Anubrata Mondal Case: कलकत्ता हाई कोर्ट ने कथित पशु तस्करी मामले (Cattle smuggling Case) में टीएमसी नेता अनुब्रत मंडल (Anubrata Mondal) की जमानत अर्जी बुधवार (4 दिसंबर) को खारिज कर दी है. 


अनुब्रत मंडल के वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट में दलील दी कि वो चार महीने से ज्यादा समय से कैद में हैं जबकि पशु तस्करी मामले में मुख्य आरोपी बीएसएफ ऑफिसर सतिश कुमार को 33 दिन बाद ही जमानत मिल गई. वहीं सीबीआई का पक्ष रख रहे डी.पी सिंह ने इसको खारिज करते हुए कहा कि मंडल गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं.  


सीबीआई का क्या दावा है? 


सीबीआई ने जमानत अर्जी का यह कहते हुए विरोध किया कि याचिकाकर्ता को जमानत पर रिहा करने से पशु तस्करी मामले की जांच पटरी से उतर सकती है, क्योंकि वह (मंडल) गवाहों को प्रभावित करने का प्रयास कर सकते हैं. जस्टिस जयमाल्या बागची और जस्टिस ए के गुप्ता की खंडपीठ ने जमानत अर्जी यह कहते हुए ठुकरा दी कि कोर्ट इस चरण में अर्जी स्वीकार करने के पक्ष में नहीं है.


क्या आरोप लगाए?


सीबीआई का आरोप है कि राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल करके मंडल बीरभूम जिले के रास्ते बांग्लादेश में पशुओं की निर्बाध तस्करी में मुख्य सहायक की भूमिका निभाते रहे हैं. मंडल के वकील ने दलील दी कि इस तरह के कोई साक्ष्य नहीं पाए गए हैं. मंडल पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ टीएमसी के बीरभूम जिलाध्यक्ष हैं. सीबीआई को अनुब्रत मंडल को पशु तस्करी केस में अगस्त 2022 में पकड़ा था. इस दौरान सीबीआई ने आरोप लगाया था कि वो जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं. इससे पहले मंडल के करीबी सहयोगियों के कोलकाता और बीरभूम स्थित 13 ठिकानों पर छापा मारा था.  


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