West Bengal Politics: तृणमूल कांग्रेस में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. पार्टी की मुखिया और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के तमाम दावों के बावजूद अंदरूनी कलह सोमवार (1 जनवरी) को सबके सामने आ गई. दरअसल, सोमवार को पार्टी के स्थापना दिवस के मौके पर पुराने नेताओं और नए नेताओं के बीच चल रहा तनाव तब खुलकर सामने आ गया, जब आम तौर पर अड़ियल रुख अपनाने वाले राज्य अध्यक्ष सुब्रत बख्शी पर अभिषेक बनर्जी पक्ष ने हमला बोल दिया.


कुछ नेता टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी के पक्ष में तो दूसरी तरफ कुछ उनके भतीजे और टीएमसी महासचिव अभिषेक बनर्जी के पक्ष में बोलते दिखे. सोमवार शाम को अभिषेक ने ममता बनर्जी के घर पर जाकर उनसे मुलाकात की तो इसे उसी घटना से जोड़कर देखा जाने लगा. हालांकि टीएमसी सूत्रों का कहना है कि नए साल पर अभिषेक की यह ममता के आवास पर शिष्टाचार मुलाकात थी.


क्या कहा ममता बनर्जी समर्थकों ने?


सुब्रत बख्शी ने सोमवार को कहा: "अभिषेक बनर्जी हमारे अखिल भारतीय महासचिव हैं. स्वाभाविक रूप से, अगर वह आने वाले चुनाव में लड़ते हैं, तो ममता बनर्जी सबसे आगे होंगी और निश्चित रूप से वह युद्ध के मैदान से पीछे नहीं हटेंगी.”


वहीं, वरिष्ठ टीएमसी नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने पार्टी के स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में एक अन्य रैली में बख्शी का समर्थन करते हुए कहा कि ममता के बिना टीएमसी का अस्तित्व नहीं होगा.


अभिषेक बनर्जी के खेमे ने क्या कहा?


वहीं, दूसरी ओर टीएमसी के राज्य सचिव और अभिषेक के वफादार कुणाल घोष ने वरिष्ठ नेताओं के एक वर्ग पर ममता के प्रति  छद्म वफादारी  दिखाने का आरोप लगाया. बता दें कि कुणाल पार्टी में पुराने नेताओं के खिलाफ सबसे मुखर रहे हैं.


घोष ने इससे पहले एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “मैं अपने प्रदेश अध्यक्ष का सम्मान करता हूं, लेकिन उन्होंने जो कहा है उस पर मुझे आपत्ति है. यह स्वीकार्य नहीं है. अभिषेक बनर्जी सबसे आगे हैं, वह जो कर रहे हैं वह पार्टी की भलाई के लिए है. वह (बख्शी) इस तरह की अनाप-शनाप टिप्पणी करके मूल रूप से अभिषेक बनर्जी की छवि खराब कर रहे हैं, जो पार्टी के लिए अच्छा नहीं है.” इस दौरान घोष ने बंदोपाध्याय पर भी हमला करते हुए कहा: “उन्होंने दिल्ली में हाल के आंदोलन में अभिषेक बनर्जी का नेतृत्व देखा. ये सभी बयान पार्टी के अंदर फूट पैदा कर रहे हैं. हम चाहते हैं कि वरिष्ठ लोग शीर्ष पर बने रहें, लेकिन हमें अपनी तरफ से एक नई पीढ़ी की जरूरत है.


अभिषेक पार्टी में बुजुर्गों को मौका न देने की कर चुके हैं बात


2021 के विधानसभा चुनाव से पहले अभिषेक ने सुझाव दिया था कि पार्टी के पदों पर रहने वालों को टिकट नहीं मिलेगा. हालांकि, ममता ने इसे स्वीकार नहीं किया था, न ही उन्होंने अभिषेक खेमे के इस तर्क का समर्थन किया है कि पार्टी के वरिष्ठ सदस्य राजनीति से संन्यास ले लें. इससे पहले 36 वर्षीय अभिषेक ने कहा कि राजनीति सहित हर क्षेत्र में अधिकतम आयु सीमा होनी चाहिए."


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