बीजेपी विधायक सतीश महाना को मंगलवार को निर्विरोध विधानसभा स्पीकर घोषित किया गया. उनके स्पीकर चुने जाने पर समाजवादी पार्टी सुप्रीमो अखिलेश यादव ने भी प्रतिक्रिया दी है. अखिलेश यादव ने इसे लेकर ट्वीट में कहा, विधानसभा स्पीकर सतीश महाना का अभिनंदन और हार्दिक बधाई. नेता प्रतिपक्ष के तौर पर ये मेरा विश्वास है कि उनके कार्यकाल में लोकतांत्रिक-न्याय को नई ऊंचाई मिलेगी और हमें सरकार की नीतियों व कार्यों की समालोचना करने और जनाकांक्षाओं के लिए आवाज़ उठाने का स्वतंत्र-अवसर मिलेगा.


बहुत बड़ी जिम्मेदारी है: महाना


स्पीकर निर्वाचित होने के बाद विधानसभा में महाना ने कहा कि उन पर बहुत बड़ी जिम्मेदारी है और वह पक्ष-विपक्ष दोनों के लिए समान रूप से इसका पालन करेंगे. महाना ने कहा, 'सभी सदस्यों को विश्वास दिलाता हूं कि अगले पांच वर्षों में हम जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरेंगे. मुझे यकीन है कि 18वीं विधानसभा देश में नया कीर्तिमान बनाएगी.'


विधानसभा में कार्यवाहक अध्यक्ष रमापति शास्‍त्री ने मंगलवार को सतीश महाना के निर्विरोध निर्वाचन की घोषणा की. उन्होंने सदन को बताया कि विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए सिर्फ सतीश महाना का नामांकन पत्र मिला और उसके वैध होने पर उनके सर्वसम्मति से निर्वाचन की घोषणा करता हूं.






शास्‍त्री ने अपनी ओर से महाना को बधाई देने के बाद उनके जीवन के बारे में बताया. इसके बाद शास्त्री ने मुख्यमंत्री, नेता प्रतिपक्ष और अन्य दलों के नेताओं से अनुरोध किया कि वे नवनिर्वाचित अध्यक्ष को अध्यक्ष के आसन पर आसीन कराएं.


इसके बाद परंपरागत रूप से नेता सदन और नेता प्रतिपक्ष समेत अन्य दलों के नेता सदन में सदस्यों के बीच में बैठे महाना की सीट तक पहुंचकर उनको अध्यक्ष की पीठ पर ले गए और शास्‍त्री ने अध्यक्ष की कुर्सी खाली कर दी. सभी दलीय नेताओं ने मिलकर महाना को अध्यक्ष की बेंच पर बिठाया.






महाना ने सदन में कहा उनके लिए यह सौभाग्य की बात है कि उनके जैसा एक छोटा सा कार्यकर्ता जो विधानसभा में 1991 में पहली बार छावनी (कानपुर नगर) से आया, उसे आज आठवीं बार सदन का सदस्य बनने के बाद सदन के अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठाया गया.


नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव की बात का जवाब देते हुए उन्होंने कहा जब तक लेफ्ट-राइट न हो तब तक स्वास्थ्य सही नहीं रहता है. लोकतंत्र में सबका लक्ष्य जनता के विश्वास को कैसे पूरा किया जाए, यही होना चाहिए. 


अखिलेश बोले-आपको लेफ्ट भी देखना चाहिए


इसके पहले अपने संबोधन में अखिलेश यादव ने महाना को बधाई देते हुए कहा था कि आप राइट (बीजेपी) से आते हैं, लेकिन अब आपको अध्यक्ष होने के नाते लेफ्ट (विपक्ष) की ओर भी देखना चाहिए.


महाना ने कहा कि आपस में विवाद हो सकता है, मत भिन्नता हो सकती है लेकिन मनभेद नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा कि वह लोकतंत्र को एक सिक्के के दो पहलुओं के रूप में मानते हैं और लोकतंत्र को बचाने की प्रतिपक्ष और सत्तापक्ष सबकी जिम्मेदारी है. अध्यक्ष ने कहा कि जितना हम अपने बारे में नहीं जानते, उससे अधिक जनता हमारे बारे में जानती है. 


योगी ने रखा था प्रस्ताव


नेता सदन योगी आदित्यनाथ ने अध्यक्ष पद के लिए महाना के नाम का प्रस्ताव रखा था जिसका सुरेश खन्‍ना ने समर्थन दिया था. इसके अलावा नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव ने भी महाना के नाम का प्रस्ताव और सपा के ही अवधेश प्रसाद ने समर्थन किया था.


जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के रघुराज प्रताप सिंह और कांग्रेस की आराधना मिश्रा के अलावा सत्‍ता पक्ष के साथ ही विपक्षी दलों ने भी महाना के नाम का प्रस्ताव और अपना समर्थन दिया. विधानसभा में मंगलवार को उनके निर्विरोध निर्वाचन की घोषणा कर दी गई.


कौन हैं सतीश महाना



  • महाना कानपुर जिले की महाराजपुर विधानसभा सीट से आठवीं बार निर्वाचित हुए हैं. महाना 1991 में पहली बार विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए और इसके बाद उन्होंने विधानसभा में लगातार अपनी उपस्थिति बनाए रखी.

  • वह मायावती, कल्‍याण सिंह, राम प्रकाश गुप्ता और राजनाथ सिंह के नेतृत्व की सरकारों में मंत्री रह चुके हैं. योगी आदित्यनाथ 1.0 में वह औद्योगिक विकास मंत्री थे.

  • विधानसभा की वेबसाइट के अनुसार, कानपुर में 14 अक्टूबर 1960 को राम अवतार महाना के घर जन्मे सतीश महाना मूल रूप से पंजाब के खत्री हैं और हिंदू धर्म के अनुयायी हैं. कृषि, बिल्डर्स एंड डेवलपर्स के कारोबार से जुड़े महाना ग्रेजुएट हैं.

  • जनसेवा, पठन-पाठन, पर्यटन और संगीत में गहरी रुचि रखने वाले महाना अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन, रूस, सिंगापुर, मलेशिया, स्वीडन, नार्वे, न्यूजीलैंड, कनाडा, जर्मनी, ऑस्ट्रिया, चीन, जापान, स्विट्जरलैंड, और ऑस्ट्रेलिया समेत लगभग 35 देशों का भ्रमण कर चुके हैं.

  • महाना विधानसभा में प्राक्कलन समिति, नियम समिति, प्रश्न एवं संदर्भ समितियों के सदस्य भी रह चुके हैं. महाना जनांदोलनों में जेल भी जा चुके हैं. वह वर्ष 1990, 1992 और 1994 में आंदोलन में जेल गए हैं.


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