Avimukteshwaranand Saraswati: 'यह स्वीकार नहीं', महिला सुरक्षा को लेकर ममता बनर्जी पर भड़के अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज
Swami Avimukteshwaranand Saraswati: महिलाओं पर हुए अत्याचार को लेकर पूछे गए सवाल पर शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि राज्य स्थापित ही इसलिए हुआ कि जो निर्बल है उन्हें सताया न जाए.
Swami Avimukteshwaranand Saraswati on Mamata Banerjee: उत्तराखंड की ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज एक बार फिर चर्चा में हैं. इस बार इन्होंने पश्चिम बंगाल में महिला सुरक्षा के मुद्दे पर बात करते हुए पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी पर सवाल उठाए हैं.
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने सीएम ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए कहा कि ये राज्य की असफलता है ये स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए और विशेषकर तब जब राज्य में एक माता एवं बहन ही राज्य शासन में शासन कर रही हो.
इसे नहीं किया जाना चाहिए स्वीकार
संदेशखाली में महिलाओं पर हुए अत्याचार को लेकर पूछे गए सवाल पर शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि राज्य स्थापित क्यों हुआ था, राज्य स्थापित ही इसलिए हुआ कि जो निर्बल है उन्हें सताया न जाए. हमारी माता और बहनें अपेक्षा करती हैं कि हम उनकी रक्षा करेंगे. पर उन्हीं के साथ अगर अत्याचार और अन्याय होता है तो यह राज्य की असफलता है और इसे स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए. विशेष रूप से तब जब एक माता ही एक बहन ही राज्य में शासन करती हो.
पश्चिम बंगाल में महिला सुरक्षा के मुद्दे पर बात करते हुए शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने CM ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए कहा, 'ये राज्य की असफलता है ये स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए और विशेषकर तब जब राज्य में एक माता एवं बहन ही राज्य शासन में शासन कर रही हों.'… pic.twitter.com/GT086bEATs
— ABP News (@ABPNews) April 1, 2024
कौन हैं अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज?
अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज का जन्म उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में हुआ था. वह जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य हैं. इनका मूल नाम उमाशंकर है. प्रतापगढ़ में प्राथमिक शिक्षा के बाद वे गुजरात चले गए थेय धर्मसम्राट स्वामी करपात्री जी महाराज के शिष्य पूज्य ब्रह्मचारी श्री रामचैतन्य जी के सान्निध्य और प्रेरणा से संस्कृत शिक्षा आरंभ की.
राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह का किया था विरोध
बता दें कि इससे पहले शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह पर सवाल उठाकर चर्चा में रहे थे. तब उन्होंने प्राण प्रतिष्ठा को शास्त्र के विरुद्ध बताया था. उनका कहना था कि राम मंदिर का निर्माण कार्य अभी पूरा नहीं हुआ है और अधूरे मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा करना अशुभ होता है. वह इसके विरोध में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में भी शामिल नहीं हुए थे.
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