पश्चिम बंगाल: हिंसा रोकने के लिये भी ममता को दिखाना होगा 'शेरनी' का रूप
राजनीतिक पर्यवेक्षक पार्थ प्रतिम विश्वास कहते हैं, "हिंसा की ज्यादातर घटनाएं ग्रामीण इलाकों में हुई हैं. वहां स्थानीय लोगों की आपसी तनातनी इसकी प्रमुख वजह हो सकती है. यह संभव है कि शीर्ष नेताओं ने इसका समर्थन नहीं किया हो. लेकिन अब इन मामलों को अपने हित में भुनाने की कवायद तेज हो गई है.
![पश्चिम बंगाल: हिंसा रोकने के लिये भी ममता को दिखाना होगा 'शेरनी' का रूप West Bengal Chief Minister Mamta Banerjee has to take stern action to stop violence in state पश्चिम बंगाल: हिंसा रोकने के लिये भी ममता को दिखाना होगा 'शेरनी' का रूप](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2021/05/05/d0f6d0c530fd24c43ae7352c32d1b48b_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
नयी दिल्लीः बीते रविवार को चुनावी नतीजे आने के बाद से लेकर अब तक पश्चिम बंगाल में हिंसा का तांडव जारी है और इसमें 17 लोगों की मौत हो चुकी है.आज तीसरी मर्तबा सूबे के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद अब ममता बनर्जी की सबसे पहली प्राथमिकता होनी चाहिए कि वे इस हिंसा पर काबू पाने के लिए हर कठोर तरीका अपनाएं.इसके लिए उन्हें तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो का नकाब उतारकर एक ऐसे सख़्त सीएम की भूमिका में आना होगा,जो खून बहाने वालों को सिर्फ एक हिंसाई मानकर उसके खिलाफ कार्रवाई करे,न कि अपनी पार्टी का कार्यकर्ता होने के नाते उसका बचाव करे.पश्चिम बंगाल की राजनीतिक हिंसा का इतिहास इस बात का गवाह है कि अतीत में भी सरकारों के प्रश्रय के चलते हिंसा की छोटी-सी चिंगारी ने भयंकर शोलों का रुप लेकर कई बेक़सूर लोगों को अपनी आगोश में लिया है.
तृणमूल की जीत के बाद राज्य के विभिन्न हिस्सों में भड़की हिंसा की जो खबरें आ रही हैं,वे इसलिये बड़ी चिंता का विषय है कि अब इसे साम्प्रदायिक हिंसा में बदलने की कोशिश हो रही है.सवाल यह नहीं है कि इसे किस पार्टी के कार्यकर्ता साम्प्रदायिक रंग देने के प्रयास में हैं बल्कि फ़िलहाल महत्वपूर्ण यह है कि उनसे निपटने के लिए ममता सरकार पुलिस-प्रशासन को किस हद तक सख्ती बरतने का अधिकार देती है.ममता सरकार को एक और बात का भी खास ख्याल रखना होगा कि हिंसाइयो के खिलाफ कार्रवाई करने में अगर किसी भी तरह का राजनीतिक भेदभाव बरता गया,तो वह इस आग में घी डालने का ही काम करेगा.
सरकारी आंकड़ों में कहा गया है कि रविवार रात से जारी हिंसा में अब तक राज्य के अलग-अलग हिस्सों में 17 लोगों की मौत हो चुकी है. बीजेपी ने इनमें से नौ के अपना कार्यकर्ता होने का दावा किया है और टीएमसी ने सात के. बाकी एक व्यक्ति को इंडियन सेक्युलर फ्रंट का कार्यकर्ता बताया गया है.
हालांकि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि हिंसा की घटनाओं को बढ़ा-चढ़ा कर पेश कर बीजेपी बंगाल में राष्ट्रपति लागू शासन लागू कराने का प्रयास कर रही है.उनका यह भी कहना था कि "राज्य में चुनाव बाद हिंसा की कुछ घटनाएं जरूरी हुई हैं. लेकिन बीजेपी इस आग में घी डालने का प्रयास कर रही है. हिंसा उन इलाकों में ज्यादा हो रही है जहां बीजेपी जीती है. इस हिंसा को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिशें भी हो रही हैं. लेकिन हम ऐसा नहीं होने देंगे." लेकिन उन्हें सोचना होगा कि यह वक़्त आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति में उलझने की बजाय बंगाल को साम्प्रदायिकता की आग में झुलसने से बचाने का है.
तमाम दलों के नेताओ समेत फ़िल्म जगत से जुड़े लोगों ने भी बंगाल से आ रही हिंसा की ख़बरों पर अपनी चिंता ज़ाहिर करते हुए यही कहा है कि इसे रोकने के लिए हर मुमकिन सख्ती की जाए.बीजेपी इस हिंसा के लिए तृणमूल को ही दोषी ठहरा रही है.
पार्टी प्रवक्ता संबीत पात्रा ने अपने ट्वीट में आरोप लगाया है कि यह सब कुछ प्रायोजित है.उन्होंने लिखा है, "ये संयोग नहीं, प्रयोग है, प्रायोजित है. ममता जी ने चुनाव से पहले भाषण देते हुए कहा था कि चुनाव समाप्त होने के बाद सीआरपीएफ़ तो वापस चली जाएगी, उसके बाद का समय टीएमसी का होगा, हम भी देखेंगे. आज पूरा हिंदुस्तान और विश्व देख रहा है कि बंगाल में क्या हो रहा है."
इसके जवाब में तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने ट्वीट किया है, "बीजेपी की फ़ेक ट्रोल आर्मी देशभर में ये झूठी ख़बर फ़ैला रही है कि पश्चिम बंगाल कैसे जल रहा है. लेकिन ऐसा नहीं है. झूठ बोलना बंद कीजिए. इसी की क़ीमत आपने बंगाल में चुकाई है. आगे अब आप इसकी क़ीमत पूरे भारत में चुकाएंगे."
राजनीतिक पर्यवेक्षक पार्थ प्रतिम विश्वास कहते हैं, "हिंसा की ज्यादातर घटनाएं ग्रामीण इलाकों में हुई हैं. वहां स्थानीय लोगों की आपसी तनातनी इसकी प्रमुख वजह हो सकती है. यह संभव है कि शीर्ष नेताओं ने इसका समर्थन नहीं किया हो. लेकिन अब इन मामलों को अपने हित में भुनाने की कवायद तेज हो गई है. बंगाल में हम पहले भी फेक वीडियो और तस्वीरों के जरिए सांप्रदायिक हिंसा भड़काने की कोशिश देख चुके हैं. प्रशासन को ऐसे मामलों पर अंकुश लगाने के लिए कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए."
ये भी पढ़ें: जेपी नड्डा का दावा- बंगाल में TMC की जीत के बाद 80 हजार से 1 लाख लोग हमले के डर से घर छोड़कर भागे
![IOI](https://cdn.abplive.com/images/IOA-countdown.png)
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)
![शिवाजी सरकार](https://feeds.abplive.com/onecms/images/author/5635d32963c9cc7c53a3f715fa284487.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=70)