नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल सरकार और केंद्र सरकार के बीच जारी तनातनी के बीच प्रवासी मजदूरों की घर-वापसी का रास्ता खुल गया है. आज बंगाल के मजदूरों की पहली खेप ट्रेन से लौट रही है. ममता बनर्जी सरकार ने प्रवासी मजदूरों के लिए 10 ट्रेनों को हरी झंडी दे दी है. आज तेलंगाना से एक ट्रेन पश्चिम बंगाल के मालदा पहुंच रही है. लेकिन इस पर मचा सियासी घमासान थमा नहीं है.
मजदूरों के लिए ट्रेन चलाने के मामले ने इतना तूल पकड़ा कि केंद्र और ममता बनर्जी सरकार के बीच तल्खी बढ़ गई. झगड़ा तब बढ़ा जब गृह मंत्री अमित शाह ने सीएम ममता बनर्जी को चिट्ठी लिखी. जिसमें लिखा था, "हमें पश्चिम बंगाल से उम्मीद के मुताबिक समर्थन नहीं मिल रहा है. राज्य सरकार अपने यहां ट्रेनों को अनमुति नहीं दे रही है. यह बंगाल के प्रवासी मजदूरों के साथ अन्याय है. इससे उनके लिए मुश्किलें बढ़ेंगी.''
गृह मंत्री की इस चिट्ठी के बाद पश्चिम बंगाल सरकार में खलबली मच गई. तृणमूल कांग्रेस के सांसद अभिषेक बनर्जी ने तो गृह मंत्री को ट्विटर पर चुनौती दे डाली. अभिषेक बनर्जी ने कहा, ''गृह मंत्री अमित शाह हफ्तों तक चुप्पी साधे रखने के बाद केवल झूठ से लोगों को गुमराह करने के लिए बोलते हैं. विडंबना ये है कि वो उन लोगों के बारे में बात कर रहे हैं, जिन्हें उनकी सरकार द्वारा उनके भाग्य पर छोड़ दिया गया है. अमित शाह, आरोप साबित करें या माफी मांगें.'
टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि पहली खेप में 10 ट्रेनों को मंजूरी मिली है. ये भी याद रखा जाना चाहिए कि पहले ही अलग-अलग माध्यमों से 80 हजार लोगों को पश्चिम बंगाल वापस लाया जा चुका है. अब हम फंसे लोगों को चरणबद्ध तरीके से वापस ला रहे हैं. 4 घंटे के नोटिस में 21 दिन का लॉकडाउन हमने नहीं किया था.
पश्चिम बंगाल सरकार और केंद्र सरकार के सियासी झगड़े का असर ये हुआ कि ममता बनर्जी सरकार ने न सिर्फ 10 ट्रेनों को मंजूरी दी है. बल्कि छोटी कारों के लिए राज्य के भीतर आवाजाही के लिए 6 हजार पास भी जारी कर दिए हैं.
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