कोलकाता: पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों में तृणमूल कांग्रेस और बीजेपी के बीच भले ही तीखी लड़ाई रही, लेकिन दोनों दलों ने संयुक्त रूप से अपने साझा विरोधी कांग्रेस का उसके पुराने गढ़ मुर्शिदाबाद और मालदा जिलों में सफाया कर दिया. कांग्रेस का इन दोनों जिलों में वामपंथ के 34 वर्षों के शासनकाल के दौरान और तृणमूल कांग्रेस के दस वर्षों के शासनकाल में भी दबदबा था, लेकिन इस चुनाव में उसका खाता भी नहीं खुला.


मुर्शिदाबाद को राज्य पार्टी के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी का गढ़ माना जाता है, जबकि मालदा कभी कांग्रेस के दिवंगत नेता एबीए गनी खान चौधरी का गढ़ माना जाता था.


मुर्शिदाबाद और मालदा जिलों के 32 विधानसभा क्षेत्रों में 26 सीटों पर तृणमूल ने जीत दर्ज की, जबकि बीजेपी ने बाकी छह सीटों पर अपना परचम लहराया. उम्मीदवारों के निधन के कारण मुर्शिदाबाद में दो सीटों पर चुनाव रद्द कर दिया गया है.


मुर्शिदाबाद में कांग्रेस ने 2016 के चुनावों में 20 में से 14 सीटों पर जीत दर्ज की थी और मालदा के 12 सीटों में सात पर उसने जीत हासिल की थी. कांग्रेस के सहयोगी के तौर पर 2016 के चुनावों में माकपा ने मुर्शिदाबाद में चार सीटों पर और मालदा में एक सीट पर जीत दर्ज की थी.


2016 में कांग्रेस ने बंगाल में 92 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 44 सीटों पर जीत दर्ज की थी, जिसमें से 26 सीटें उसे मुर्शिदाबाद और मालदा ज़िलों में मिलीं. कांग्रेस और वामपंथी दल को 2021 में न केवल इन दो जिलों में बल्कि पूरे राज्य में एक भी सीट नहीं आई. 


तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी ने मुर्शिदाबाद और मालदा जिलों में कई रैलियां कीं और सीएए के खिलाफ अपने रूख पर जोर दिया. वहीं बीजेपी ने इन जिलों में रोजगार, शिक्षा और बेहतर सड़क संपर्क का वादा कर मतदाताओं को लुभाने का प्रयास किया.


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