(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
New Parliament Inauguration: नई संसद के उद्घाटन पर सीएम ममता बनर्जी का तंज, कुछ लिखे बगैर दो तस्वीरें शेयर कीं
Parliament Building Inauguration: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी उन नेताओं में शुमार थीं जिन्होंने नई संसद के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार किया था.
Mamata Banerjee On New Parliament Inauguration: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नई संसद के उद्घाटन को लेकर पीएम मोदी (PM Modi) पर तंज कसा. टीएमसी चीफ ने सोमवार (29 मई) को ट्विटर पर दो फोटो शेयर कीं. जिसमें एक फोटो में देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू अपनी कैबिनेट के साथ हैं जिस पर लिखा है 'आजादी के बाद' और दूसरी फोटो संसद के नए भवन के उद्घाटन की है. इसमें पीएम मोदी अधीनम (पुजारियों) और केंद्रीय मंत्रियों के साथ खड़े हैं. इस फोटो पर 'और अब' लिखा है.
प्रधानमंत्री मोदी ने रविवार (28 मई) को संसद के नए भवन का उद्घाटन किया था. इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, अमित शाह, एस. जयशंकर और जितेंद्र सिंह, कई राज्यों के मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा मौजूद रहे. कांग्रेस, टीएमसी समेत कई विपक्षी दलों ने इस समारोह का बहिष्कार किया था. इन दलों की मांग थी कि नए भवन का उद्घाटन पीएम की जगह राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को करना चाहिए.
नई संसद के उद्घाटन पर टीएमसी का क्या कहना?
टीएमसी ने कहा था कि प्रधानमंत्री मोदी की ओर से नए संसद भवन का उद्घाटन और लोकसभा कक्ष में ऐतिहासिक राजदंड सेंगोल स्थापित करने से पता चलता है कि इस तरह के एक महत्वपूर्ण अवसर के दौरान प्रधानमंत्री की प्रवृत्ति पूरी तरह सुर्खियों में रहने की होती है. तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य एवं राष्ट्रीय प्रवक्ता सुखेंदु शेखर रॉय ने कहा था कि संसद भवन के उद्घाटन पर कुछ धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन भी भारतीय संविधान की प्रस्तावना के खिलाफ है जो इसे एक धर्मनिरपेक्ष, समाजवादी और लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में वर्णित करता है.
— Mamata Banerjee (@MamataOfficial) May 29, 2023
अभिषेक बनर्जी ने भी साधा निशाना
वहीं टीएमसी नेता अभिषेक बनर्जी ने कहा था कि नए संसद भवन के भव्य उद्घाटन के लिए धार्मिक नेताओं और पुजारियों को आमंत्रित किया गया, लेकिन देश की संवैधानिक प्रमुख भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को नहीं बुलाया गया. जब आप किसी मंदिर में जाते हैं तो आप निश्चित रूप से उन्हें आमंत्रित कर सकते हैं, लेकिन धार्मिक नेताओं की संसद में क्या भूमिका है, वे सदस्य नहीं हैं. वह (मोदी) देश को लोकतंत्र से निरंकुशतंत्र में बदलना चाहते हैं. यह शर्मनाक है और दुखद स्थिति है.
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