मुंबई: क्राइम ब्रांच की क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट (CIU) ने सोमवार की शाम डीसी डिजाइन प्राइवेट लिमिटेड के डारेक्टर दिलीप छाबरिया को एपीआई सचिन वाजे ने अपनी टीम के साथ अंधेरी के एमआईडीसी से गिरफ्तार किया. मुंबई क्राइम ब्रांच के जॉइंट कमिश्नर मिलिंद भराम्बे ने बताया की 18 दिसंबर को उनकी टीम को एक गुप्त जानकारी मिली थी कि एक ही इंजिन और चेसिस नंबर की दो या उससे ज्यादा डीसी अवंति गाड़ियां है और उसमें से एक गाड़ी कुलाबा के ताज होटल के पास आने वाली है.


सूचना पर क्राइम ब्रांच की एक टीम मौके पर पहुंची और एक डीसी कार को रोक उसके ओनर से उस गाड़ी के पेपर्स की जांच की जो कि बराबर निकली और इस गाड़ी का रजिस्ट्रेशन 2016 में तमिलनाडु राज्य में कराया गया था. चूंकि जो जानकारी मिली थी उसकी जांच करना जरूरी था जिसके बाद क्राइम ब्रांच ने उस गाड़ी के इंजिन और चेसिस नंबर की जांच भारत सरकार के वाहन पोर्टल पर की तो पता चला कि उसी इंजिन और चेसिस नंबर की एक और गाड़ी है जिसका रेजिस्ट्रेशन 2017 में हरियाणा राज्य में कराया गया था.


इतना सबूत मिलने के बाद मुंबई पुलिस ने डीसी डिजाइन प्राइवेट लिमिटेड पर मामला दर्ज किया और जांच शुरू कर दी. पुलिस के अनुसार मार्च 2015 में ऑटोमोटिव रिसर्च असोसिएशन ऑफ इंडिया (ARAI) से फॉर्मल सर्टिफिकेशन के बाद 2016 में अवंति को लांच किया था.


प्राथमिक जांच के अनुसार डीसी ने अबतक 127 डीसी अवंति कार भारत और विदेशों में बेचा है, उसकी एक गाड़ी की कीमत लगभग 42 लाख रुपये है और ऑनलाईन देंखे तो उसकी एक गाड़ी की मार्किट में कीमत लगभग 60 लाख रुपये बताया जाता है.


मिलिंद भराम्बे की माने तो उनकी प्राथमिक जांच में पता चला कि --


1) आरोपी ने एक ही इंजिन और चेसिस नंबर की दो या उससे ज्यादा गाड़ियां बनाकर कई राज्यों में बेचा था।


2) वह खुद ही की बनाई गाड़ी को खुद ग्राहक बनकर खरीदता था जिसके लिए वह एनबीएफसी जैसे बीएमडब्ल्यू फायनांस कंपनियों से लोन लेता था।


3) खुद की बनाई गाड़ी खुद खरीदने के बाद उसे फिर तीसरे आदमी यानी (ग्राहक) को अच्छे मुनाफे के साथ बेच देता था।


4) पुलिस को आशंका है कि ऐसी 95 गाड़ियों हैं जिनका डबल या उससे ज्यादा बार रजिस्ट्रेशन किया गया है।


पुलिस की माने तो अब तक कि जांच में उन्हें एनबीएफसी की लोन देने की प्रक्रिया संदिग्ध लग रही है और उसे समझने के लिए एनबीएफसी से जुड़े लोगों से पूछताछ भी की जा सकती है.


तमिलनाडु पुलिस ने की लापरवाही?


पुलिस की माने तो जप्त की गई गाड़ी को पहले तमिलनाडु पुलिस के एक ट्राफिक कोस्टेबल ने ट्रैफिक वायलेशन में पकड़ा था और तब चलान काटते समय उसे यह भी पता चल गया इस गाड़ी का हरियाणा में भी रजिस्ट्रेशन हुआ है पर उस समय कोई करवाई नही की गई. इसके बाद क्राइम ब्रांच को मिली गुप्त जानकारी की यह गाड़ी 17 दिसम्बर को ट्राइडेंट हॉटेल के पास आने वाली है जिसके बाद वहां पुलिस ने ट्रैप लगाया पर पुलिस को वह नही मिला इसके बाद 18 दिसम्बर को पुलिस को पता चला कि यह गाड़ी ताज हॉटेल, कुलाबा के पास आने वाली है जिसके बाद पुलिस ने उसे पकड़ लिया.


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