Explained: क्या है बंगाल का SSC घोटाला? कैसे ED के निशाने पर आए पार्थ चटर्जी और अर्पिता मुखर्जी? जानिए सबकुछ
SSC Scam: पश्चिम बंगाल (West Bengal) में साल 2016 में माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के तहत 13 हजार शिक्षण और ग़ैर-शिक्षण कर्मचारियों की भर्ती के लिए स्कूल सेवा आयोग (SSC) की ओर से परीक्षा आयोजित हुई थी.
West Bengal SSC Scam: पश्चिम बंगाल में शिक्षक भर्ती घोटाले को लेकर ईडी (ED) की टीम लगातार छानबीन कर रही है. राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पार्थ चटर्जी को मंत्री पद से हटा दिया है. पार्थ चटर्जी (Partha Chatterjee) और अर्पिता मुखर्जी (Arpita Mukherjee) दोनों अभी ईडी की हिरासत में हैं. अर्पिता ईडी के सामने राज खोल चुकी है कि जो भी पैसे बरामद हुए हैं वो पार्थ चटर्जी के हैं. ईडी की मानें तो अर्पिता के दो फ्लैट से अबतक 50 करोड़ से अधिक कैश और ज्वैलरी बरामद किए जा चुके है. कहा जा रहा है कि भारी मात्रा में बरामद ये कैश शिक्षक भर्ती घोटाले से संबंधित हैं.
पार्थ चटर्जी के निजी सचिव रहे सुकांत आचार्य भी प्रवर्तन निदेशालय की रडार पर हैं. वहीं इसमें एक महिला प्रोफेसर मोनालिसा दास का नाम भी चर्चा में है. ईडी की टीम लगातार अलग-अलग जगहों पर तलाशी लेने में जुटी है.
क्या है बंगाल का SSC घोटाला?
पश्चिम बंगाल में साल 2016 में राज्य के माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के तहत 13 हजार शिक्षण और ग़ैर-शिक्षण कर्मचारियों की भर्ती के लिए स्कूल सेवा आयोग (SSC) की ओर से परीक्षा आयोजित हुई थी. 27 नवंबर 2017 को नतीजे आने के बाद मेरिट लिस्ट बनाई गई. इसमें सिलीगुड़ी की बबीता सरकार 77 अंक के साथ टॉप 20 में शामिल थी. बाद में आयोग ने इस मेरिट लिस्ट को रद्द कर दूसरी सूची बनाई. इसमें बबीता का नाम वेटिंग में डाल दिया गया. कम अंक पाने वाली एक टीएमसी के मंत्री की बेटी अंकिता का नाम लिस्ट में पहले नंबर पर आ गया और उसे नौकरी भी मिल गई. इसके बाद घोटाले का धीरे-धीरे खुलासा होने लगा. बबीता ने इस मेरिट लिस्ट को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.
हाईकोर्ट ने दिए थे सीबीआई जांच के आदेश
लंबे वक्त तक सुनवाई के बाद कोर्ट ने इस मामले की जांच के लिए न्यायमूर्ति (रिटायर्ड) रंजीत कुमार बाग की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की थी. कई अधिकारियों के खिलाफ केस चलाने की सिफारिश की गई थी. हाईकोर्ट ने इसमें सीबीआई जांच का आदेश दिया था. उस दौरान टीएमसी के मंत्री परेश अधिकारी से पूछताछ भी हुई थी. कोलकाता हाईकोर्ट ने अंकिता की नियुक्त को अवैध बताया और वेतन वसूलने के आदेश दिए और फिर उनकी जगह बबीता सरकार को नौकरी दी गई. इस घोटाले में आर्थिक लेनदेन की बात सामने आने के बाद ईडी ने जांच का काम अपने हाथ में लिया.
कैसे निशाने पर आए पार्थ चटर्जी और अर्पिता?
शिक्षक भर्ती में घोटाले को लेकर ईडी ने मई में जांच शुरू की. 22 जुलाई को जांच एजेंसी ने बंगाल के मंत्री पार्थ चटर्जी के कई ठिकानों पर छापे मारे थे. इसी दौरान अर्पिता मुखर्जी की संपत्ति के पेपर मिले थे. जब पार्थ चटर्जी से इसे लेकर पूछताछ की गई तो वो कुछ भी बोलने से इनकार करते रहे. ईडी ने मंत्री के करीबी अर्पिता के घर पर छापा मारा और करीब 21 करोड़ रुपये बरामद किए. इस दौरान 20 फोन और कई दस्तावेज भी बरामद हुए. बुधवार को अर्पिता के दूसरे ठिकाने पर छापा मारा गया था जहां करीब 27 करोड़ रुपये जब्त किए गए.
अर्पिता मुखर्जी ने खोले राज
पश्चिम बंगाल (West Bengal) शिक्षक भर्ती घोटाले की जांच में ईडी (ED) की टीम लगातार पड़ताल करने में जुटी है. गुरुवार को ईडी सूत्रों ने बताया था कि अर्पिता मुखर्जी (Arpita Mukherjee) ने पूछताछ के दौरान बड़ा खुलासा किया था. अर्पिता ने कहा है कि उनके घर से जब्त किया गया पैसा पश्चिम बंगाल के मंत्री पार्थ चटर्जी का है. अर्पिता का दावा है कि पार्थ चटर्जी के लोग ही यहां पैसे लाकर इकट्ठा करते थे. उन्हें उस कमरे में जाने की इजाजत नहीं थी. उन्होंने खुद को निर्दोष बताया है.
ये भी पढ़ें: