बृजभूषण खुद को फेडरेशन में कहते हैं 'शक्तिशाली', 'नेता जी जिंदाबाद' के लगते हैं नारे, अधिकारी छूते हैं पैर
WFI अध्यक्ष बृजभूषण सिंह ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताया है. उन्होंने कहा है कि अगर एक भी आरोप सही साबित होता है तो वे फांसी पर लटकने को तैयार हैं.
WFI President Brij Bhushan Singh: भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष और कैसरगंज सीट से बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह यौन उत्पीड़न जैसे संगीन आरोपों का सामना कर रहे हैं. आरोप लगाने वाले कोई और नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी हैं. ओलंपिक में देश को पदक दिलाने वाले बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक जैसे पहलवान उनके खिलाफ मोर्चा खोल चुके हैं. हालांकि, बृजभूषण शरण सिंह ने सभी आरोपों को सिरे से खारिज किया है. इसी बीच अब उनकी पॉलिटिकल पावर और उनके रवैये को लेकर भी चर्चाएं शुरू होने लगी हैं.
बृजभूषण शरण सिंह साल 2012 से कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष हैं. बताया जाता है कि जब बृजभूषण कुश्ती हॉल में प्रवेश करते थे तो हर किसी का ध्यान उन्हीं की ओर जाता था. वे एसयूवी कार के काफिले में आते थे और हर वक्त उनके साथ 20 से 25 समर्थक मौजूद होते थे. कुश्ती हॉल में आते ही अधिकारी उन्हें नमन करते हैं और पैर तक छूते हैं. इसी के साथ पूरा हॉल 'नेता जी जिंदाबाद' के नारों से गूंज उठता है. इतना तो स्पष्ट है कि वह एक प्रभावी व्यक्ति हैं.
खुद को 'शक्तिशाली' बताते हैं बृजभूषण
बृजभूषण शरण सिंह को लेकर एक और बात कही जाती है. कहा जाता है कि वो पहलवानों पर कुश्ती हॉल में ही चिल्ला देते हैं और उनके माता-पिता को हॉल से बाहर निकालने की धमकी तक देते हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, बृजभूषण खुद को 'शक्तिशाली' कहते हैं और उनके समर्थक इस बात पर उनका पूरा साथ देते हैं. हालांकि, अब वही बृजभूषण सिंह गंभीर आरोपों से घिर चुके हैं. खिलाड़ियों ने उन पर मुखर होते हुए मानसिक प्रताड़ना, यौन उत्पीड़न और संघ में राजनीति करने के गंभीर आरोप लगाए हैं. अभी तक हर आरोप को बृजभूषण सिंह ने सिरे से नकारा है.
बृजभूषण का राजनीति सफर
बृजभूषण शरण सिंह के राजनीतिक सफर की बात करें तो 1991 में उन्होंने पहली बार लोकसभा में प्रवेश किया. वे छह बार से लोकसभा सांसद हैं. वर्तमान में उत्तर प्रदेश की कैसरगंज सीट से बीजेपी के सांसद हैं. ये पहली बार नहीं है जब बृजभूषण पर गंभीर आरोप लगे. इससे पहले भी उनके खिलाफ हत्या के प्रयास, डकैती, सबूतों को गायब करने और एक लोकसेवक को अपना काम करने से रोकने सहित कई मामले दर्ज चुके हैं. हालांकि, हैरानी की बात तो यह है कि उन्हें एक भी मामले में दोषी नहीं ठहराया गया,
बृजभूषण शरण सिंह का नाम बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में भी आया था. मई 2022 में उन्होंने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के प्रमुख राज ठाकरे की अयोध्या यात्रा का विरोध किया था. हालांकि, इस बार आम चुनाव सिर पर हैं और कहीं न कहीं लोग उनके विरोध में बात करने लगे हैं. ऐसे में ये देखना खास होगा कि क्या वो भारत के सुपरस्टार खिलाड़ियों के आरोपों से बच पाएंगे?
बृजभूषण सिंह और विवाद
बृजभूषण सिंह का नाम राजनीतिक विवादों के साथ खेल विवादों में भी रहा है. जनवरी 2021 में नोएडा में राष्ट्रीय चैंपियनशिप का आयोजन हो रहा था और उस दौरान उन्होंने एक रेलवे कोच को 'बेवजह' निलंबित कर दिया था. वहीं, उन्होंने दिसंबर 2021 में रांची में एक एथलीट को स्टेज पर ही सार्वजनिक रूप से थप्पड़ मार दिया था. कैमरे में कैद होने के बावजूद बृजभूषण ने माफी नहीं मांगी, बल्कि कहा, "उसे जोर से नहीं मारा, अगर मैंने ऐसा किया होता तो वह बहुत दूर जा चुका होता."
राजनीति और खेल
पिछले कुछ वर्षों में ऐसी घटनाएं बहुत आम हो गई हैं, क्योंकि सिंह का मानना है कि इसी तरह लोगों को लाइन में रखा जाता है. उनका कहना है कि वह राजनीतिक रैलियों के दौरान इन तरीकों का इस्तेमाल करते हैं और मानते हैं कि ये तरीके खेल में भी काम करते हैं. एक बार जब उनसे पूछा गया कि वे नेता पहले हैं या पहलवान, तो उन्होंने कहा, "पहले पहलवान."
बृजभूषण के करीबी ने क्या कहा
BJP के पूर्व सांसद और बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में सह-आरोपी महंत रामविलास दास वेदांती ने कहा, "मैं बृजभूषण को तब से जानता हूं जब वह अयोध्या के साकेत कॉलेज के छात्र थे. वह पढ़ाई में अच्छे थे, राम मंदिर आंदोलन में प्रमुख भूमिका निभाई और तब से संतों के प्रिय हैं. मुझे नहीं पता कि इन आरोपों के पीछे कौन है, लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि यह उनके खिलाफ किसी तरह की साजिश हो सकती है."
बृजभूषण सिंह ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताया और कहा है कि अगर एक भी आरोप सही साबित होता है तो वे फांसी पर लटकने को तैयार हैं. ऐसे में साफ है कि पहलवानों और कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष के बीच जंग शुरू हो गई है. अब देखना होगा कि आरोप सही साबित होते हैं या फिर से बृजभूषण को पुराने मामलों की तरह इस मामले में भी क्लीन चिट मिल जाती है.
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