पहले ये जान लें कि आखिर बीजेपी का यूपी फॉर्मूला क्या था, जिसकी बदौलत राज्य में पार्टी का 14 सालों का सत्ता का वनवास खत्म हुआ. इससे बीजेपी को 300 से अधिक सीटों पर कामयाबी मिली. दरअसल, यूपी मॉडल में सबसे पहले पार्टी ने राज्य के चार अलग-अलग कोनों से रथ यात्रा शुरू की थी. इसका नाम परिवर्तन यात्रा दिया गया था. पहली यात्रा पश्चिमी यूपी के सहारनपुर से रवाना हुई थी. तब के पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने 'न गुंडाराज न भ्रष्टाचार, अबकी बार बीजेपी सरकार' का नारा दिया था. वहीं ललितपुर से दूसरी, बलिया से तीसरी और सोनभद्र से चौथी रथयात्रा निकली थी.
परिवर्तन रैलियां
यात्रा के दौरान जगह-जगह परिवर्तन रैलियां हुई थीं. यात्रा का समापन लखनऊ में 2 जनवरी 2017 को हुआ था. खुद पीएम नरेंद्र मोदी ने इस रैली को संबोधित किया था. इससे राज्य में अखिलेश सरकार के खिलाफ बीजेपी माहौल बनाने में कामयाब रही थी. उन दिनों अखिलेश यादव परिवार के झगड़े में फंसे हुए थे. वहीं पीएम मोदी चुनावी मंचों से कहा करते थे कि अखिलेश परिवार बचाने में और मायावती पैसा बचाने में लगी हैं. तब राज्य के सभी 403 विधानसभा सीटों से होकर परिवर्तन यात्रा गुजरी थी.
इस बार यूपी की तरह ही बीजेपी ने बंगाल में परिवर्तन यात्रा शुरू करने का फैसला किया है. ये यात्रा 5 फरवरी से शुरू हो रही है. पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा इसकी शुरुआत करेंगे. इसके बाद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह 10 फरवरी को दूसरी रथयात्रा को रवाना करेंगे. हाल ही में दिल्ली में बीजेपी हेडक्वार्टर में पार्टी नेताओं की बैठक में विस्तार से इस पर चर्चा हुई. पार्टी ने बंगाल के लिए 5 जगहों से परिवर्तन रथयात्रा निकालने का ऐलान किया है. यह तय हुआ कि यात्रा सभी 294 विधानसभा क्षेत्रों से होकर गुजरेगी. यात्रा के दौरान कई शहरों में परिवर्तन रैलियां होंगी. मोदी सरकार के बड़े मंत्रियों से लेकर पार्टी के नेता इसमें शामिल होंगे. इस दौरान सीएम ममता बनर्जी सरकार के भ्रष्टाचार से लेकर उनके परिवारवाद पर हमले किए जाएंगे.
बीजेपी खेमे में आए कई नेता
इस बीच बंगाल में यूपी मॉडल पर चलते हुए बीजेपी ने टीएमसी नेताओं को तोड़ने का सिलसिला जारी रखा है. ममता बनर्जी के करीबी रहे शुभेंदु अधिकारी समेत टीएमसी के कई विधायक बीजेपी खेमे में आ चुके हैं. इसी तह से बीजेपी ने यूपी में विपक्ष के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य समेत कई नेताओं को पार्टी में शामिल कराया था. ऐसा करने से ये मैसेज जाता है कि विपक्ष के कैंप में खलबली मची है. ऐसा ही मैसेज बंगाल में देने की भी कोशिश की जा रही है.
यूपी चुनाव के दौरान पार्टी अध्यक्ष रहते अमित शाह ने मंडलों में जाकर बूथ कार्यकर्ताओं संग बैठक की थी. ये मीटिंग तो कभी-कभी सवेरे तीन बजे तक चला करती थी. ठीक ऐसा ही जेपी नड्डा बंगाल में भी कर रहे हैं. यूपी में बीजेपी ने मायावती और अखिलेश यादव के खिलाफ मजबूत सामाजिक समीकरण बनाया था. छोटी-छोटी पिछड़ी और दलित जातियों को जोड़ा था. इसी फॉर्मूले पर पार्टी बंगाल में काम कर रही है. यूपी में पार्टी ने तीन सौ प्लस सीटें जीतने का लक्ष्य रखा था. नतीजे ऐसे ही रहे. बंगाल में बीजेपी का टार्गेट दो सौ प्लस है.
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