Appointment in West Bengal State University: पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस की ओर से राज्य के विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति को लेकर राजभवन और सरकार के बीच विवाद गहराया हुआ है. ममता बनर्जी ने हाल ही में राज्यपाल पर शिक्षा प्रणाली में हस्तक्षेप का आरोप लगाया था. राज्य सरकार के रुख पर जब राज्यपाल से पूछा गया तो उन्होंने कहा, "मुझे केवल अपॉइंटमेंट (नियुक्ति) की चिंता है, किसी की डिसअपॉइंटमेंट की नहीं."


बीते 5 सितंबर की रात राजभवन ने एक बयान जारी कर एक और विश्वविद्यालय में अंतरिम कुलपति की नियुक्ति की थी. तब राज्यपाल ने नए स्थापित हुए कन्याश्री विश्वविद्यालय के अंतरिम कुलपति के रूप में काजल डे के नाम पर मुहर लगाई थी.


राज्यपाल बोस ने ये नियुक्ति ऐसे समय में की थी, जब कुछ घंटे पहले ही शिक्षक दिवस के मौके पर राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राजभवन पर शिक्षा व्यवस्था में हस्तक्षेप का आरोप लगाते हुए तीखा हमला बोला था.


ममता बनर्जी ने दी थी चेतावनी


ममता बनर्जी ने हाल ही में राज्य के विश्वविद्यालयों में अंतरिम नियुक्तियों का विरोध करते हुए कहा था कि अगर राज्यपाल ने ऐसे ही काम करना जारी रखा तो वह राजभवन के बाहर धरना देने पर मजबूर होंगी. मुख्यमंत्री ने राज्य के विश्वविद्यालयों को भी चेतावनी दी कि जो राज्यपाल के निर्देशों पर काम करेंगे, उनका फंड रोक दिया जाएगा.


इसके पहले राज्यपाल ने रविवार (3 सितंबर) की रात सात विश्वविद्यालयों में अंतरिम कुलपति नियुक्त किए थे. इनमें प्रेसिडेंसी विश्वविद्यालय, बर्धमान विश्वविद्यालय और एमएकेयूटी शामिल हैं. इन नियुक्तियों का विरोध करते हुए ममता बनर्जी ने कहा था कि राज्यपाल राज्य सरकार द्वारा गठित अपॉइंटमेंट सर्च कमेटी की अनदेखी करके अपनी मर्जी से नियुक्ति कर रहे हैं.


विधानसभा से पास हुआ था बिल


पश्चिम बंगाल विधानसभा ने बीते 4 अगस्त को पश्चिम बंगाल विश्वविद्यालय कानून (संशोधन) विधेयक, 2023 पारित किया था, जिसमें राज्य में विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की नियुक्ति के लिए खोज-सह-चयन समिति का पुनर्गठन का प्रावधान किया गया है. 


खोज-सह-चयन समिति में अब कुलाधिपति, मुख्यमंत्री, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी), राज्य सरकार और पश्चिम बंगाल राज्य उच्च शिक्षा परिषद के अध्यक्ष के नामित सदस्य होंगे. इससे पहले, खोज समितियों में तीन नामांकित व्यक्ति होते थे, जिनमें कुलाधिपति, राज्य सरकार और विश्वविद्यालय के नामांकित व्यक्ति शामिल होते थे. वर्ष 2018 में कुलपतियों की नियुक्ति के लिए चयन समिति में यूजीसी से नामित व्यक्ति को शामिल करना अनिवार्य कर दिया गया था.


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