प्रवर्तन निदेशालय ने कोरोना महामारी के दौरान बांग्लादेश में बने रेमडेसिविर इंजेक्शन को अवैध तरीके से भारत में लाने और ऊंचे दामों पर बेचने के आरोप में एक महिला समेत तीन लोगों के खिलाफ कोलकाता की विशेष अदालत के सामने आरोप पत्र पेश किया. आरोप है कि इन लोगों ने इस अवैध कार्य के जरिए बड़े पैमाने पर धन कमाया.
निदेशालय के एक आला अधिकारी ने बताया कि मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत ये जांच कोलकाता पुलिस द्वारा 26 अप्रैल 2021 को दर्ज विभिन्न आपराधिक धाराओं के तहत एफआईआर के आधार पर शुरू की गई थी. इस मामले में राहुल वर्धन विश्वजीत दास और निशिता कनोडिया पर आरोप था कि उन्होंने कोरोना वायरस महामारी के दौरान बांग्लादेश में बने हुए जीवन रक्षक कहे जाने वाले इंजेक्शन रेमडेसिविर अवैध तरीके से पहले भारत लाए और फिर तमाम नियम कानूनों को ताक पर रखकर उन्हें अनेक लोगों को ऊंचे दामों पर बेचा गया.
प्रवर्तन निदेशालय का आरोप है कि राहुल वर्धन इस नेटवर्क को चला रहा था और बाकी के दोनों लोग उसे इस काम में मदद कर रहे थे. इसकी सूचना कोलकाता पुलिस को भी लग गई थी और कोलकाता पुलिस ने विभिन्न आपराधिक धाराओं के तहत इन लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी थी.
इस मामले की जांच के दौरान आरोपियों की संपत्ति को भी आरंभिक तौर पर अटैच किया गया था. अपराध के पैसों से संपत्ति राहुल वर्धन और निशिता कनोडिया की बताई जाती है. फिलहाल प्रवर्तन निदेशालय ने विशेष अदालत के सामने अपना आरोप पत्र पेश कर दिया है और अदालत ने इस पर संज्ञान लेते हुए मुकदमा आरंभ करने की अनुमति दे दी है. मामले की जांच जारी है.