नई दिल्ली: नागरिकता कानून को लेकर एक तरफ लोगों में जश्न का माहौल है. वहीं कुछ जगहों पर इसे लेकर लोगों के अंदर आक्रोश दिख रहा है. कुछ राज्यों में प्रदर्शनकारी इस कानून का विरोध कर रहे हैं. इस प्रदर्शन से लोगों को खासी परेशानी हो रही है. कई ट्रेनें रद्द कर दी गई हैं. पश्चिम बंगाल में विरोध प्रदर्शन के बाद सीएम ममता बनर्जी ने प्रदर्शनकारियों को संवैधानिक तौर-तरीके से प्रदर्शन करने की हिदायत दी है.
लेकिन ममता के राज्य में हो रहे प्रदर्शनों को रोकने में पुलिस नाकाम रही है. हर दिन प्रदर्शनकारी सार्वजनिक संपत्ति के साथ तोड़फोड़ कर रहे हैं. ममता बनर्जी ने अब तक इसे लेकर कोई कड़ा कदम नहीं उठाया है. विपक्षी पार्टियों ने तृणमूल कांग्रेस सरकार पर स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कुछ नहीं करने और राज्य को जलने देने का आरोप लगाया है.
ममता बनर्जी ने संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ राज्य में विभिन्न स्थानों पर हिंसक प्रदर्शन और तोड़फोड़ करने वालों को शनिवार को कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी. बनर्जी ने लोगों से शांति बनाये रखने और लोकतांत्रिक तरीके से प्रदर्शन करने की अपील की. मुख्यमंत्री ने शनिवार को दूसरी बार बयान जारी कर कहा, ''मैं फिर आप सबसे अपील करती हूं कि हिंसा नहीं करें और लोक व्यवस्था में बाधा नहीं डालें तथा शांति बनाएं रखें.'' उन्होंने कहा, सरकारी और निजी संपत्ति में किसी भी तरह की तोड़फोड़ को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और कानून के मुताबिक सख्ती से निपटा जाएगा.
बनर्जी ने कहा, ''कानून अपने हाथ में मत लीजिए. सड़क और रेल यातायात जाम मत कीजिए. सड़कों पर आम लोगों के लिए परेशानी खड़ी मत कीजिए.'' उन्होंने कहा, ''जो लोग परेशानियां खड़ी करने के दोषी पाये जायेंगे, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.'' मुख्यमंत्री ने दोहराया कि संशोधित नागरिकता कानून और प्रस्तावित देशव्यापी एनआरसी का राज्य में कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.
विपक्षी बीजेपी और सीपीआईएम ने बनर्जी की अपील पर तीखी प्रक्रिया देते हुए कहा कि राज्य सरकार हालात पर काबू पाने में नाकाम रही है. बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव राहुल सिन्हा ने कहा कि अगर ऐसी स्थिति रहती है तो पार्टी के पास राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग करने के सिवाए कोई और विकल्प नहीं रह जाएगा. सीपीआईएम के राज्य सचिव सूर्य कांत मिश्रा ने आरोप लगाया कि तृणमूल कांग्रेस ने जानबूझकर स्थिति को काबू करने के लिए कुछ नहीं किया.
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