पश्चिम बंगाल के कोयला घोटाले के मुख्य सूत्रधार बताए जा रहे अनूप माजी उर्फ लाला की गिरफ्तारी पर सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम रोक लगा दी है. हालांकि, कोर्ट ने मामले की सीबीआई जांच पर रोक लगाने से मना करते हुए लाला से जांच में सहयोग करने के लिए कहा है. कोर्ट ने ये भी कहा है कि अनूप सीबीआई की पूछताछ में हिस्सा ले. लेकिन सीबीआई फिलहाल उसकी गिरफ्तारी न करे. गौरतलब है कि कोर्ट ने गिरफ्तारी पर अंतरिम रोक सिर्फ इस आधार पर लगाई है कि मामले में उठाए गए कानूनी सवालों पर अभी विस्तृत सुनवाई संभव नहीं है. फिलहाल मामले को होली की छुट्टी के बाद 6 अप्रैल को लगाने का निर्देश दिया गया है.
अनूप माजी ने सीबीआई जांच पर उठाये हैं सवाल
अनूप माजी ने राज्य सरकार की अनुमति के बिना सीबीआई जांच पर सवाल उठाया है. राज्य सरकार ने भी माजी का समर्थन करते हुए सीबीआई की तरफ से दर्ज एफआईआर निरस्त करने की मांग की है. बता दें कि इस मामले में अब तक हुई जांच में सीएम ममता बनर्जी के करीबियों से तार जुड़ते हुए बताए जा रहे हैं. शुरुआती जांच में लाला की तरफ से पश्चिम बंगाल के राजनीतिक नेताओं को पैसे देने की बातें सामने आईं थीं. सीबीआई ने सीएम ममता बनर्जी के भतीजे और तृणमूल कांग्रेस सांसद अभिषेक बनर्जी से घोटाले के तार जोड़ते हुए उनकी पत्नी रुजिरा से पूछताछ भी की है. वहीं इस घोटाले में रुजिरा की बहन मेनका गंभीर की भूमिका भी संदिग्ध बताई जा रही है.
ये है मामला
मामला झारखंड के धनबाद से सटे बंगाल के इलाकों ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड की खदानों से सैकड़ों खरीद रुपए के अवैध कोयला खनन और उसे झारखंड, बिहार और उत्तर प्रदेश में बेचने से जुड़ा है. अवैध खनन जिन ज़मीनों पर हुआ है, उनमें रेलवे की जमीनें भी हैं. पूरे मामले में ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड के अलावा रेलवे और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल यानी CISF के अधिकारियों की भी मिलीभगत की बात सामने आ रही है.
ये मामला कई राज्यों में फैला है. घोटाले में केंद्र सरकार के तहत आने वाली संस्थाओं से जुड़े अधिकारियों की भी संदिग्ध भूमिका बताई जा रही है. इसे आधार बनाते हुए सीबीआई ने पिछले साल नवंबर में एफआईआर दर्ज की थी.
राज्य सरकार के बिना सीबीआई की जांच अवैध
अनूप माजी ने सीबीआई की एफआईआर को रद्द करने के लिए कलकत्ता हाई कोर्ट की सिंगल बेंच में याचिका दाखिल की थी. उसने कहा था कि पश्चिम बंगाल सरकार 2018 में ही सीबीआई को बिना अनुमति राज्य में जांच करने से रोकने का आदेश जारी कर चुकी है. इसलिए, बिना राज्य सरकार से अनुमति मांगे सीबीआई का एफआईआर दर्ज करना अवैध है. लेकिन सिंगल बेंच ने एफआईआर रद्द करने से मना करते हुए कहा था कि रेलवे के दायरे में आने वाली ज़मीन में हुई अवैध गतिविधियों की जांच के लिए राज्य सरकार की अनुमति ज़रूरी नहीं है. लेकिन बाकी इलाकों में छापा मारने और दूसरी कार्रवाई के लिए सीबीआई को राज्य सरकार से अनुमति लेनी होगी.
सीबीआई को जांच करने से नहीं रोका जा सकता
बता दें कि इस आदेश को 12 फरवरी को हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने बदल दिया. डिवीजन बेंच ने कहा कि सीबीआई की तरफ से एफआईआर दर्ज करने में कुछ भी गैरकानूनी नहीं है. जांच तब शुरू की गई जब केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने अपने पास आई शिकायत को सीबीआई को भेजा. इस मामले में सिर्फ रेलवे की ज़मीन में हुए घोटाले की ही नहीं, उसके बाहर हुए अवैध खनन की भी जांच से सीबीआई को नहीं रोका जा सकता.
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