कोलकाता: पश्चिम बंगाल में आने वाले कुछ ही दिनों में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान किया जाएगा. वहीं इससे पहले राजनीतिक पार्टियां अपने उम्मीदवारों को टिकट सौंप रही हैं. हालांकि इस बार के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की ओर से टिकट बंटवारे में कई हैरानी वाली फैसले लिए गए हैं. इनमें से एक चौंकाने वाला फैसला यह भी है कि बीजेपी ने इस बार एक ऐसी महिला को विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाया है तो बर्तन मांजने का काम करती हैं.
पश्चिम बंगाल के चुनाव में इस बार बीजेपी में बर्तन मांजने वाली महिला को बीजेपी उम्मीदवार बनाया है. इस महिला के पास सिर्फ 6 साड़ियां हैं और करीब 3 हजार रुपये की इनकी आय है. इनका नाम कलिता माझी है, जिसे बीजेपी ने विधानसभा चुनाव में टिकट दी है. कलिता पिछले 2 दशकों से लगातार बर्तन मांजकर अपना घर चला रही हैं. वह एक किसान की बेटी हैं और प्लंबर की पत्नी हैं.
32 वर्षीय कलिता माझी अपने मालिक के घर में बर्तन मांज रही थी, जब उनको किसी ने बताया कि वो बीजेपी की उम्मीदवार है. जब फोन की घंटी बजी और किसी ने कहा कि वह बीजेपी की आउसग्राम विधानसभा सीट की उम्मीदवार हैं तो उन्हें एक बार के लिए मजाक लगा और वह दूसरे घर बर्तन मांजने के लिए चली गई. पिछले दो दशकों से वह हर रोज करीब 4 से 6 घरों में बर्तन मांजती हैं और महीने का 2 से 3 हजार रुपये कमा लेती हैं.
हालांकि जिंदगी ने उनके साथ कोई मजाक नहीं किया बल्कि यह एक सत्य घटना है. कलिता जब तक घर लौटीं, तब तक घर पर सैकड़ों समर्थकों का जमावड़ा था. ललिता को खुद ही विश्वास नहीं हो रहा था कि बीजेपी ने उन्हें आउसग्राम विधानसभा सीट से उम्मीदवार बना दिया.
पीएम मोदी का धन्यवाद
वहीं बीजेपी की टिकट मिलने के बाद कलिता ने पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद किया. साथ ही उन्होंने कहा अगर उन्हें जीत मिली तो इलाके में अस्पताल बनाएंगे. आउसग्राम सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. वहीं बीजेपी को यह विश्वास है कि इस बार एक ऐसे उम्मीदवार का नाम देकर उन्हें बढ़त हासिल होगी और फायदा भी होगा.
बता दें कि कलिता माझी एक झोपड़ी में रहती हैं. कुल मिलाकर उनके पास 6 साड़ियां हैं. जनधन अकाउंट में कुछ हजार रुपये हैं और यह जनधन अकाउंट पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कहने के बाद उन्होंने बनवाया था, जिसमें करीब अब तक 1500 रुपये केंद्र सरकार से मिले हैं. एक बीजेपी कार्यकर्ता होने के नाते कलिता के पास कुल मिलाकर घर चलाने के लिए इतने ही पैसे रहते हैं. वहीं वह अपनी पूरी पूंजी 7000 रुपये मान रही हैं.
चौंकाने वाली बात यह है कि इन 6 साड़ियों में सबसे महंगी साड़ी 400 रुपये की है, जो पिछले साल मिले बोनस के बाद उन्होंने खरीदी थी. कलिता बताती हैं कि वो सात बहनें और एक भाई है. गरीबी के कारण वो पढ़ाई नहीं कर सकीं. कलिता सिर्फ कक्षा पांच तक ही पढ़ी हैं.