Westerlies Effects In India: इस बार भारत में कड़ाके की सर्दी पड़ने वाली है. पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी (Snowfall), तो मैदानों में बारिश (Rainfall) की संभावना है. इसकी वजह है वेस्टर्लीज, जिसे आम भाषा में लोग पश्चिमी विक्षोभ कहते हैं. इसकी वजह से ही ठंडी का मौसम आता है. इसकी शुरुआत होती है मेडिटेरेनियन में होती है और फिर मिडिल ईस्ट (Middle East) से अफगानिस्तान और पाकिस्तान होते हुए भारत में इसकी एंट्री होती है. भारत में यह कश्मीर (Kashmir) और उत्तराखंड (Uttarakhand) में सबसे पहले पहुंचता है. ज्यादातर ये आगरा तक जाता है, लेकिन इस बर यह दिल्ली (Delhi) की तरफ बढ़ रहा है.
बताया जा रहा है कि इस बार दिल्ली की ओर बढ़ते इस वेस्टर्लीज (Westerlies) में बहुत ज्यादा नमी है. इसका मतलब है कि ये वेस्टर्लीज अपने साथ बहुत सारा पानी लेकर आ रहा है, जो पहाड़ी इलाकों में बर्फ बनकर गिरेगा. वहीं, मैदानी इलाकों में ये बारिश के रूप में बरसेगा. यही वजह है कि कश्मीर और उत्तराखंड के कई इलाकों में बर्फबारी शुरू भी हो चुकी है. वहीं, वेस्टर्लीज की लाइन से नीचे वाले इलाकों में ज्यादा बारिश होने की आशंका है.
किससे बनता है वेस्टर्लीज?
हर बार वेस्टर्लीज गर्म और ठंडी होती है. इस साल वेस्टर्लीज में ज्यादा नमी और ठंडा है. इसलिए अनुमान लगाया जा रहा है कि इस बार कड़ाके की सर्दी पड़ने वाली है. पहाड़ी राज्यों हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड में इसका सबसे ज्यादा असर देखने को मिलता है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक, पहाड़ी राज्यों में आकर वेस्टर्लीज खत्म हो जाता है और ये सी-सरफेस टेंपरेचर की वजह से ही बनता है. जहां तक मैदानी इलाकों की बात है ये अकसर ये केवल आगरा तक ही जाता है, लेकिन इस बार इसके राजधानी दिल्ली तक पहुंचे के आसार हैं. इसका सीधा मतलब है कि इस बार दिल्ली में कड़ाके की ठंड पड़ने वाली है.
कैसे काम करता है वेस्टर्लीज?
एक्सपर्ट्स के अनुसार, इस बार वेस्टर्लीज में नमी ज्यादा है. मेडिटेरेनियन में टेंपरेचर ज्यादा है, वेस्टर्लीज में इस बार ज्यादा नमी की वजह है. ये मिडल ईस्ट से भारत तक एक लाइन में आएगा. भारत आने के बाद ये दो लाइन में बंट जाता है. पहली लाइन पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी कराती है, जबकि दूसरी लाइन मैदानी इलाकों में बारिश की वजह बनती है.
इस बार ज्यादा नमी का मतलब है कि पहाड़ी इलाकों में ज्यादा बर्फबारी, जो कड़ाके की ठंड को बढ़ाने में काफी महत्वपूर्ण रोल निभाती है. इसका असर मैदानी इलाकों में भी देखने को मिलेगा, जहां ठंडी हवाएं लोगों की मुश्किले बढ़ाने वाली हैं.
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