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क्या होती हैं जेनेरिक दवाएं, ब्रांडेड कंपनियों के टैबलेट से ये कितनी अलग?
भारत में साल 1954 से कई समितियां यह सुझाव देती रही हैं कि दवाओं की निगरानी एक केंद्रीय संस्था के तहत होनी चाहिए, लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हो सका है.
भारत में जेनेरिक दवाएं (जो ब्रांडेड दवाओं की तुलना में सस्ती होती हैं) स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच को बेहतर बनाने में मदद करती हैं. साल 2024 तक सरकारी योजनाओं के जरिए उपभोक्ताओं को इन दवाओं से लगभग
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