कोलकाता: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शनिवार को राज्यपाल जगदीप धनखड़ पर आरोप लगाया कि वह कोरोना वायरस संकट के दौरान 'सत्ता हड़पने' की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि उनके और राज्य मंत्रियों व अधिकारियों के खिलाफ राज्यपाल के बयानों को 'अपमानजक' करार दिया जा सकता है.
इसके जवाब में राज्यपाल ने कहा कि 'यह झगड़ने का समय नहीं है.' उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री का पत्र ''तथ्यों और कानून, दोनों आधार पर मजबूत नहीं है''. उन्होंने कहा कि वह उत्तर भेजेंगे क्योंकि वह ''ऐसी बात को स्वीकार नहीं कर सकते जो संविधान के मूल को कमजोर करती है''.
मुख्यमंत्री को पिछले हफ्ते राज्यपाल ने दो पत्र भेजे थे, जिसके बाद ममता ने यह तीखी टिप्पणी की है. दरअसल, कोविड-19 के प्रसार के प्रति पश्चिम बंगाल सरकार की प्रतिक्रिया के मद्देनजर राजभवन और नबन्ना (राज्य सचिवालय) के बीच तकरार चल रही है.
ममता ने धनखड़ को 13 पृष्ठों के अपने जवाब में कहा, ''एक राज्यपाल से एक निर्वाचित मुख्यमंत्री को इस तरह के शब्द और इस तरह की विषय-वस्तु, अभिप्राय और लहजे वाले पत्र भारत के संवैधानिक एवं राजनीतिक इतिहास में पूर्ण रूप से अप्रत्याशित हैं.'' उन्होंने कहा, ''मेरे और मेरे मंत्रियों व मेरे अधिकारियों के खिलाफ आपके (राज्यपाल के) शब्द अपमानजनक, असयंमित, भयादोहन करने वाले और निंदनीय बताये जा सकते हैं.''
संवैधानिक नियमों का पालन किये बगैर उसका प्रवचन देते हैं राज्यपाल- ममता
ममता ने राज्यपाल पर उपदेश देने और संवैधानिक नियमों का खुद पालन किये बगैर उसका प्रवचन देने और उल्लंघन करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि राज्यपाल उनकी (मुख्यमंत्री की) नीतियों से सहमत नहीं हो सकते हैं, लेकिन दुर्भाग्य से इसे उनके संज्ञान में लाने के अलावा उनके पास और कोई शक्ति नहीं है.
मुख्यमंत्री ने कहा, ''संकट की इस घड़ी में सत्ता हड़पने की अपनी कोशिशों तेज करने से बाज आने की मैं आपसे विनती करती हूं...आपको सोशल मीडिया पर अपने लगातार ट्वीट में आधिकारिक पत्र/ लोगो इस्तेमाल करने से दूर रहना चाहिए.'' इस बीच, राज्य बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा, ''राज्यपाल ने राज्य सरकार की विफलताओं पर उंगली उठाकर सही किया. मुख्यमंत्री इन पत्रों के जरिए ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही हैं.'' तृणमूल के नेता पार्थ चटर्जी ने कहा कि राज्यपाल विपक्ष के नेता की तरह व्यवहार कर रहे हैं.
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