West Bengal: जस्टिस कौशिक चंदा ने खुद को केस से अलग किया, ममता बनर्जी पर लगाया 5 लाख रुपए का जुर्माना
जस्टिस कौशिक चंदा ने कहा कि यह जज की छवि बिगाड़ने की सोची-समझी चाल है. ममता ने नन्दीग्राम चुनाव नतीजे को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करने वाले जस्टिस कौशिक चंद के निष्पक्षता पर सवाल उठाया था.
कोलकाता: कोलकाता हाई कोर्ट से बड़ी खबर सामने आयी है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सुवेंधु अधिकारी के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करने से जस्टिस कौशिक चंदा ने इनकार दिया है. लेकिन न्यायपालिका को खराब करने के लिए उन्होंने सीएम ममता बनर्जी पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया.
जस्टिस कौशिक चंदा ने कहा कि यह जज की छवि बिगाड़ने की सोची-समझी चाल है. ममता ने नन्दीग्राम चुनाव नतीजे को चुनौती देने वाली उनकी याचिका पर सुनवाई करने वाले जस्टिस कौशिक चंद के निष्पक्षता पर सवाल उठाया था.
न्यायमूर्ति चंदा ने बनर्जी की इस अर्जी पर 24 जून को फैसला सुरक्षित रखा था कि उनकी चुनाव याचिका पर सुनवाई से न्यायाधीश को खुद को अलग रखना चाहिए. बनर्जी ने न्यायाधीश की ओर से पूर्वाग्रह की आशंका जताई थी. न्यायमूर्ति चंदा ने कहा कि इस अर्जी से पहले उनके फैसले को प्रभावित करने का जानबूझकर एवं सोचा समझा प्रयास किया गया. न्यायाधीश को फैसले से अलग करने की मांग जिस तरह से की गई उसे देखते हुए न्यायमूर्ति चंदा ने बनर्जी पर जुर्माना लगाया और कहा कि जुर्माने की रकम दो हफ्ते के भीतर पश्चिम बंगाल बार काउंसिल में जमा करवाई जाए.
आदेश में न्यायमूर्ति चंदा ने कहा, ‘‘सुनवाई से अलग करने की मांग को लेकर इस तरह के सोचे-समझे, मनोवैज्ञानिक और आक्रामक प्रयास का सख्ती से प्रतिरोध करना आवश्यक है और याचिकाकर्ता पर पांच लाख रूपये का जुर्माना लगाया जाता है.’’
न्यायमूर्ति चंदा ने बनर्जी की चुनाव संबंधी याचिका को अपनी अदालत से हटा दिया. मामला अब किसी दूसरी पीठ को सौंपने के लिए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेश बिंदल को भेजा जाएगा.
बनर्जी की याचिका में न्यायमूर्ति चंदा के सुनवाई से अलग होने का अनुरोध करते हुए दावा किया गया था कि वह 2015 में भारत के अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल नियुक्त किये जाने तक भाजपा के सक्रिय सदस्य थे और चूंकि भाजपा के एक उम्मीदवार के निर्वाचन को चुनौती दी गई है, इसलिए फैसले में पूर्वाग्रह होने की आशंका है.
न्यायमूर्ति चंदा ने कहा था कि वह भाजपा के विधिक प्रकोष्ठ के संयोजक कभी नहीं रहे, लेकिन पार्टी की ओर से अनेक मामलों में कलकत्ता उच्च न्यायालय में पेश हुए थे. बनर्जी के वकील ने उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर उनकी चुनाव याचिका किसी दूसरी पीठ को सौंपने का अनुरोध किया था.