Durga Puja Organisers Grant: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने दुर्गा पूजा आयोजकों के लिए एक अच्छी खबर दी है. सीएम ममता (CM Mamata) ने एलान किया है कि राज्य के दुर्गा पूजा आयोजकों की ग्रांट बढ़ाई जा रही है. पूजा कमेटियों को पहले से मिल रही 50 हजार की राशि की जगह इस साल 60 हजार रुपए दिए जाएंगे.


सीएम ममता बनर्जी ने एलान किया है कि पश्चिम बंगाल में 30 सितंबर से 10 अक्टूबर तक पूजा की छुट्टियां रहेंगी, वहीं 8 अक्टूबर को रंगारंग कार्निवाल होगा. उन्होंने घोषणा करते हुए बताया कि 24- 25 अक्तूबर को काली पूजा और दिवाली की छूटी है. 27 को भाईदूज तथा 30-31 अक्टूबर को छठ पूजा की छुट्टी है.


बिजली बिल में भी 60 फीसदी की छूट


Unesco का आभार जताने के लिए 1 सितंबर को दोपहर जोड़ा सांको ठाकुरबाड़ी से शोभायात्रा निकाली जाएगी. इसमें 10 हजार बच्चे भाग लेंगे. वहीं नवान्न में दोपहर 1 बजे से छुट्टी होगी. सीएम के एलान के मुताबिक 43 हजार क्लबों को पूजा के लिए साठ-साठ हजार का सरकारी सहयोग मिलेगा. इसके साथ ही बिजली बिल में भी 60 प्रतिशत छूट की अनुशंसा की गई है.


पूजा कमेटियों को मिलने वाली ग्रांट बढ़ाने का एलान ऐसे वक्त में हुआ है, जब दुर्गा पूजा में कुछ ही दिन बचे हैं. दुर्गा पूजा को लेकर पश्चिम बंगाल में तैयारियां तेज हो गई हैं. कोरोना के चलते करीब दो साल बाद इस बार दुर्गा पूजा का आयोजन हो रहा है. इसको लेकर कोलकाता के लोगों में ही नहीं बल्कि आयोजकों मूर्तिकारों में भी खासा उत्साह नजर आ रहा है. लोग ज़ोर-शोर से तैयारियों में जुटे हैं, वहीं मूर्तिकार ओवरटाइम कर रहे हैं. दुर्गा पूजा कमेटियां बेहद एक्टिव हैं और त्योहार की तैयारियों में लगी हुई हैं. 


राज्य का सबसे बड़ा त्योहार है दुर्गा पूजा


दुर्गा पूजा राज्य का सबसे बड़ा त्योहार है और इसे यूनेस्को से भी हेरिटेज का टैग मिल चुका है. पूजा समितियों ने इस बार अपना बजट भी बढ़ाया है. इस बार दुर्गा पूजा के भव्य होने की वजह ये है कि पिछले 2 सालों में कोरोना के चलते दुर्गा पूजा का आयोजन नहीं हो सका था. ऐसे में इस साल दुर्गा पूजा राज्य में भव्य तरीके से आयोजित की जाएगी.


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ऑर्ड्स में हुआ इजाफा, दो साल की सुस्ती दूर


मूर्तिकारों का कहना है कि इस बार काफी ऑर्डर मिल रहे हैं, पिछले 2 सालों से जो सुस्ती थी वो अब दूर हो गई है. रिपोर्ट्स के मुताबिक पश्चिम बंगाल में हर साल करीब 37,000 सामुदायिक पूजा का आयोजन होता है. इन पूजा आयोजनों में से करीब 2,500 सिर्फ कोलकाता शहर में ही आयोजित होते हैं.


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