Motion Against North Bengal State: पश्चिम बंगाल में इस समय उत्तर बंगाल को अलग राज्य बनाने की मांग तेज हो गई है. बीजेपी सहित तमाम संगठनों की ओर से यह मांग उठाई जा रही है. हालांकि, ममता बनर्जी के नेतृत्व में टीएमसी सरकार इसके सख्त खिलाफ है. टीएमसी सरकार की ओर से इसके विरोध में विधानसभा में प्रस्ताव पारित किया गया है. 


ममता सरकार ने नियम 185 के तहत विधानसभा में प्रस्ताव पेश किया था. सरकार की ओर से सोमवार (20 फरवरी) को नियम 185 के तहत प्रस्ताव पेश करने की नोटिस दिया गया था. इस प्रस्ताव को पारित कराने के लिए टीएमसी ने अपने सभी विधायकों को विधानसभा में उपस्थित रहने का निर्देश जारी किया था. बंगाल विभाजन को लेकर मुख्यमंत्री ने साफ कहा था, "बंगाल एक है और उनके रहते इसका विभाजन नहीं हो सकता है."


 






बीजेपी ने बताया राजनीतिक स्टंट


बीजेपी ने इसे टीएमसी का राजनीतिक स्टंट बताया है. बता दें कि पश्चिम बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और बीजेपी के दिग्गज नेता शुभेंदु अधिकारी काफी समय से उत्तर बंगाल को अलग राज्य बनाने की मांग कर रहे थे. ममता सरकार पर उनका आरोप था कि उत्तर बंगाल के साथ सौतेला व्यवहार हो रहा है. वह कई बार विधानसभा के अंदर और बाहर उत्तर बंगाल के साथ भेदभाव का मुद्दा उठा चुके थे. 


 






गोरखालैंड बनाने की मांग थी


वहीं, टीएमसी सरकार की ओर से इस प्रस्ताव को उस वक्त लाया गया, जब उत्तर बंगाल को अलग राज्य बनाने की मांग काफी तेज हो गई थी. उत्तर बंगाल के पहाड़ी क्षेत्रों में राजनीतिक दलों और गोरखा संगठनों ने एक अलग राज्य गोरखालैंड की मांग के लिए भारतीय गोरखालैंड संघर्ष समिति (BGSS) की स्थापना की है. इस समिति की स्थापना गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (GJM) के अध्यक्ष बिमल गुरुंग ने की है. गोरखाओं के लिए एक अलग राज्य गोरखालैंड की मांग को आगे बढ़ाने के लिए बिमल गुरुंग ने BGSS का गठन किया था.


मार्च से शुरू होगा आंदोलन


उस वक्त गुरुंग ने कहा था, "गोरखालैंड संघर्ष समिति पूरी तरह से गोरखा समुदाय की सेवा और गोरखालैंड की उसकी इच्छा के लिए समर्पित होगा." गुरुंग ने कहा था, "यह समूह मार्च में आंदोलन पर काम करना शुरू कर देगा. इसमें किसी भी राजनीतिक दल का संबंध नहीं होगा."


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