West Bengal Governor Vs Mamata Banerjee: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और राज्यपाल सीवी आनंद बोस के बीच विवाद गहराता जा रहा है. मुख्यमंत्री ने राज्य विधानसभा की ओर से पारित विधेयकों को 'रोकने' के विरोध में राजभवन के बाहर धरना देने की चेतावनी दी थी. जिसपर गुरुवार (7 सितंबर) को राज्यपाल ने उन्हें राजभवन के अंदर विरोध प्रदर्शन करने के लिए आमंत्रित किया.
राज्यपाल ने कहा, "मैं सम्मानित संवैधानिक सहयोगी, मुख्यमंत्री से अनुरोध करूंगा कि वे राजभवन के अंदर आएं और अगर वह चाहें तो विरोध प्रदर्शन करें. उन्हें बाहर क्यों रहना चाहिए." मंगलवार को शिक्षक दिवस के एक कार्यक्रम के दौरान ममता बनर्जी ने कहा था, "अगर (राज्य सरकारों के) अधिकार छीनकर संघवाद में हस्तक्षेप किया गया तो मैं राजभवन के बाहर धरने पर बैठने के लिए मजबूर हो जाऊंगी. हम अन्याय नहीं होने देंगे. बंगाल जानता है कि कैसे लड़ना है. इंतजार करें और देखें."
राज्यपाल और टीएमसी सरकार में बढ़ी तनातनी
हाल ही में राज्य की टीएमसी सरकार और राज्यपाल के बीच कई मुद्दों पर तनातनी देखी गई है. कुछ दिन पहले ही सीवी आनंद बोस ने राज्य-संचालित विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के रूप में प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय, मौलाना अबुल कलाम आजाद प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमएकेएयूटी) और बर्धमान विश्वविद्यालय सहित आठ विश्वविद्यालयों के लिए अंतरिम उप-कुलपतियों की नियुक्ति की थी.
मुख्यमंत्री ने की आलोचना
मुख्यमंत्री ने इस कदम की कड़ी आलोचना करते हुए राज्य-प्रशासित विश्वविद्यालयों के संचालन में हस्तक्षेप करने का प्रयास बताया था. न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के अनुसार, सूत्रों ने कहा कि आठ अन्य विश्वविद्यालयों के अंतरिम कुलपतियों के नामों को भी अंतिम रूप दे दिया गया है और नियुक्ति पत्र जल्द ही जारी किए जाएंगे. सीएम बनर्जी ने आरोप लगाया कि बोस समिति के सुझावों की परवाह किए बिना अपनी इच्छा से लोगों को नियुक्त कर रहे हैं.
"हम अपनी लड़ाई जारी रखेंगे"
वहीं, राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से अतीत में की गईं नियुक्तियों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मद्देनजर मैंने अंतरिम कुलपतियों की नियुक्तियां कीं. राज्यपाल ने कहा कि वह राज्य के विश्वविद्यालयों को भ्रष्टाचार और हिंसा से मुक्त रखने की अपनी लड़ाई जारी रखेंगे. उन्होंने कहा, "मैं चाहता हूं कि राज्य के विश्वविद्यालय हिंसा मुक्त हों और देश में सर्वश्रेष्ठ हों."
बंगाल दिवस पर भी विवाद
इसके अलावा बंगाल दिवस पर भी गतिरोध देखा गया है. दरअसल, पश्चिम बंगाल विधानसभा ने गुरुवार बंगाली नव वर्ष पोलिया बैसाख को राज्य दिवस के रूप में मनाने का एक प्रस्ताव पारित किया. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सदन में इस बात पर जोर दिया कि राज्यपाल इस प्रस्ताव को मंजूरी दें या नहीं, इस दिन को बंगाल दिवस के रूप में मनाया जाएगा. पश्चिम बंगाल के 294 सदस्यीय सदन में 167 सदस्यों ने इसके पक्ष में मतदान करते हुए प्रस्ताव पारित किया.
बीजेपी ने प्रस्ताव के खिलाफ डाला वोट
बीजेपी के 62 विधायक 20 जून को राज्य दिवस के रूप में मनाना चाहते हैं जिस दिन बंगाल विधानसभा ने विभाजन के पक्ष में मतदान किया था. इन विधायकों ने प्रस्ताव के खिलाफ वोट डाला. विधानसभा में नियम 169 के तहत एक प्रस्ताव पेश किया गया, जिसमें पोइला बैसाख को बांग्ला दिवस के रूप में मनाने और नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर के 'बांग्लार माटी, बांग्लार जॅल' (बंगाल की मिट्टी, बंगाल का पानी) को राज्य गीत बनाने का प्रस्ताव किया गया है.
मुख्यमंत्री ने क्या कहा?
सीएम बनर्जी ने कहा, "मैं रवींद्रनाथ टैगोर के 'बांग्लार माटी बांग्लार जॅल' को बंगाल का आधिकारिक गीत बनाने के प्रस्ताव का समर्थन करती हूं. बंगाल के लोग 20 जून का समर्थन नहीं करते हैं. वह हिंसा और रक्तपात का पर्याय है और विभाजन को राज्य स्थापना दिवस के रूप में चिह्नित करता है." सीएम ने पिछले सप्ताह कहा था कि केंद्र की ओर से राज्य के स्थापना दिवस के रूप में 20 जून का दिन चुनना गलत है और इसपर फैसला विधानसभा में लिया जाएगा.
शुभेंदु अधिकारी ने साधा निशाना
पश्चिम बंगाल के नेता प्रतिपक्ष ने शुभेंदु अधिकारी इस मामले पर सीएम ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए कहा कि आज आप बहुमत में हैं, इसलिए इतिहास मिटाना चाहती हैं. पश्चिम बंगाल का गठन कैसे और किन परिस्थितियों में हुआ. हो सकता है कि आज आप हमारे 62 वोटों के मुकाबले 167 वोटों से अपना प्रस्ताव पारित कराने में सफल रही हों, लेकिन मैं आपसे वादा करता हूं, देर-सबेर आपके अनैतिक बहुसंख्यकवादी दृष्टिकोण को वैसे ही पलट दिया जाएगा जैसे 1947 में हुआ था.
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