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युद्ध में भी सब कुछ जायज़ नहीं है! जानिए- युद्ध के क्या नियम हैं, जिनपर 196 देशों की सहमति है

क्या आप जानते हैं कि युद्ध के नियम होते हैं. वैसे तो आपने ये खूब सुना है कि जंग और प्यार में सब कुछ जायज़ है, लेकिन हकीकत ये नहीं है.

नई दिल्ली: पुलवामा हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में आई तल्खी विंग कमांडर अभिनंदन की वतन वापसी के साथ ही कमज़ोर पड़ रही है. 14 फरवरी से लेकर एक मार्च तक भारत और पाकिस्तान के रिश्ते काफी तल्खी भरे रहे. 14 फरवरी को पुलवामा में पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने भारतीय सुरक्षाबलों पर हमले किए, जिसमें 40 से ज्यादा अर्धसैनिक बल शहीद हो गए.

भारत ने इस शहादत का बदला 26 फरवरी को खैबर पख्तूनख्वा के बालाकोट में आतंकियों के ठिकाने पर हवाई हमला करके लिया, जिसके बाद पाकिस्तान ने भी 27 फरवरी को भारतीय हवाई सीमा में घुसपैठ की. भारत ने बहादुरी दिखाते हुए पाकिस्तानी एफ-16 लाड़कू विमान को मार गिराया, लेकिन इस दौरान मिग-21 के विंग कमांडर अभिनंदन पाकिस्तान के कब्जे में चले, माहौल युद्ध की तरफ बढ़ रहा था, लेकिन भारत के सामने झुकते हुए पाकिस्तान ने 1 मार्च को विंग कमांड को भारत वापस कर दिया.

अब तनाव कम हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि युद्ध के नियम होते हैं. वैसे तो आपने ये खूब सुना है कि जंग और प्यार में सब कुछ जायज़ है, लेकिन हकीकत ये नहीं है. जेनेवा कन्वेंशन के तहत युद्ध के नियम तय किए हैं, ताकि लड़ाई में भी इंसानी जान की कम से कम क्षति हो. यही वजह है कि जंग के मैदान में भी जख्मी सुरक्षाकर्मियों और आम नागरिकों का इलाज मुमकिन हो पाता है. उनके मानवाधिकार की रक्षा हो पाती है.

आइए जानते हैं कि युद्ध क्या क्या नियम हैं और जो देश या शख्स इसकी अवहेलना करते हैं उनके खिलाफ कैसे कार्रवाई होती है?

अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून

युद्ध के नियम या अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून (आईएसएल) अंतरराष्ट्रीय नियमों का एक समूह है जो यह निर्धारित करता है कि सशस्त्र संघर्ष के दौरान क्या किया जा सकता है और क्या नहीं.

  • IHL का मुख्य उद्देश्य सशस्त्र संघर्षों में मानवता को बनाए रखना है, जिससे लोगों की जान बचाई जा सके और पीड़ा कम की जा सके. ऐसा करने के लिए IHL यह तय करता है कि युद्ध कैसे लड़े जाते हैं.
  • युद्ध के नियम सार्वभौमिक हैं. जिनेवा कन्वेंशन (जो कि IHL का मुख्य तत्व हैं) को सभी 196 देशों द्वारा अनुमोदित किया गया है. बहुत कम अंतरराष्ट्रीय संधियों में इस स्तर का समर्थन है. युद्ध लड़ने वाले देशों को IHL के नियमों का सम्मान करना होता है. सरकारी बलों और गैर-राज्य सशस्त्र समूहों दोनों को IHL के नियमों का सम्मान करने की आवश्यकता है.
  • यदि कोई देश इन नियमों को युद्द के दौरान तोड़ता है तो उसके खिलाफ युद्ध अपराधों की जांच अंतरराष्ट्रीय अदालतों द्वारा की जाती है. व्यक्तियों पर युद्ध अपराधों के लिए मुकदमा चलाया जा सकता है.
  • IHL के नियम उन लोगों की रक्षा करती है जो युद्ध नहीं लड़ते या लड़ने की स्थिति में नहीं होते. युद्ध को लेकर नियम है कि किन पर हमला किया जा सकता है और किन पर नहीं. नियम के मुताबिक आम नागरिकों पर हमला करना अपराध है. आम नागरिकों को अधिकार है युद्ध के दौरान जो भी उन्हें सहायता चाहिए वह उन्हें मिले.
  • युद्ध का नियम यह भी कहता है कि जिनको भी युद्ध के दौरान बंदी बनाया गया हो उन्हें किसी भी प्रकार से टॉर्चर नहीं किया जा सकता है. उन्हें खाना और पानी दिया जाना अनिवार्य है. साथ ही उन्हें अपने लोगों से बातचीत करने का अधिकार देना चाहिए.
  • युद्ध में जो भी घायल होता है उसे उपचार पाने का अधिकार होता है. वह कोई भी किसी भी मु्ल्क का हो. उसे इलाज मिलना मानवीय अधीकार है.

आज पूरी दुनिया के अलग-अलग देशों के पास एक से बढ़कर एक ऐसे हथियार मौजूद हैं जो दुश्मन देश को तबाह कर सकते हैं. ऐसी स्थिति में IHL युद्ध के दौरान मानवीय संवेदना और अधिकारों के बनाए रखने के लिए बेहद जरूरी हैं.

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