Woman Sold As Bride: वैसे तो कश्मीर को जन्नत कहा जाता है लेकिन 29 साल की नाजिमा (बदला नाम) के लिए ये वो जगह है जहां उसकी जिंदगी जहन्नम बना दी गई. श्रीनगर में वह अपने तीन बच्चों के साथ रहती हैं. सबसे छोटा बेटा 5 महीने का है जबकि दो बेटे 10 और 7 साल के हैं. नाजिमा के पति की चार महीने पहले दिल की बीमारी से मौत हो गई थी. नाजिमा का यहां कोई नहीं है. वह अपने घर लौटना चाहती है लेकिन कदम ठिठक जाते हैं. 10 साल पहले जो कुछ हुआ था वह सब उनकी आंखों के सामने कौंध जाता है.


नाजिमा की न तो लव मैरिज थी और न ही अरेंज मैरिज. नाजिमा उन महिलाओं में है जो बेची गई दुल्हनें हैं. नाजिमा का पश्चिम बंगाल से अपहरण कर लिया गया था. उन्हें 1600 किमी दूर कश्मीर ले जाया गया जहां उन्हें अपने से 20 साल बड़े आदमी से शादी के लिए मजबूर किया गया. नाजिमा के बदले में तस्करों को उस शख्स ने 20 हजार रुपये दिए थे. 


नौकरी के बहाने बुलाया


नाजिमा उस वाकये को याद करते हुए सिहर उठती हैं. अलजजीरा से बात करते हुए नाजिमा ने बताया कि वो 2012 की गर्मियां थीं जब उन्हें एक दोस्त से पता चला कि कोलकाता में एक एनजीओ गरीब लड़कियों और महिलाओं को नौकरी देना चाहता है. 


गरीबी से निकलने की उम्मीद में नाजिमा 6 घंटे का सफर पूरा करके कोलकाता पहुंची. वहां एक बड़ी बिल्डिंग में वह पहुंची जहां कुछ पुरुष और कई महिलाएं थीं. नाजिमा बताती हैं कि वहां पहुंचने पर एक आदमी ने उसे चाय पीने को दी. चाय पीने के बाद वह अपना होश खोने लगी और खुद को संभालने में असमर्थ हो गई. तभी दो आदमी उसे बाहर खड़ी एक कार की तरफ ले गए. 


डर का सफर


नाजिमा समझ गई थी कि वह यहां फंस गई है. यहां से उसे एक रेलवे स्टेशन ले जाया गया. जहां चार पुरुष और चार महिलाएं इंतजार कर रहे थे. यहां से वह 20 घंटे का सफर करके राजधानी दिल्ली पहुंची. यहां से उसे जम्मू कश्मीर जाने वाली दूसरी ट्रेन में बिठा दिया गया. 13 घंटे के सफर के बाद तस्करों ने उसे दो कश्मीरी युवकों को सौंप दिया. वह बताती हैं कि हम डरे हुए थे कि वे हमें नुकसान पहुंचा सकते थे.


कश्मीर पहुंचने के बाद उन्हें एक कैब में डाला गया, जहां से उन्हें दुर्गम पहाड़ी सड़कों से होते हुए ले जाया गया. नाजिमा के लिए वह बिल्कुल अलग दुनिया थी. उन्हें वहां किसी की भाषा भी समझ नहीं आती थी. 


सुबह के 6 बज रहे थे जब उन्हें लेकर गाड़ी कश्मीर के बारामुला जिले के एक गांव में पहुंची. यहां चारों ओर सेब के बाग और धान के खेत थे. 


पति को देखकर सहम गई


उन्हें एक घर ले जाया गया जहां बदलने को कपड़े दिए गए. अपहरण किए जाने के बाद से अभी तक नाजिमा ने कपड़े भी नहीं बदले थे. नाजिमा कहती है कि "कपड़े बदलते वक्त पहली बार उनके साथ कोई पुरुष नहीं था और महिलाएं एक दूसरे से बात करने में सफल हुईं." इसके पहले उनके बातचीत पर भी रोक थी. उसे पता चला कि उन सभी महिलाओं को पुरुषों को सौंप दिया जाएगा जो उनसे शादी करने वाले हैं. 


नाजिमा कहती हैं कि वह डरी हुई थी. "मुझे मेरे पति से मिलवाया गया जो मुझसे काफी बड़ा था. एक बूढ़ा आदमी था जिसने सर पर हाथ रखा लेकिन उसकी समझ में कुछ नहीं आ रहा कि वे क्या कह रहे हैं."


'तस्करों ने मेरी जिंदगी बर्बाद कर दी'


नाजिमा को उनका पति इसी एक कमरे वाले घर में लेकर आया था, जहां आज वह आज रहती हैं. पहले हफ्तों में तो वह अक्सर रोया करती थीं. "मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं. मैने खाना छोड़ दिया था. चावल का स्वाद घर जैसा नहीं था. मुझे लगा जैसे मैं कहीं नहीं हूं." नाजिमा ने कई बार भागने की कोशिश की लेकिन कैब स्टेशन तक ही पहुंच पाई.


नाजिमा बताती हैं कि उनके पति ने अच्छा व्यवहार किया था. सात महीने तक उसका अपने परिवार से कोई संपर्क नहीं था. बाद में उनके पति ने उन्हें दुखी देखा तो पश्चिम बंगाल उनके परिवार से मिलाने ले गए. पश्चिम बंगाल में उनके परिवार वाले उन्हें देखकर खुश हुए. लेकिन उन्हें पता नहीं था कि उनके साथ जो शख्स आया है कि वह उनका पति ही है. 


परिवार से मिलकर भी लौट आई वापस


वह अपने परिवार के साथ रहना चाहती थी लेकिन वह पहले से गर्भवती थी. इसलिए मर्जी न होने के बावजूद वापस लौट गई. पति की मौत के बाद फिर से लौटने की इच्छा हुई लेकिन अब तीन बच्चे हैं. कहती हैं कि "मुझे नहीं पता कि क्या करना है, कहां जाना है."


नाजिमा को चिंता है कि अगर वह वापस लौटी तो उसके परिवार की आर्थिक तंगी और भी बदतर कर देगी. तीन महीने पहले उसके पिता की भी मौत हो चुकी है.


भारत में मानव तस्करी


NCRB ने 2020 में मानव तस्करी के 1700 मामले दर्ज किए हैं. लेकिन जानकार कहते हैं कि मानव तस्करी के अधिकांश मामले दर्ज ही नहीं हो पाते. पश्चिम बंगाल भारत में मानव तस्करी के केंद्रों में से एक माना जाता है. पिछले तीन वर्षों में वहां 350 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं. वास्तविक संख्या और भी हो सकती है.


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