब तक कोरोना वायरस के 3.2 लाख मामले सामने आ चुके हैं और इस बीमारी के कारण 6,000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है.
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