नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल बीजेपी के अध्यक्ष दिलीप घोष जहां रैली में लोगों को संबोधित करने के लिए जा रहे है, वहां वह बंगाल को गुजरात बनाने की बात कर रहे हैं. 2002 में हुए दंगों के बाद पश्चिम बंगाल की राजनीति में कम्युनिस्ट पार्टी हर चुनाव से पहले धर्मनिरपेक्षता के नाम पर गुजरात मे हुई दंगों की कहानी लोगों के सामने रखती रही है. सीपीएम पार्टी तब गली मोहल्ले की चुनावी रैली में भी कहती थी कि वे बंगाल को कभी गुजरात बनने नही देंगे. उस वक्त चुनाव के मुद्दे तब अलग होते थे और धर्म के नाम पर वोट की ध्रुवीकरण कभी देखा नहीं गया था.
बंगाल में कम्युनिस्ट पार्टी के समय या उससे पहले कभी भी धर्म के नाम पर राजनीति नहीं हुई. यूं कहे कि बंगाल में कम्युनिस्ट पार्टी के 34 सालों के राज में धर्म के नाम पर राजनीति किसी ने सोचा भी नहीं. पिछले 10 सालों में ममता बैनर्जी की सरकार के खिलाफ बीजेपी आरोप लगाती हुई आई है कि बांग्लादेश से आये हुए अल्पसंख्यकों को बंगाल में रहने के लिए जगह दी गयी है और बंगाल में भी 2019 लोकसभा चुनाव में वोट के ध्रुवीकरण खूब देखा गया.
अब 2021 विधानसभा चुनाव से पहले माना जा रहा है कि बंगाल में पहली बार ध्रवीकरण का मामला इस कदर उछलने वाला है जैसे यही बंगाल में हार और जीत का मुद्दा तय करेगा.
बंगाल बीजेपी के अध्यक्ष दिलीप घोष का कहना है: 'बंगाल को हम गुजरात बनाएंगे', इस वन लाइनर से में ये कहना चाहता हूं कि बंगाल में भी गुजरात की तरह ही विकास हो. बंगाल के नौजवानों को बाहरी राज्य में कामकाज के लिए जाना नहीं पड़ेगा. इस राज्य में बिजनेस भी बढ़े और बंगाल तरक्की करे. यही गुजरात मॉडल है.
वहीं तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक शोवनदेव चट्टोपाध्याय ने कहा, ''गुजरात शब्द का इस्तेमाल करके कहीं न कहीं बीजेपी चुनाव में ध्रुवीकरण का कार्ड खेलना चाहती है. यही वहज है वह बार बार बंगाल को गुजरात बनाने की बात कर रही है.''