कोलकाताः कोलकाता के कसबा में कोरोना वैक्सीन का कैंप लगाने वाले फर्जी आईएएस अधिकारी देबांजन देब मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट के समक्ष अधिवक्ता संदीपन दास द्वारा एक जनहित याचिका दायर की गई है. इसमें राज्य में वैक्सीन घोटाले की सीबीआई द्वारा स्वतंत्र जांच की मांग की गई है.


फर्जी आईएएस अधिकारी देबांजन देब को लेकर तरह-तरह के राज खुल रहे हैं. जांच के दौरान उस पर 90 लाख रुपए की धोखाधड़ी करने का भी आरोप लगा है. कोलकाता पुलिस को देबंजन देब के दिए बयान के अनुसार, "देबंजन देब के पिता एक उप आबकारी अधिकारी थे, जो चाहते थे कि वह एक सरकारी अधिकारी बने. वह यूपीएससी के लिए उपस्थित हुए, क्रैक नहीं कर सके. अपने पिता से कहा कि उसने यूपीएससी क्रैक किया है. जिसके बाद 2014-17 के बीच, वह इवेंट मैनेजमेंट में थे, जहां उन्होंने सरकार के I & CA विभाग के कार्यों में काम किया. फिल्म समारोहों के दौरान कई स्थानीय स्तर के नेताओं और अधिकारियों से मुलाकात की.


कोरोना में शुरू किया नकली सैनिटाइजर का कारोबार
देबांजन ने पिछले साल कोरोना में सैनिटाइजर का कारोबार शुरू किया था और जिसके लिए उसने किराए पर एक गोदाम भी लिया,लेकिन वह सैनिटाइजर भी नकली था. इन सभी उत्पादों को उसी जगह रख दिया करता था गोदाम के मालिक को अपनी नकली आईएएस पहचान नहीं दिखाई और अच्छा खासा लाभ भी कमाया. उनके कार्यालय से बरामद सैनिटाइजर के नमूनों की जांच की गई और उनमें एथिल अल्कोहल नहीं पाया गया. उसमें हाइड्रोजन पेरोक्साइड पाया गया, जिसका उपयोग घरों को कीटाणुरहित करने के लिए किया जाता है. 


बीजेपी ने पूरे मामले की जांच की मांग की
इस बीच, बीजेपी के नेता और विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने ट्वीट कर पूरे मामले की जांच की मांग की है.



 यही नहीं, उसने महामारी के दौरान मुफ्त मास्क और भोजन वितरित किया था. लोगों के बीच अपने आप को केएमसी का कार्यकर्ता बताया.  नेताओं से संपर्क किया और कहा कि वह एक सामाजिक कार्यकर्ता है और लोगों की मदद करता है. उसने कार्यालय परिसर में अर्बन प्लानिंग एनजीओ नाम का बोर्ड लगाए. 12 लोगों को स्टाफ के रूप में भर्ती किया. गंगा सागर मेले में मास्क बांटे, एनजीओ के पास कोई आधिकारिक लाइसेंस नहीं था.


टीके के कोई कागजात नहीं दिखा सका
वहीं, दूसरी लहर से पहले जिन लोगों की उसने मदद की, उनमें से बहुत से लोगों ने उनसे वैक्सीन के लिए संपर्क किया. उसने लोगों से कहा कि वह मदद करेगा और टीके खरीदे. उसका दावा है कि यह असली है लेकिन वह अपने टीके के कोई कागजात नहीं दिखा सका. 


लोगों को ठेके दिलाने के नाम पर ठगा
देबांजन देब स्वीकार किया कि जब वह ध्यान आकर्षित कर रहा था तो वह सम्मानित महसूस कर रहा था. उसने जो फर्जी पहचान बनाई, वह केएमसी ठेकेदारों से कहता था कि वह टेंडरों के लिए सब कॉन्ट्रैक्ट लेगा. उसने दो लोगों से की आर्थिक ठगी की. एक से 10 लाख रुपये और दूसरे से 90 लाख रुपये ठगे गए. हालांकि, 90 लाख में से बैंक खाते में 36 लाख भेजे गए.


कोविशील्ड की जगह दी दूसरी इंजेक्शन
दूसरी ओर, गिरफ्तार फर्जी आईएएस अधिकारी देबांजन देब के खिलाफ कोलकाता के मोचीपाड़ा में आईएमए की ओर से एमपी शांतनु सेन ने एफआईआर दर्ज कराई है. टीएमसी एमएलए लवली मोइत्रा ने भी सोनारपुर थाने में उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है. बता दें कि  देबांजन देब द्वारा आयोजित कोरोना वैक्सीन कैंप में टीएमसी सांसद मिमी चक्रवर्ती सहित अन्य को कोविशील्ड की जगह Amikacin Injection दी गई थी.


कई नेताओं के साथ हैं तस्वीरें
फर्जी आईएएस अधिकारी देबांजन के ट्वीटर अकाउंट में उसकी टीएमसी के कई मंत्रियों और नेताओं के साथ तस्वीरें हैं. इनमें मंत्री फिरहाद हकीम, मंत्री सुब्रत मुखर्जी से लेकर सांसद डॉ शांतनु सेन आदि शामिल हैं. हालांकि टीएमसी के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि ये तस्वीरें कार्यक्रमों के दौरान ली गई हैं. देबांजन के बारे में उनके पास कोई जानकारी नहीं हैं और न ही वे उसे जानते हैं.



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