West Bengal Election Result: पीएम मोदी के बाद 'दीदी' ही हैं देश की ताकतवर नेता!
पश्चिम बंगाल के चुनाव नतीजों ने तीसरी बार फतह करके ममता बनर्जी ने जवाब दे दिया है कि वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद देश की बड़ी व ताकतवर नेता हैं.
नई दिल्लीः पश्चिम बंगाल के चुनाव नतीजों ने देश की सियासत में अब नंबर दो की इस बहस को खत्म कर दिया है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बाद कौन सर्वमान्य नेता है. बंगाल का किला तीसरी बार फतह करके ममता बनर्जी ने जवाब दे दिया है कि मोदी के बाद वहीं देश की बड़ी व ताकतवर नेता हैं.
एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार और नीतीश कुमार से लेकर अरविंद केजरीवाल के नंबर दो बनने के दावों को हाशिये पर धकेलते हुए बंगाल की जनता ने देश को यह संदेश दे दिया है कि 2024 का लोकसभा चुनाव भी अब मोदी बनाम ममता के बीच ही होगा. बंगाल का चुनाव जितना बीजेपी के लिए महत्वपूर्ण था उससे कहीं ज्यादा ममता के राजनीतिक भविष्य के जीवन-मरण का सवाल बन गया था.
लेकिन इन नतीजों ने ममता के हौसले को जिस बुलंदी पर पहुंचाया है वह राष्ट्रीय राजनीति में एक नए अध्याय की शुरुआत करेगा. साथ ही ज़ाहिर है कि समूचे विपक्ष के पास 2024 में ममता बनर्जी को प्रधानमंत्री का उम्मीदवार बनाने के सिवा और कोई नाम नहीं होगा.
नतीजों का देश के जनमानस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा- बीजेपी
हालांकि इस चुनाव में बीजेपी के पास खोने के लिए कुछ नहीं था लेकिन मोदी-अमित शाह की जोड़ी ने इसे इतना महत्वपूर्ण बना दिया था मानो यह सिर्फ एक प्रदेश का नहीं बल्कि पूरे देश का चुनाव हो. शायद यही वजह थी कि यहां के नतीजे जानने पर बंगाल से बाहर भी लोगों की इतनी गहरी दिलचस्पी थी. ऐसा पहली बार देखने को मिला.
बीजेपी के नेता अब तर्क दे रहे हैं इन नतीजों का देश के जनमानस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि यह महज एक राज्य का विधानसभ चुनाव था. लेकिन इस तथ्य से इंकार नहीं किया जा सकता कि पार्टी ने कुछ खोने के लिए नहीं बल्कि बंगाल की सत्ता कब्जाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी थी. साथ ही दो सौ से ज्यादा सीटें पाने के दावे को इतनी बार दोहराया गया जो अब बैक फायर के रुप में सामने आया है.
पार्टी नेता अब तर्कों के सहारे साख बचाने की चाहे जितनी कोशिश कर लें लेकिन सच तो यह है कि अगले साल उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब आदि राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में इसका कुछ असर अवश्य ही पड़ेगा.
घायल शेरनी ज्यादा खतरनाक होती है- ममता
आखिर क्या कारण रहा कि 2014 व 2019 के लोकसभा चुनाव में लोगों की नब्ज समझकर अपनी चुनावी रणनीति बनाने वाली बीजेपी बंगाल के लोगों का मूड समझने में फेल हो गई. राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि इसकी एक बड़ी वजह बीजेपी के राष्ट्रीय नेताओं का अति आत्मविश्वासी होना भी था. प्रदेश स्तर के नेता अपने आलाकमान को सही फीडबैक देने से डरते-कतराते नजर आये. उसका परिणाम ये हुआ कि पार्टी के प्रदेश प्रभारी महामंत्री से लेकर कोई एक भी नेता दीदी के अंडर करंट को समझने में नाकामयाब रहे.
चोट लगने के बाद प्लास्टर बंधे पैर से चुनाव-प्रचार करने का दीदी को कितना फायदा मिला फ़िलहाल इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है लेकिन ममता का आक्रामक अंदाज लोगों को यह भरोसा दिलाने में कामयाब रहा. पूरी पार्टी व सरकार मिलकर बंगाल की शेरनी को घायल करना चाहते हैं. चोट लगने के बाद ममता ने कहा था कि "घायल शेरनी ज्यादा खतरनाक होती है." बंगाल की जनता ने उसी अंदाज में बीजेपी को इसका जवाब देने में कोई कंजूसी नहीं बरती.
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