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West Bengal: स्कूल भर्ती घोटाला को लेकर उम्मीदवारों का प्रदर्शन, कोर्ट पहुंचा मामला, जानें अब तक इस केस में क्या कुछ हुआ?

अगस्त 2016 में एसएससी ने सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में समूह डी, समूह सी और सहायक शिक्षकों के पदों पर उम्मीदवारों के चयन के लिए परीक्षा अधिसूचित की थी. परीक्षा 2017 में आयोजित की गई थी

Candidate Protest Against Central And State Government For Job: पश्चिम बंगाल (West Bengal) में सरकारी नौकरी (Government Jobs) में भर्ती को लेकर घोटाले की बात राज्य सरकार के खिलाफ लगातार उठ रही है लेकिन अब इसका विरोध प्रदर्शन केंद्र और राज्य दोनों ही सरकार के खिलाफ हो रहा है. केंद्र के खिलाफ रेलवे को लेकर तो राज्य सरकार के खिलाफ एसएससी (SSC) यानी कि स्टॉफ सेलेक्शन कमीशन (Staff Selection Commission) में भर्ती को लेकर विरोध हो रहा है. वहीं भर्ती को लेकर यह मामला कोलकाता हाईकोर्ट में लंबित है.

न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय की एकल बेंच कोलकाता हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई कर रही है. वहीं हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजीत कुमार की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने न केवल अदालत के निष्कर्षों का समर्थन किया बल्कि घोटाले के एक अन्य प्रारंभिक चरण के बारे में भी विस्तार से बताया. पिछले हफ्ते पश्चिम बंगाल के राज्य प्रायोजित और सहायता प्राप्त स्कूलों में मेगा भर्ती घोटाला तीन भागों में सामने आया.

पहले चरण में एक हजार से अधिक अवैध भर्तियों की खोज
पहले चरण में एक हजार से अधिक अवैध भर्तियों की खोज की गई. पश्चिम बंगाल में हुई 1000 से अधिक अवैध भर्तियों की खोज एक अभ्यर्थी संदीप प्रसाद की रिट याचिका से हुई. संदीप कुमार ने (2021/ WPA 12266) वेस्ट बंगाल की स्कूल सर्विस कमीशन के समूह डी भर्ती में अनियमितताओं का आरोप लगाया था. 30 अगस्त 2021 को न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय की पीठ के समक्ष एक याचिका दायर की थी. 

वहीं सितंबर महीने में सबीना यास्मीन सहित सात याचिकाकर्ताओं के समूह ने समूह सी की लिपिक भर्ती में तीन अनियमितताओं का हवाला देते हुए न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय के समक्ष दूसरी याचिका दायर की. इसके बाद अन्य अभ्यर्थियों ने भी नौंवी और दसवीं के सहायक शिक्षकों की भर्ती में अनियमितता का आरोप लगाते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया.

शिक्षा विभाग की भर्ती में कब क्या हुआ?
अगस्त 2016 में एसएससी ने सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में समूह डी, समूह सी और सहायक शिक्षकों के पदों पर उम्मीदवारों के चयन के लिए परीक्षा अधिसूचित की थी. परीक्षा 2017 में आयोजित की गई थी और ग्रुप डी और ग्रुप सी के पैनल क्रमशः 6 नवंबर, 2017 और 20 दिसंबर, 2017 को प्रकाशित किए गए थे. शिक्षकों के लिए पैनल 2018 में प्रकाशित हुआ था.

इन सभी श्रेणियों की सूची में उम्मीदवार वेबसाइट फॉर्म में अपने रोल नंबर और जन्म तिथि की आपूर्ति करके केवल अपना स्कोर और रैंकिंग देख सकते थे. इसके कारण कुछ उम्मीदवारों ने पारदर्शिता के लिए कलकत्ता हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और सूची के सभी विवरणों को साथ में प्रकाशित करने को कहा.

अवमानना केस के बाद हरकत में आया विभाग
ऐसे में हाईकोर्ट ने  28 मार्च 2019 को एक हफ्ते के भीतर पूरी लिस्ट अपलोड करने को कहा लेकिन एसएससी ने ऐसा नहीं किया. जिस वजह से उम्मीदवारों ने अवमानना याचिका दायर की. इसके बाद हरकत में आए विभाग ने पूरी जानकारी के साथ 20 जून 2019 को सूचियां प्रकाशित की. इसके बाद 2 सितंबर को एसएससी ने एक अधिसूचना जारी की जिसमें उसने कहा कि ग्रुप डी और ग्रुप सी के पैनल 4 और 18 मई 2019 को समाप्त हो गए थे। बाद में, एक अन्य अधिसूचना में उसने बताया कि शिक्षण के लिए पैनल दिसंबर 2019 में समाप्त हो गया था. 

जून 2019 में सामने आईं ये गड़बड़ियां 
इसके बाद जून 2019 में प्रकाशित हुई पूरी सूची ने भानुमती का पिटारा खोल दिया. साल के अंत तक उम्मीदवारों ने ऐसे लोगों को खोजना शुरू कर दिया था जिन्होंने कम अंक प्राप्त किए लेकिन नियुक्ति प्राप्त की.  उनमें से कुछ ने उन नियुक्तियों के बारे में अधिक जानकारी इकट्ठा करने के लिए सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम का इस्तेमाल किया.  जिस वजह से अगस्त 2021 तक इनकी कच्ची जानकारी सामने आने लगी.

नियम के अनुसार डब्ल्यूबीएसईबी (WBSEB) ने एसएससी से सिफारिश पत्रों के आधार पर नियुक्ति पत्र जारी किए। हालांकि, पैनल की समाप्ति के बाद कोई सिफारिश नहीं की जा सकती है। 16 दिसंबर 2019 और 18 सितंबर, 2020 को की गई दो सिफारिशों के उदाहरण से शुरू हुआ ये मामला संदीप प्रसाद के 16 नवंबर 2021 को अदालत में सुनवाई के दौरान ऐसे 25 मामलों को सामने लेकर आ गया.

22 नवंबर को एसएससी ने कहा कि उसने उन सिफारिशों को जारी नहीं किया है जबकि डब्ल्यूबीएसईबी ने कहा कि उनके पास आयोग (एसएससी) द्वारा जारी सभी मूल सिफारिशें हैं जिसमें स्कूलों के जिला निरीक्षक के ज्ञापन का उल्लेख किया गया है. विभाग ने ये भी कहा कि दिसंबर 2019 और फरवरी 2020 के बीच एसएससी द्वारा की गई सभी अन्य अनुशंसाओं के साथ-साथ उन 25 उम्मीदवारों से पूरा डेटा हार्ड कॉपी और सॉफ्ट कॉपी में प्राप्त किया गया था.

इसके बाद याचिकाकर्ताओं ने पैनल की समाप्ति के बाद की गई सिफारिश के 542 उदाहरण प्रस्तुत किए जिससे कथित रूप से अवैध नियुक्तियों की कुल संख्या 567 हो गई. बस इसी वजह से युवा राज्य सरकार के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं. 

केंद्र सरकार के खिलाफ क्यों हो रहा है आंदोलन?
वहीं केंद्र के खिलाफ आंदोलन करने की मुख्य वजह केंद्र सरकार द्वारा रेलवे के पदों में की गई छेड़छाड़ है. अभ्यर्थियों ने कहा कि रेलवे का निजीकरण कुछ इस तरह से किया जा रहा है कि उसमें एक बार फिर युवाओं को नौकरी पाने में तकलीफों का सामना करना पड़ रहा है. एक अभ्यर्थी ने एबीपी न्यूज से कहा कि आप सभी जानते हैं कि एसएससी भर्ती फॉर्म 2014 में जारी किया गया था और परीक्षा अगस्त 2015 में हुई थी लेकिन वह पैनल अभी भी लंबित है. 

सीबीआई जांच को लेकर क्या बोले अभ्यर्थी?
सरकार समस्या का समाधान नहीं कर पा रही है. इससे करीब 14,300 उम्मीदवारों को नौकरी मिल जाएगी लेकिन यह सरकार इस बारे में कुछ नहीं कर रही है. सीबीआई मामले की जांच कर रही है. सीबीआई अधिकारियों और मंत्रियों से पूछताछ कर रही है. लेकिन हम पात्र उम्मीदवार भुगत रहे हैं. लगभग 9 साल हो गए लेकिन कुछ नहीं हो रहा है. ऐसे में जो उम्मीदवार है जो परीक्षा में तब बैठे थे जब वे पात्र थे लेकिन अब परीक्षा में बैठने की उम्र पार हो गई है. हम चाहते हैं कि यह हल हो जाए.

लेट लतीफ भर्ती को लेकर क्या बोले अभ्यर्थी?
वहीं सनातन बर्मन  रेलवे एनटीपीसी (Non Technical Popular Categories) में फॉर्म फिल अप हुआ था. फॉर्म फिल अप होने के बाद वापस से फॉर्म फिल अप हुआ लेकिन अभी तक कोई परीक्षा नहीं हुई.  जिससे हमारा बहुत नुकसान हो रहा है. एक अन्य अभ्यर्थी ने कहा कि देश में सबसे ज्यादा नौकरी रेल में मिलती है तो हम लोग आशा करके रहते हैं की रेलवे की GROUP C और GROUP D से शुरू  हुई नौकरियां दो तीन बार आवेदन देकर रद्द कर दी गई.

मोफिजूल रहमान नाम के एक परीक्षार्थी ने कहा कि 2016 की अधिसूचना पर हमने  2017 में परीक्षा दी वर्ष 2018 में हमारा पैनल जारी किया गया था. उस पैनल के कारण हम यहां योग्यता सूची में हैं. फिर भी योग्यता सूची का कोई समाधान नहीं है. पिछले 70 दिनों से हम यहां इस हालत में शाहिद-मीनार, कुतुब-मीनार में हैं. हमारे उपवास में 35 दिन होंगे. हम यहां लंबे समय से बैठे हैं लेकिन जिस सरकार ने हमारे लिए विशेष प्रक्रिया को मंजूरी दी है वह हमें अभी तक आवंटित नहीं की गई है. इसमें इतनी डील क्यों है. अभी तक नोटिस क्यों नहीं जारी किया गया. मैं चाहता हूं कि जल्द से जल्द हमें नोटिस मिले और हमारा काम पूरा हो.

भर्ती को लेकर क्या बोले शाहिद अहमद?
वहीं मुर्शिदाबाद (Murshidabad) के निवासी शाहिद अहमद (Shahid Ahmed) ने कहा कि मैं वर्ष 2014 में हुई परीक्षा में बैठने वाले उम्मीदवारों में से एक हूं. मेरा एक पड़ोसी भी ऐसा ही कहता है. जब हम दोनों हॉल से बाहर आए तो उन्होंने मुझसे कहा कि उनकी नौकरी पक्की हो गई.

उसने कहा कि उसने पैसे दिए हैं और इसलिए उसकी नौकरी तय है लेकिन जब रिजल्ट आया तो देखा कि उनका नाम आखिरी लिस्ट में था. बहुत से सामान्य शिक्षक इस परीक्षा में बैठे लेकिन उनमें से किसी को भी नौकरी नहीं मिली. जिन लोगों ने इसके लिए पैसा दिया उनको नौकरी मिल गई. अगर सीबीआई (Central Bureau Of Investigation) ठीक से जांच करे तो हम जैसे लोगों को नौकरी मिल सकेगी. 

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