नई दिल्लीः पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में जीतने के लिए बीजेपी पूरी ताकत झोंक रही है तो तृणमूल कांग्रेस तीसरी बार सत्ता में आने के लिए जोर लगा रही है. तृणमूल कांग्रेस की चुनावी रणनीति बनाने में प्रशांत किशोर अहम भूमिका निभा रहे हैं. टीमएसी से पहले प्रशांत बीजेपी सहित कई पार्टियों के लिए काम कर चुके हैं. प्रशांत किशोर दावा करते रहे हैं कि पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में टीमएसी की जीत होगी. प्रशांत ने टेलीग्राफ से कहा कि बंगाल का चुनाव इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि इससे तय होगा कि भारत वन नेशन, वन पार्टी स्टेट बनेगा या नहीं.


चुनाव परिणाम का बंगला के बाहर भी पड़ेगा असर
प्रशांत के अनुसार, यह चुनाव देश में लोकतंत्र की ट्रेजेक्टरी को परिभाषित करेगा. बंगाल एक क्रिटिकल माइलस्टोन है जहां हम एक राष्ट्र के रूप में नेतृत्व कर रहे हैं. इसका अर्थ होगा कि भारत बहुदलीय लोकतंत्र की जीवंतता को बनाए रखेगा या वन नेशन, वन पार्टी स्टेट बन जाएगा. इससे पता चलता है कि यह चुनाव कितना महत्वपूर्ण है. तृणमूल के लिए बंगाल में बीजेपी से हारने का मतलब होगा कि एक शैडो कास्ट बहुत व्यापक है. इसका बंगाल के बाहर बहुत बड़ा मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ेगा.


बीजेपी हार के बाद भी ताकतवर बनी रहेगी लेकिन दूसरे दल नहीं
प्रशांत ने कहा कि बंगाल में टीएमसी हारती है तो यह बीजेपी को चुनौती देने की व्यवहार्यता पर सवाल खड़ा करेगा और कई दूसरे लोग दबाव में आ जाएंगे या फिर उनका मनोबल गिर जाएगा. प्रशांत ने इसके लिए 2017 में उत्तरप्रदेश में बीजेपी की जीत का उदाहरण दिया. उन्होने कहा कि बीजेपी की भारी जीत ने नीतीश कुमार के अचानक एनडीए में जाने के फैसले में कुछ भूमिका निभाई. उन्होंने कहा कि भाजपा इस चुनाव को हार भी एक मजबूत नेशनल पॉवर बनी रह सकती है, लेकिन दूसरी पार्टी नहीं. यही लड़ाई हम लड़ रहे हैं.


ममता भरोसेमंद लीडर
प्रशांत के मुताबिक, बीजेपी बंगाल में ही जीत सकती थी अगर तृणमूल कॉलेप्स हो जाती लेकिन ऐसा नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी वाइल्डली अनपॉपुलर लीडर नहीं बनी हैं, उनके या तृणमूल के खिलाफ कोई व्यापक गुस्सा नहीं है .राज्य में "ममता हटाओ" मूड नहीं है. वह भरोसेमंद लीडर बनी हुई हैं.


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