SC On UAPA: सुप्रीम कोर्ट ने UAPA के आरोपी शेख जावेद इकबाल उर्फ अशफाक अंसारी  को जमानत देते हुए कहा कि किसी कानून का कड़ा प्रावधान आरोपी को जमानत देने से संवैधानिक कोर्ट को नहीं रोक सकता. जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की बेंच ने कहा है कि संविधान का अनुच्छेद 21 हर नागरिक को व्यक्तिगत स्वतंत्रता का मौलिक अधिकार देता है. किसी कानून में दिए गए जमानत के सख्त प्रावधान से स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार को प्रभावित होने से बचाना संवैधानिक कोर्ट का दायित्व है. 


भारत में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट को संवैधानिक कोर्ट का दर्जा हासिल है. संवैधानिक कोर्ट पर पर लोगों के मौलिक अधिकारों की रक्षा का जिम्मा है और अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने संवैधानिक अदालतों की इसी शक्ति का उल्लेख किया है. 26 पन्नों के आदेश में कहा गया है कोई भी सख्त कानून मौलिक अधिकारों को बेवजह प्रभावित न कर सके, यह सुनिश्चित करना संवैधानिक अदालतों का काम है. कोर्ट ने यह भी कहा है कि किसी आरोपी को जमानत देते समय ऐसी शर्तें नहीं लगाई जानी चाहिए, जिनसे उसकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता पूरी तरह प्रभावित हो जाए.


कौन है शेख जावेद?


सुप्रीम कोर्ट ने जिस आरोपी को बेल दी है उसे 2015 में उत्तर प्रदेश पुलिस के एंटी टेररिस्ट स्क्वाड (ATS) ने लगभग 25 लाख कीमत के नकली नोट के साथ भारत-नेपाल सीमा पर गिरफ्तार करने का दावा किया था. पुलिस ने आरोपी और नेपाली नागरिक शेख जावेद इकबाल उर्फ अशफाक अंसारी पर UAPA के तहत केस दर्ज किया और वो 8 साल से अधिक समय से जेल में है. 2021 में हाई कोर्ट ने मुकदमे से पहले उचित मंजूरी न लिए जाने के चलते उसे रद्द किया था. हालांकि, पुलिस की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने उस आदेश पर रोक लगा दी थी.


क्या बोले शेख जावेद के वकील?


शेख जावेद इकबाल उर्फ अशफाक अंसारी की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए वकील एम एस खान ने कोर्ट को बताया कि अपीलकर्ता काफी लंबे समय से हिरासत में है. पक्ष रखते हुए वकील एम एस खान बोले कि आपराधिक मुकदमा निकट भविष्य में समाप्त होने की संभावना नहीं दिखती इसलिए शेख जावेद इकबाल को जमानत पर रिहा किया जाए. 


याचिका का हुआ विरोध 


शेख जावेद इकबाल की ओर से पेश वकील एम एस खान की दलील का विरोध करते हुए यूपी सरकार की वकील गरिमा प्रसाद ने कहा कि अपीलकर्ता के खिलाफ लगे आरोप बेहद गंभीर है और वो एक विदेशी नागरिक है इसलिए उसके भागने का खतरा ज्यादा है. वकील गरिमा प्रसाद बोलीं कि अपीलकर्ता को किसी भी कीमत पर जमानत ना दी जाए. 


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