नई दिल्ली: पूर्वी भारत में त्रिपुरा फतह के बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के लिए पश्चिम बंगाल ही ऐसा राज्य जहां वो सत्ता के लिए जोर-आजमाइश कर रही है. 2014 लोकसभा चुनाव में वोटिंग प्रतिशत में इजाफा के बाद प्रमुखता से संगठन मजबूत करने में जुटी बीजेपी को चार सालों में काफी फायदा भी हुआ है. वाम मोर्चा और कांग्रेस का ग्राफ लगातार नीचे गिर रहा है तो वहीं राज्य में लड़ाई अब तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) बनाम भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) बन चुकी है.
ताज़ा पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव पर ही नजर डालें तो सत्तारूढ़ टीएमसी के सामने बीजेपी आक्रामक ढ़ंग से चुनाव प्रचार में उतरी. बीजेपी का आरोप है कि टीएमसी 1, 3 और 5 मई को होने वाले पंचायत चुनाव में राज्य प्रशासन का बेजा इस्तेमाल कर रही है और पार्टी के बढ़ते जनाधार से डरी टीएमसी उसके उम्मीदवारों से मारपीट कर रही है और हिंसा का रास्ता अपना रही है.
इस बीच राज्य चुनाव आयोग के सूत्रों के हवाले से खबर है कि निर्वाचन आयोग ने आज पश्चिम बंगाल के पंचायत चुनावों में नामांकन दाखिल करने के लिये समय बढ़ाए जाने के अपने आदेश को रद्द कर दिया है. इससे पहले विपक्षी दलों की शिकायत के बाद चुनाव आयोग ने नामांकन दाखिल करने की समयावधि आज शाम तीन बजे तक के लिए बढ़ा दी थी.
चुनाव आयोग के इस फैसले से साफ है कि टीएमसी का कई जिलों में दबदबा और बढ़ेगा. टीएमसी ने बीरभूम जिला परिषद की 42 में से 41 सीटों पर निर्विरोध जीत ली है. वहीं बीरभूम जिले के 19 में से 14 पंचायत समिति के सीटों पर भी निर्विरोध जीत हासिल कर ली है.
मुर्शिदाबाद के कांदी में टीएमसी के 30 में से 29 उम्मीदवारों को निर्विरोध जीत मिली है. भारतपुर-II में ममता बनर्जी की पार्टी ने पंचायत समिति की सभी सीटें निर्विरोध जीत ली हैं. वहीं बरवान में भी सत्तारूढ़ दल टीएमसी ने सभी 37 पंचायत समिति सीटों पर जीत हासिल की है.
वहीं बीजेपी का आरोप है कि पंचायत चुनाव में केवल धांधली हुई है. विपक्ष का दावा है कि दूसरे उम्मीदवारों को चुनाव में खड़ा नहीं होने दिया गया.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक बीरभूम जिले के बीजेपी अध्यक्ष राम कृष्णा रॉय ने कहा कि टीएमसी कार्यकर्ता भाजपा उम्मीदारों को चुनाव नहीं लड़ने के लिए धमकी दे रहे हैं. उन्हें नामांकन दाखिल ही नहीं करने दिया गया.
वहीं बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव राहुल सिन्हा ने कहा, “यह जीत बम और बंदूकों की संस्कृति का प्रतीक है. यह लोगों की जीत नहीं है. उन्होंने चुनाव से पहले लोगों को आतंकित किया और अब दावे करेंगे की विकास की जीत हुई है.''
वहीं सीपीएम विधायक सुजान चक्रवर्ती ने भी टीएमसी पर हिंसा का आरोप लगाया है. पिछले दिनों बीजेपी की पश्चिम बंगाल इकाई ने अर्धसैनिक बलों की तैनाती की मांग के साथ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए कहा था कि ब्लॉक विकास अधिकारी (बीडीओ) उनके उम्मीदवारों को नामांकन पत्र दाखिल करने से रोक रहे हैं और उन्हें राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस द्वारा निशाना बनाया जा रहा है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप से इनकार कर दिया था.