भारत ने पिछले कुछ सालों में विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी उपलब्धियों से खूब नाम कमाया है. हमारा देश आज वैज्ञानिक अनुसंधान के क्षेत्र में दुनिया के शीर्ष देशों में से एक है. स्वतंत्रता के बाद भारत ने शिक्षा से लेकर टेक्नोलॉजी तक हर क्षेत्र में विकास किया है.


भारत में वर्तमान साक्षरता दर 74.04 प्रतिशत है, जबकि आज से 75 साल पहले यानी स्वतंत्रता से पहले यब मात्र 12 प्रतिशत था. हमने अपने दम पर अंतरिक्ष कार्यक्रमों में सफलता हासिल की. महामारियों का उन्मूलन किया और आईटी क्षेत्र में अभूतपूर्व विकास किया.


साल 2022 तक की बड़ी उपलब्धियां


1. विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के अनुसार भारत में पिछले 10 सालों में वैज्ञानिक प्रकाशनों (SCI) की संख्या में तेजी से वृद्धि देखी गई है. अब भारत चीन और अमेरिका के बाद विश्व स्तर पर तीसरे स्थान पर है.


2. कोरोना लहर, मंदी की आशंका और तमाम चुनौतियों को पीछे छोड़ते हुए भारत जनवरी-जुलाई, 2022 के बीच स्टार्टअप यूनिकॉर्न के मामले में चीन को पीछे छोड़ दिया है. जनवरी से जुलाई के बीच भारत में 14 स्टार्टअप यूनिकॉर्न बने, जबकि वहीं चीन में केवल 11 स्टार्टअप यूनिकॉर्न बने.


स्टार्टअप यूनिकॉर्न एक अरब डॉलर से ज्यादा मूल्यांकन वाले स्टार्टअप को कहा जाता है. फिलहाल भारत में 108 यूनिकॉर्न हैं. और इस में भारत ने दुनियाभर में तीसरा स्थान हासिल किया है. पहले स्थान पर अमेरिका है और दूसरे स्थान पर चीन.


3. भारत ने साइंटिफिक पब्लिकेशन में नया कीर्तिमान रच दिया है. अमेरिका के ‘नेशनल साइंस फाउंडेशन’ के साइंस एंड इंजीनियरिंग इंडिकेटर 2022 की रिपोर्ट के अनुसार भारत वैश्विक वैज्ञानिक प्रकाशन रैंकिंग में सातवें स्थान से तीसरे स्थान पर पहुंच गया है. हाल ही में विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया कि, 'वैज्ञानिक प्रकाशनों में विश्व स्तर पर भारत की स्थिति 2010 में सातवें स्थान से सुधरकर 2020 में तीसरे स्थान पर आ गई है.'


4. ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स (जीआईआई) 2022 में भारत की रैंकिंग 40वें स्थान पर पहुंच गई है. यही रैंकिंग साल 2015 में 81वें स्थान पर था. इंडेक्स के अनुसार भारत में स्टार्टअप के लिए बेहतर माहौल तैयार करने को लेकर काफी सुधार हुए हैं. जीआईआई की पिछली रिपोर्ट से भारत ने दो पायदान की छलांग लगाई है. यानी साल 2021 में भारत 46वें स्थान पर था. 


5. पिछले 9 सालों में में बाहरी आरएंडडी परियोजनाओं में भारत की महिलाओं की भागीदारी दोगुनी हो गई है. विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार साल 2018-19 में बाहरी आरएंडडी परियोजनाओं में एक चौथाई से ज्यादा यानी 28 प्रतिशत महिलाएं थीं, जो कि साल 2000-01 में 13 प्रतिशत थी.


6. युवा वैज्ञानिकों को उनकी शोध गतिविधियों पर लोकप्रिय विज्ञान लेख लिखने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए AWSAR योजना शुरू की गई. राष्ट्रीय विज्ञान प्रौद्योगिकी संचार परिषद के अंतर्गत ‘अवसर’ योजना की शुरुआत इसी साल 24 जनवरी को शुरू की गई थी. इस योजना का उद्देश्य अखबारों, पत्रिकाओं, ब्लॉग्स, सोशल मीडिया के माध्यम से युवा वैज्ञानिकों की क्षमता का इस्तेमाल कर विज्ञान को लोकप्रिय बनाने और समाज में वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करने के लिए करना है.


7. वैश्विक विज्ञान से जुड़ने के लिए नया अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी (एसएंडटी) सहयोग शुरू किया गया जिसमें 30 मीटर टेलीस्कोप परियोजना और भारत-इजरायल औद्योगिक अनुसंधान एवं विकास और तकनीकी नवाचार निधि में भागीदारी शामिल है.


परमाणु क्षेत्र में भारत की उपलब्धियां 


बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण : विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में अपने पड़ोसी देशों को पीछे छोड़ते हुए भारत ने अपनी सबसे खतरनाक मिसाइल अग्नि-5 का सफल परीक्षण कर लिया है. अग्नि-5 परमाणु-सक्षम अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) 5,000 किलोमीटर से ज्यादा के लक्ष्यों को भेद सकती है. 


भारत लंबे समय से अग्नि-5 के परीक्षण की योजना बना रहा है, क्योंकि यह भारत से विकसित मध्यम और लंबी दूरी की परमाणु-सक्षम बैलिस्टिक मिसाइलों की श्रृंखला में पांचवीं मिसाइल होगी. मिसाइल का पहली बार परीक्षण साल 2012 में किया गया था, इसके बाद के साल 2013, साल 2015, साल  2016, साल 2018 और साल 2021 में इसका परीक्षण किया गए. इस मिसाइल को पनडुब्बी से भी लॉन्च किया जा सकता है.


मैन पोर्टेबल एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल - इस मिसाइल का परीक्षण डीआरडीओ ने जनवरी के महीने में किया था. भारत में विकसित की गई एंटी-टैंक एक कम वजन वाली मिसाइल है. इसे मैन पोर्टेबल लॉन्चर से लॉन्च किया जाता है.


हेलिना मिसाइल - अप्रैल में एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल ‘हेलीना’ लॉन्च की गई. इस मिसाइल का अलग-अलग उच्च-ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हेलीकॉप्टर की मदद से दो बार सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया. यह उड़ान परीक्षण डीआरडीओ, भारतीय सेना और भारतीय वायु सेना ने संयुक्त रूप से आयोजित किए थे.


ब्रह्मोस एक्सटेंडेड रेंज एडिशन - ब्रह्मोस मिसाइल का परीक्षण मई के महीने में किया गया था. इसके सफल होने के साथ ही अब एयरफोर्स सुखोई फाइटर एयरक्राफ्ट से बहुत लंबी दूरी तक जमीन या समंदर में किसी लक्ष्य पर सटीक निशाना लगाकर हमला करने में सक्षम हो गया है.


सबसे छोटा सैटेलाइट: तमिलनाडु के करूर के रहने वाले 18 साल के रिफत शारूक ने दुनिया के सबसे छोटे सैटेलाइट को डिजाइन कर इतिहास रच दिया.