West Bengal Governor: पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने राजभवन के सभी कर्मचारियों को एक निर्देश जारी किया है. उन्होंने एक अस्थायी कर्मचारी की ओर से उनके खिलाफ दायर यौन उत्पीड़न शिकायत के संबंध में राज्य पुलिस के किसी भी समन को नजरअंदाज करने को कहा है.
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, राजभवन के आधिकारिक हैंडल पर इस संबंध में निर्देश जारी किए हैं. उन्होंने निर्देश में कहा कि स्टाफ सदस्यों (स्थायी या अस्थायी) को यौन उत्पीड़न में चल रही जांच के संबंध में ऑनलाइन, ऑफलाइन, व्यक्तिगत रूप से फोन पर या किसी अन्य माध्यम से कोई भी बयान देने से स्पष्ट रूप से प्रतिबंधित करता है.
कोलकाता पुलिस ने गठित की SIT
दरअसल, राजभवन ने यह कदम राज्यपाल के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए कोलकाता पुलिस की ओर से बनाई गई एक एसआईटी के गठन के बाद लिया गया है, जिसमें राजभवन परिसर से सीसीटीवी फुटेज के लिए एसआईटी का अनुरोध भी शामिल है. अपनी अधिसूचना में राज्यपाल बोस ने संविधान के अनुच्छेद 361 (2) और (3) का हवाला दिया है. उन्होंने कहा कि जो राज्यपालों को उनके कार्यकाल के दौरान राज्य पुलिस की किसी भी जांच या कानूनी कार्यवाही से छूट प्रदान करता है.
पीएम मोदी के दौरे के बीच विवाद ने पकड़ा जोर
हालांकि, कोलकाता पुलिस इस मामले की जांच तेजी से कर रही है और इससे संबंधित सुराग भी तलाश रही है. एसआईटी ने गवाहों से बात करने और शिकायत से संबंधित साक्ष्य प्राप्त करने की भी मांग की है. राज्यपाल पर ये आरोप ऐसे समय में लगे हैं, जब पीएम मोदी कोलकाता में हैं और राजभवन में ठहरे हैं.
क्या है मामला
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, राजभवन के शांति कक्ष से जुड़ी एक अस्थायी कर्मचारी सदस्य होने का दावा करने वाली एक महिला ने गवर्नर हाउस के अंदर स्थित पुलिस चौकी पर पहुंचकर राज्यपाल पर छेड़छाड़ का आरोप लगाया है. हालांकि, राज्यपाल ने आरोपों का खंडन किया है.