पश्चिम बंगाल के राजभवन में हो रही जासूसी! गवर्नर ने लगाए गंभीर आरोप, विश्वसनीय जानकारी का दिया हवाला
West Bengal News: पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने कहा है कि राजभवन में उनकी जासूसी की जा रही है. उन्होंने दावा किया कि उनके पास इसकी जानकारी है.
CV Ananda Bose Snooping Claims: पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने अपने आधिकारिक आवास राजभवन में जासूसी का आरोप लगाया है. बोस ने मंगलवार (21 नवंबर) को दावा किया कि उनको कोलकाता स्थित गवर्नर हाउस में जासूसी करवाने को लेकर विश्वसनीय जानकारी है.
बोस ने कहा कि मामला संबंधित अधिकारियों के संज्ञान में लाया गया है. हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, गवर्नर ने पीटीआई से कहा, ''यह एक सच्चाई है. मेरे पास राजभवन में जासूसी के बारे में विश्वसनीय जानकारी है. उस मुद्दे को संबंधित अधिकारियों को भेज दिया गया है."
रिपोर्ट के मुताबिक बोस ने यह नहीं बताया कि कथित जासूसी प्रयास कौन कर रहा है? गौरतलब है कि राज्य सरकार के साथ बोस के संबं तनावपूर्ण रहे हैं और कई मुद्दों को लेकर दोनों के बीच खींचतान देखने को मिली है.
बोस और राज्य सरकार के बीच विश्वविद्यालय के कुलपतियों की नियुक्ति, राज्य के स्थापना दिवस, केंद्र के मनरेगा का बकाया रोकने और राजनीतिक हिंसा से जुड़े मुद्दों पर टकराव रहा है.
'बंगाल की राजनीति में हिंसा'
टीएमसी कार्यकर्ता की हत्या पर प्रतिक्रिया देते हुए 16 नवंबर को बोस ने कहा था कि बंगाल की राजनीति में हिंसा की संस्कृति है. उन्होंने कहा, "कानून अपना काम करेगा. हम निश्चित रूप से इसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगे और राजभवन भी अपना कर्तव्य निभाएगा."
बोस ने आगे का कि हिंसा के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए. कानूनी कार्रवाई के साथ-साथ हमें सामाजिक उपाय भी अपनाने चाहिए, क्योंकि बंगाल की राजनीति को हिंसा प्रभावित कर रही है. इसलिए हिंसा की संस्कृति बंद होनी चाहिए.
राजभवन के नॉर्थ गेट का नाम बदला
वहीं, इस महीने की शुरुआत में बोस ने रवींद्रनाथ टैगोर के नाम वाली नई पट्टिकाओं (Plaques) लगाने पर विश्वविद्यालय से रिपोर्ट मांगी थी. इसके अलावा उन्होंने राजभवन के नॉर्थ गेट का नाम भी बदलकर 'गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर गेट' रख दिया था.
इससे पहले पश्चिम बंगाल के स्पीकर बिमान बनर्जी भी राज्यपाल पर विधेयकों को मंजूरी देने में देरी की इशारा कर चुके हैं. बनर्जी ने कहा था कि 2011 से अब तक 22 बिलों को राजभवन से मंजूरी नहीं मिली है. इनमें से छह बिल वर्तमान में सीवी आनंद के अधीन हैं.
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