नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल में जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं, राजनीतिक दलों के वार पलटवार तेज होते जा रहे हैं. बंगाल की लड़ाई में ताजा विवाद नेता जी सुभाष चंद्र बोस की जयंती को लेकर है. नेता जी सुभाष चंद्र बोस की जयंती को लेकर बीजेपी और टीएमसी आमने सामने आ गई हैं. केंद्र सरकार ने जहां सुभाष चंद्र बोस की जयंती इस बार 'पराक्रम दिवस' के रूप में मनाने का फैसला किया तो वहीं ममता बनर्जी ने इसे 'देश नायक दिवस' के तौर पर मनाने का एलान कर दिया है.
केंद्र सरकार के संस्कृति मंत्रालय की ओर से जानकारी दी गई है कि 23 जनवरी को नेता जी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती पराक्रम दिवस के तौर पर मनाई जाएगी. केंद्र सरकार ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती मनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन भी किया गया है. इसमें राजनाथ सिंह, अमित शाह, ममता बनर्जी, जगदीप धनकड़, मिथुन चक्रवर्ती, काजोल और एआर रहमान सहित 84 लोग सदस्य के तौर पर शामिल किए गए हैं.
वहीं बंगाल में ममता सरकार ने नेता जी की जयंती को देश नायक दिवस के तौर पर मनाने का एलान किया है. इसके साथ ही ममता सरकार ने एलान किया है कि जयंती वाले दिन बंगाल में योजना आयोग जैसे संगठन की स्थापना भी की जाएगी. इसका एलान करते हुए ममता बनर्जी ने कहा था कि केंद्र सरकार ने नेताजी के योजना आयोग को भंग कर दिया. हम नेताजी के विजन को दुनिया के बीच ले जाने के लिए बंगाल योजना आयोग का गठन करेंगे.
बता दें कि ममता बनर्जी के इस एलान को बीजेपी की ओर से बंगाल के महापुरुषों को आदर दिए जाने की राजनीति के जवाब के तौर पर देखा जा रहा है. वैसे यह पहला मौका नहीं है जब नेता जी सुभाष चंद्र बोस को लेकर ममता ने बीजेपी पर हमला किया. नेता जी की जयंती पर राष्ट्रीय अवकाश घोषित किए जाने को लेकर वे लगातार केंद्र सरकार पर दबाव बनाती रही हैं. उन्होंने इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी भी लिखी. ममता बनर्जी इस मुद्दे का अपनी सभी रैलियों में भी इस्तेमाल करती हैं.
नेता जी की जयंती पर देशभर में छुट्टी की मांग को लेकर ममता बनर्जी ने कहा, ''व्यक्तिगत रूप से मुझे लगता है कि आजादी के बाद हमने नेताजी सुभाष चंद्र बोस के लिए कोई उल्लेखनीय काम नहीं किया है. मैंने केंद्र सरकार को चिट्ठी लिखकर मांग की है कि नेताजी की जयंती (23 जनवरी) के दिन राष्ट्रीय छुट्टी घोषित की जाये. यह मेरी मांग है.''
बंगाल की राजनीति में महापुरुषों की विरासत पर सियासी संग्राम कोई पहली बार नहीं हो रहा है. ईश्वरचंद्र विद्यासागर और रविन्द्रनाथ ठाकुर के नाम पर बंगाल की राजनीति इससे पहले गरम हो चुकी है. इस बार के चुनाव में नेता जी सुभाष चंद्र बोस पर अपना 'अधिकार जमाने' को लेकर बीजेपी और टीएमसी पूरा जोर लगा रही हैं.
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