CAA Implementation: केंद्र सरकार की तरफ से नागरिकता संशोधन एक्ट यानी सीएए लागू कर दिया गया है. मगर इसे लेकर शुरू हुआ विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. सीएए का विरोध करने वाले नेताओं में सबसे मुखर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हैं. उन्होंने यहां तक कह दिया है कि बीजेपी इसके जरिए बंगाल में नए सिरे से विभाजन करना चाहती है. संसद से 2019 में पारित होने वाले इस कानून को लेकर ममता लगातार सरकार को निशाने पर ले रही हैं. 


पश्चिम बंगाल में जनसभा को संबोधित करते हुए ममता ने मंगलवार (12 मार्च) को कहा कि सीएए केंद्र सरकार के जरिए बिछाया गया जाल है. उन्होंने लोगों से इसमें नहीं फंसने की अपील की. उन्होंने लोगों को संबोधित करते हुए कहा, 'इस रास्ते पर नहीं चलना. जैसे ही आप सीएए के तहत एप्लिकेशन सब्मिट करेंगे, आप वैसे ही विदेशी बन जाएंगे. आप अपना मौजूदा वोटर कार्ड, आधार कार्ड खो देंगे. आपके जरिए खरीदी गई जमीन और संपत्तियों का क्या होगा?'


दो सीटों के लिए लोगों को बांटने की चाल: ममता


ममता ने कहा कि सीएए उम्मीदवार सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के लिए भी अयोग्य बन जाएंगे, क्योंकि उनकी नागरिकता पर सवाल उठने लगेगा. सीएए को भेदभावपूर्ण कानून बताते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि यह सिर्फ दो लोकसभा सीटों की खातिर बंगाल के लोगों को बांटने की एक चाल है. बंगाल की मुख्यमंत्री ने कानून पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह धर्म के आधार पर लोगों के साथ भेदभाव करता है और पूरी तरह से असंवैधानिक है. 


'हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच दरार पैदा करने की कोशिश'


मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि सीएए को सोमवार को नोटिफाई किया गया, क्योंकि इस दिन से रमजान शुरू हो रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि बीजेपी ने ऐसा इसलिए किया, ताकि वह हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच दरार पैदा कर सके. उन्होंने असम में हुए एनआरसी के बारे में बात करते हुए कहा कि मैं अपनी जान दे दूंगी, लेकिन किसी को भी डिटेंशन कैंप में नहीं जाने दूंगी. असम में हुई एनआरसी में 13 लोगों के नाम जनसंख्या रजिस्टर से गायब हो गए थे. 


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