भारत और गल्फ कॉपरेशन काउंसिल के बीच क्या समझौता होने वाला है?
आंकड़ों की मानें तो भारत के कुल निर्यात में खाड़ी देशों की हिस्सेदारी 2020-21 के 9.51 प्रतिशत से बढ़कर 2021-22 में 10.4 प्रतिशत हो गई है.
भारत और गल्फ कॉपरेशन काउंसिल (जीसीसी) आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देने के लिए मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर 24 नवंबर से बातचीत शुरू कर सकते हैं. जीसीसी खाड़ी क्षेत्र के छह देशों सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, कतर, कुवैत, ओमान और बहरीन का संघ है. अधिकारी ने कहा, 'एफटीए 24 नवंबर को शुरू होगा. वहीं इस वार्ता को शुरू करने के लिए जीसीसी के अधिकारी भारत पहुंचेंगे.'
बता दें कि भारत इस साल मई में पहले ही संयुक्त अरब अमीरात के साथ एक मुक्त व्यापार समझौता लागू कर चुका है. वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने 16 नवंबर को कहा था कि भारत अगले सप्ताह एक नया मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) शुरू करेगा. इससे पहले भी साल 2006 और 2008 में भारत और जीसीसी के बीच दो दौर की बातचीत हुई थी लेकिन यह वार्ता तीसरे दौरे तक नहीं पहुंच सकी क्योंकि जीसीसी ने सभी देशों और आर्थिक समूहों के साथ अपनी वार्ता स्थगित कर दी थी.
भारत इन देशों से करता है कच्चे तेल का आयात
भारत मुख्य रूप से सऊदी अरब और कतर जैसे खाड़ी देशों से कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस का आयात करता है, और इन देशों के लिए मोती, धातु, नकली गहने, विद्युत मशीनरी, लोहा और इस्पात और अन्य कीमती पत्थरों का निर्यात करता है. वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, जीसीसी में भारत का निर्यात 2021-22 में 58.26 प्रतिशत बढ़कर लगभग 44 बिलियन डॉलर हो गया, जो 2020-21 में 27.8 बिलियन डॉलर था.
आंकड़ों की मानें तो भारत के कुल निर्यात में इन छह देशों की हिस्सेदारी 2020-21 के 9.51 प्रतिशत से बढ़कर 2021-22 में 10.4 प्रतिशत हो गई है. इसी तरह, 2020-21 में 59.6 बिलियन डॉलर की तुलना में आयात 85.8 प्रतिशत बढ़कर 110.73 बिलियन डॉलर हो गया. वहीं भारत के कुल आयात में जीसीसी सदस्यों की हिस्सेदारी 2020-21 में 15.5% से बढ़कर 2021-22 में 18 प्रतिशत हो गई है.
व्यापार के अलावा, खाड़ी देशों में बड़ी संख्या में भारतीय आबादी रहती है. भारत के लगभग 32 मिलियन अनिवासी भारतीयों (एनआरआई) में से लगभग आधे खाड़ी देशों में काम करने का अनुमान है.
क्या है खाड़ी सहयोग परिषद
खाड़ी सहयोग परिषद (गल्फ कोऑपरेशन काउंसिल) खाड़ी की सीमा से लगे अरब राज्यों का एक राजनीतिक और आर्थिक संघ है जिसकी स्थापना साल 1981 में हुई थी. इस संघ के सदस्य के रूप में संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, कतर, ओमान, कुवैत तथा बहरीन है. तेल की खोज के बाद से, जीसीसी क्षेत्र में गहन परिवर्तन आया है और अब यह विश्व की कुछ सबसे तेज गति में बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों का समूह है.
क्या है फ्री ट्रेड एग्रीमेंट?
दो या फिर इससे ज्यादा देशों के बीच उत्पादों और सेवाओं के आयात और निर्यात में रुकावटों को कम करने के लिए किए गए समझौते को फ्री ट्रेड एग्रीमेंट कहा जाता है. इस एग्रीमेंट से व्यवसाय करने वाले दोनों देशों को फायदा होता है. फ्री ट्रेड एग्रीमेंट में कोटा, टैरिफ, सब्सिडी या फिर प्रतिबंध को कम किया जाएगा जो सीमाओं के पार वस्तुओं और सेवाओं के लाने ले जाने की सीमित कर सकता है. वहीं फ्री ट्रेड एग्रीमेंट दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार की अनुमति दे सकता है. इस एग्रीमेंट में सेवाएं, निवेश, सामान, बौद्धिक संपदा, प्रतिस्पर्धा, सरकारी खरीद और अन्य क्षेत्र शामिल हो सकते हैं.
भारत कि लिए क्यों अहम है मुक्त व्यापार समझौता
भारत के लिये खाड़ी क्षेत्र यानी जीसीसी कई मायने में महत्वपूर्ण है. इसका भारत के लिए ऐतिहासिक, राजनीतिक, आर्थिक, सामरिक और सांस्कृतिक महत्त्व है. भारत और जीसीसी के बीच अगर मुक्त व्यापार समझौता होता है तो इससे द्विपक्षीय संबंधों को मज़बूती मिलेगी. अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य की बात करें तो जहां सऊदी अरब एक लुप्त होती शक्ति है, वहीं संयुक्त अरब अमीरात, कतर और ईरान नए क्षेत्रीय शक्तियों के रूप में उभर रहे हैं. इसके अलावा ओमान और इराक को अपनी पहचान बनाए रखने के लिये संघर्ष करना होगा.
हाल ही में हुए भारत और UAE के बीच मुक्त व्यापार समझौता
भारत और यूएई के बीच फरवरी महीने में ही मुक्त व्यापार समझौते हुआ. समझौते पर भारत की तरफ से गोयल और यूएई के अर्थव्यवस्था मामलों के मंत्री अब्दुल्ला बिन तौक अल मर्री ने हस्ताक्षर किये. दोनों देशों ने विभिन्न क्षेत्रों में संबंधों को और मजबूत बनाने को लेकर रूपरेखा भी जारी की. मुक्त व्यापार समझौते से भारत और संयुक्त अरब अमीरात की कंपनियों को महत्वपूर्ण लाभ मिलेंगे. इसमें बेहतर बाजार पहुंच और कम शुल्क दरें शामिल हैं. इस एफटीए से अगले पांच साल में दोनों देशों का द्विपक्षीय व्यापार मौजूदा 60 अरब डॉलर से बढ़कर 100 अरब डॉलर पहुंच जाने की उम्मीद है.
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