पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से ठीक पहले ममता बनर्जी की नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है. पिछले 24 घंटे के दौरान चार लोगों ने टीएमसी को बाय-बाय कर दिया है. गृह मंत्री अमित शाह 19 और 20 नवंबर को दो दिवसीय बंगाल दौरे पर रहेंगे. लेकिन, उनके इस दो दिवसीय दौरे से पहले पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी पार्टी को बड़ा नुकसान हुआ है.
एक दिन पहले गुरुवार को पार्टी के दो बड़े नेताओं के इस्तीफे के बाद शुक्रवार को एक पार्टी के विधायक शीलभद्र दत्ता के साथ ही अल्पसंख्यक सेल के महासचिव कबिरुल इस्लाम ने भी टीएमसी को अलविदा कर दिया है.
बैरकपोर के विधायक शीलभद्र दत्ता ने इस महीने की शुरुआत में अन्य बागियों की तरह ही चुनावी रणनीतिक प्रशांत भूषण की कार्यशैली पर सवाल उठाया था. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को अपना इस्तीफा लिखने के बाद संवाददाताओं से उन्होंने कहा- "मैं ऐसा सोचता हूं कि वर्तमान परिदृश्य में मैं पार्टी के लिए फिट नहीं हूं. लेकिन, मैं विधायक के तौर पर इस्तीफा नहीं दूंगा. क्यों मैं विधायक के तौर पर इस्तीफा दूं? मैंने लोगों को वोट जीता है. अगर मैं चला जाऊंगा तो वे कहां जाएंगे?"
गुरुवार को शुभेंदु अधिकार ने टीएमसी से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद जितेन्द्र तिवारी ने भी अपना इस्तीफा दे दिया.
रिटायर्ड कर्नल दीप्तांशु चौधरी ने भी साउथ बंगाल स्टेट ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन और राज्य की शिकायत निगरानी सेल के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने गुरुवार को अपना इस्तीफा राज्यपाल के साथ ही ममता बनर्जी को भेज दिया. कर्नल चौधरी ने बीजेपी से टीएमसी ज्वाइन किया था और आसनसोल क्षेत्र के पर्यवेक्षक थे और जितेन्द्र तिवारी के करीबी माने जाते हैं.
बीजेपी के आईटी सेल के हेड अमित मालवीय ने टीएमसी में लगातार हो रहे इस्तीफे को लेकर ममता बनर्जी पर चुटकी ली. उन्होंने कहा कि जिस रफ्तार से टीएमसी में इस्तीफे हो रहे हैं पीसी (आंट) को अपने ऑफिस में एक इस्तीफा सेंटर खोलने पर विचार करना चाहिए. ऐसी उम्मीद है कि अमित शाह की मौजूदगी में ये बागी नेता अपने अन्य साथियों के साथ अमित शाह की मौजूदगी में बीजेपी में शमिल हो सकते हैं.
पश्चिम बंगाल में विधानसभा की 294 सीटें है और अमित शाह ने इसमें से राज्य की 200 सीटें जीतने का लक्ष्य बनाया है. 2019 लोकसभा में बीजेपी को बड़ी सफलता हाथ लगी थी और वह यहां की 42 लोकसभा सीट में से 18 सीट पर शानदार जीत दर्ज की. ऐसे में बीजेपी ममता के गढ़ में अपने लिए 2021 के विधानसभा चुनाव में बड़ा अवसर देख रही है. यही वजह है कि पार्टी के कई बड़े नेताओं की तरफ से लगातार दौरे किए जा रहे हैं और जमीनी स्तर पर लोगों से जुड़ने के उन्हें निर्देश दिए गए हैं, ताकि संगठन को मजबूती मिल सके.