पश्चिम बंगाल में तीसरी बार विधानसभा का चुनाव जीतने के लिए दमखम के साथ उतरी ममता बनर्जी की अगुवाई वाली राज्य की सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस की राह इस बार इतना आसान नहीं है. एक तरफ 10 साल का एंटी इंकबैंसी फैक्टर तो दूसरी तरफ कांग्रेस-लेफ्ट के खिसकता जनाधार के बीच तेजी से राज्य में उभरी भारतीय जनता पार्टी. बीजेपी ने इस चुनाव में केन्द्रीय मंत्रियों से लेकर राज्य स्तर के नेताओं को उतारकर तक ना सिर्फ पूरी ताकत झोंक दी है बल्कि ममता सरकार को चुनाव में बेदखल करने के लिए टीएमसी के बड़े नेताओं को तोड़कर उसे कमजोर करने में भी लगी हुई है.


लेकिन, अब तक एबीपी न्यूज सी-वोटर की तरफ से जनवरी से मार्च के बीच तीन बार बंगाल चुनाव को लेकर ओपिनियन पोल कराए गए हैं. इस ओपिनियन पोल में टीएमसी की सीटें भले ही पिछली बार की तुलना में कम आती दिख रही हो, लेकिन इसके हिसाब से राज्य में ममता की सरकार बनती हुई दिखाई दे रही है. उसके बावजूद ममता के खेमे में एक बड़ी बेचैनी है.


आइये आपको बताते हैं क्या है एबीपी न्यूज के चुनाव पोल के आंकड़े, जिसमें बन रही ममता की सरकार और क्यों ममता के खेमे में एक बेचैनी दिख रही है? और इसको लेकर क्या कहना है बंगाल चुनाव में पैनी नजर रखने वाले राजनीतिक विश्लेषक प्रदीप सिंह और अभय दूबे का?


ओपिनियन पोल में बढ़ रहे टीएमसी के आंकड़े


एबीपी न्यूज सी-वोटर की तरफ से जनवरी में जब ओपिनयन पोल किया गया था, उस वक्त टीएमसी को 154-162 सीटें जीतने का अनुमान लगाया गया था. जबकि, बीजेपी को 98-106 सीटें दी गई. तो वहीं कांग्रेस-लेफ्ट गठबंधन के खाते में 26-34 सीटें दी गई थी.


एक महीने बाद जब फरवरी में बंगाल में ओपिनियन पोल कराया गया तो टीएमसी के खाते में 148-164 सीटें, बीजेपी के पक्ष में 92-108 सीटें तो वहीं कांग्रेस-लेफ्ट के खाते में 31-39 सीटें आने का अनुमान लगाया गया.  लेकिन जब मार्च में यही ओपिनियन पोल किया गया तो टीएमसी के खाते में 150-166, बीजेपी के खाते में 98-114 तो वहीं कांग्रेस-लेफ्ट गठबंधन के पक्ष में 23-31 सीटें आने का अनुमान लगाया गया.


फिर क्यों ममता को डर?


दरअसल, पश्चिम बंगाल में बीजेपी का तेजी से साथ उभार हुआ है. 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने राज्य की कुल 42 सीटों में से 18 सीटों पर जीत दर्ज की थी. इस लोकसभा चुनाव के दौरान टीएमसी को जहां 43.69 फीसदी वोट मिले थे तो वहीं बीजेपी ने कांग्रेस और लेफ्ट को पीछे छोड़ते हुए कुल 40.64 फीसदी वोट हासिल की थी. जबकि, इस चुनाव में कांग्रेस पार्टी को 5.67 फीसदी और लेफ्ट को 6.34 फीसदी वोट मिले थे. यानी, कांग्रेस और लेफ्ट गठबंधन के कुल वोट 10 फीसदी रहे.


 ऐसे में राजनीतिक विश्लेषक प्रदीप सिंह की मानें तो वो ये कहते हैं कि ओपिनियन पोल एक संकेतक होता है, उससे कई बार सही आंकड़े नहीं मिल पाते हैं. लेकिन अगर ओपिनियन पोल में बीजेपी आगे बढ़ रही है तो इसमें हैरानी नहीं होनी चाहिए कि वह सरकार बनाने के पॉजिशन में आ जाए.


प्रदीप सिंह बताते है कि पहली बार राज्य में जब किसी दल का उभार होता है तो एग्जिट पोल में उसे बहुमत में नहीं बताया जाता है, लेकिन उसे उभरते हुए दल के तौर पर बताया जाता है. उन्होंने इसका उदाहरण दिल्ली में आम आदमी पार्टी को लेकर दिया.


क्या ममता के खिलाफ चल रही चुनाव बयार?


इस बारे में अभय दूबे यह बताते हैं कि ओपिनियन पोल के हिसाब से भले ही बंगाल में ममता की सरकार बन रही हो, लेकिन वहां के बारीकी से समझने यह मानते हैं कि राज्य में ममता के खिलाफ जबरदस्त लहर है. वह ये बताते हैं कि राज्य में ममता कि पिछले 10 साल से सरकार है. एंटी इंकबैंसी फैक्टर का ममता इस बार के चुनाव में सामना कर रही है. ऐसे में अगर कांग्रेस-लेफ्ट गठबंधन के वोटर बीजेपी की ओर शिफ्ट करते हैं तो ममता की गद्दी खिसक सकती है. यहीं इस चुनाव में ममता बनर्जी को सबसे बड़ा डर है.


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