बंगाल की राजनीति में सालों से संस्कृति जगत का प्रभाव रहा है. लेफ्ट पार्टी जब सत्ता में थी तभी भी अभिनेताओं को ओपिनियन बिल्डिंग के काम मे लगाया गया था. सौमित्र चटर्जी से लेकर कई अभिनेता लेफ्ट की रैली में शामिल हुए. मुद्दा पश्चिम बंगाल के साथ जुड़ा हो या देश के अलग-अलग प्रदेश, या फिर वियतनाम में अमेरिका का हमला, बंगाल के बुद्धिजीवि समुदाय के लोग प्रोटेस्ट में शमिल होते रहे ताकि लोगों तक उनकी आवाज़ पहुंचती रहे.


अपर्णा सेन, कौशिक सेन, बादशाह मोइत्रा जैसे कई बड़े अभिनेता अलग-अलग सामाजिक मुद्दों पर अपनी बातों को खुलकर सामने रखा. लेफ्ट के बुद्धिजीवि समुदाय में इन अभिनेताओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.


पॉलिटिकल साइंस में कहा जाता है कि डोमिनेंस तीन तरह के होते है... ट्रेडिशनल , केरिसमाटिक और लीगल...


बंगाल के राजनेताओं में केरिसमाटिक डोमिनेन्स ज़्यादा देखा गया है. चाहे आप डॉक्टर विधान चंद्र रॉय को देख लें, या फिर ज्योति बसु, ममता बनर्जी या बुद्धदेव भट्टाचार्य. इसीलिए ये सारे नेता भी अपने ही तरह के चरित्रों को राजनीति में शामिल करने की कोशिश करते रहे. राजनीति में ऐसे चरित्र कम मिला तो फिल्मी जगत से लोगों को राजनीति में शामिल किया, लेखक आये, खिलाड़ी भी शामिल होते रहे.


हालांकि सीपीएम ने इनको ओपिनियन बिल्डिंग का काम मे ज़्यादा शामिल किया. चुनाव लड़ने के लिए टिकट कम ही दिए गए या फिर आप कह सकते हैं कि ज़माना अलग था और ये लोग चुनाव में शामिल नहीं हुए.


ममता बनर्जी भी सीपीएम के इस फार्मूले को अपनाया लेकिन अपनी तरीके से थोड़ा बदल दिया. अभिनेताओं को चुनावी टिकट मिलने लगा और तापस पॉल , शताब्दी रॉय, देबाश्री रॉय, संध्या रॉय, देव अधिकारी, मुनमुन सेन समेत कई अभिनेता- अभिनेत्रियों ने चुनाव लड़ा और जीत भी हासिल की. बाद में मंझे हुए राजनेताओं के खिलाफ लड़कर मिमी, नुसरत जैसी अभिनेत्रियों ने भी चुनाव में जीत हासिल की.


मतलब क्या ? मतलब ये की बंगाल में केरिसमेटिक डोमिनेन्स राजनीति में चलता रहा और ममता बनर्जी भी इसका खूब फायदा उठाती रहीं. टॉलीवुड यानी कि टॉलीगंज फ़िल्म इंडस्ट्री से करीबी संपर्क भी ममता ने जोड़कर रखा और टीएमसी के करीब कई अभिनेता,फ़िल्म निर्माता और निर्देशक आते गए.


इन सबके बीच सबसे बुरी बात ये हुई कि इसका गलत फायदा भी कुछ लोगों ने उठाया और उनको ज़्यादा काम मिलने लगा.


प्रतिभा के आधार पर बहुत लोगों को काम नहीं मिला और इस तरह के आरोप सामने आते रहे. इसलिए ऐसे कई अभिनेता हैं जो धीरे-धीरे भाजपा के करीब आते चले गए. बीजेपी कैम्प भी ऐसे ही टॉलीवुड में मजबूत होता रहा. लॉकेट चटर्जी, रुपा गांगुली ऐसे ही बीजेपी में शामिल हुए और आज बड़े स्तर पर भी कार्यभार संभाल रहे हैं.


2021 विधानसभा चुनाव में भी टॉलीवुड के अलग अलग चरित्रों की भूमिका अहम है लेकिन इसबार बीजेपी वहां भी सेंधमारी कर चुकी है.


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